Saturday, 10 September 2011

सफ़र

Dedicated Too All My Classmate 
And Respected Teachers
Of WEB JOURNALISM  And SEM  .





एक तरफ है आज़ादी तो दूसरी तरफ गम है ,
होकर भी साथ न होंगे तेरे ,
फिर भी न चाहत बिल्कुल कम है.

याद है उस वजसम की पहली क्लास ,
जहा स्मिता मेम और अर्जुन सर की ,
नई सेना थी बिल्कुल तैयार .


बड़ रहे थे कदम हमारे , मिल रहे थे एक दुसरे से सारे 
तभी एक सन्नाटा सा  छाता है ,
और हम सब का ध्यान देवी रूपी, 
स्मिता मेम की तरफ जाता है .

बाते लिखू  तो बहुत है लिखने   को ,
पर लिखा नहीं जाता है ,

जब किया शुरू मैने लिखना इसको, 
तभी आँखो से गिरती एक बूंद को पन्ने पे पाता हु,
मानो आँखे भी कह रही हो ,
अब बस करो और नहीं देखा जाता है. 

मयंक की महिमा भरी निगाहों मे,
रोहन की चहेक पहेक और  लूज टी-शर्ट की उलझी बाहों मे ,
श्रुति की समझदारी मे ,
रिसब की भागीदारी मे ,
एक नज़ारा मुझे याद आता है.

वही दूसरी तरफ जस्न से भरी,
प्रतिष्ठा मे एक बचपना नज़र आता है, 
बात करे सुलझी हुई हिमानी की ,
तो वो रिपोर्टरों  वाला लुक याद आता है.  

वर्तिका की बेहतरीन बातो मे   ,
उमा के सन्नाटो मे ,
मनो मानवी कुछ कहने को हो तैयार , 
कहे रही है यशवी दी भी है मेरे साथ यार. 

हर मुश्किल मे ध्रुव नज़र आता है, 
और वही बगल मे टेक्स्ट पे बात करती, 
साक्षी का वोह चहेरा याद आता है.

संकट हरण संकतेश की ,
सन्नाटे से बात करते अभिषेक की, 
तोह वही कही दर्द भरी हँसी ,
आकाश के चहरे पे नज़र आती है, 

तभी कही से क्लास मे आकांशा आती है, 
और वोह भी परे हट कह कर कही गायब हो जाती है .


अब बस आप मुझे माफ़ करो, 
अब और नहीं लिखा जाता है ,
अब सिर्फ लिख रहे पन्ने पर ,
मोती रूपी आँसु नज़र आता है.   


Note :- वजसम  - Web Journalism and SEM 

4 comments:

  1. arey beta.. tune to mujhe bahut bhavuk kar diya.. aur class mei pass hone jimmedari bhi hai juinors ke luye teri. ab tu mujhe tuesday mil . miss ur all class

    ReplyDelete
  2. Nice to remember all :)
    Thanks for sharing Shashank.

    ReplyDelete
  3. Thanx alot for sharing your wonderful memories with us. now we will also try to make our 3 months journey as best part of our life.

    ReplyDelete