Monday 31 January 2011

ओबामा शरम करो?

नई दिल्ली/ वॉशिंगटन।। कैलिफॉर्निया की एक फर्जी यूनिवर्सिटी द्वारा ठगी का शिकार होने के बाद अमेरिका में ढेरों भारतीय छात्रों को अब अपमान का घूंट पीना पड़ रहा है। इन छात्रों को अपने टखने के साथ जबरन रेडियो कॉलर लगाकर घूमना होगा, ताकि अमेरिकी अधिकारी चौबीसों घंटे उनकी गतिविधियों पर नजर रख सकें।

सेन फ्रैंसिस्को के एक उपनगरीय इलाके स्थित ट्राई-वैली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले ये अधिकांश छात्र आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। इमिग्रेशन संबंधी धोखाधड़ी के लिए इन छात्रों को अमेरिका से डिपोर्ट किए जाने का खतरा भी बरकरार है। तेलुगू असोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका नामक संगठन के जयराम कोमाटी ने बताया है कि अमेरिकी अधिकारियों ने इन छात्रों के टखने के साथ एक मॉनिटरिंग सिस्टम को जोड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय छात्रों की नहीं, बल्कि यूनिवर्सिटी की गलती है, क्योंकि उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है, लेकिन निशाना छात्रों को बनाया जा रहा है।

भारतीय छात्रों के साथ इस तरह के बुरे बर्ताव की खबरों से चिंतित भारत ने अमेरिका से कहा है कि वह ठगी के शिकार भारतीय छात्रों के प्रति 'नरम' रुख अपनाए। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से कहा कि वे भारतीय छात्रों को लगाए गए रेडियो कॉलर हटाएं और उन्हें अपनी सफाई देने का पूरा मौका दें। साथ ही, अमेरिका भारत सरकार को भी इस मामले की जांच और इस फर्जी यूनिवर्सिटी के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों की जानकारी मुहैया कराए।

Monday 24 January 2011

Veteran vocalist Pt Bhimsen Joshi dead

Relationships get marred when spouses are too close to each other


 A new study has suggested that relationships can get marred if spouses are too close to each other.




According to psychologists, when two people know each other too well they assume too much shared knowledge and their language becomes dangerously vague.
They believe that this "closeness communication bias" can lead to long-term misunderstandings, rows and even relationship problems.
The research by University of Chicago and Williams College in Massachusetts found that often couples and good friends communicate with each other no better than they do with strangers.
"People commonly believe that they communicate better with close friends than with strangers," the Telegraph quoted Prof Boaz Keysar, co-author, as saying.
"That closeness can lead people to overestimate how well they communicate. Your language can become so ambiguous. The brain becomes lazy.
"But it can backfire and the misunderstanding can lead to rows in the future," he stated.
Prof Kenneth Savitsky, who is Prof Keysar's colleague, said it was always important to bear in mind the point of view of others - no matter how close to them you are.
"Our problem in communicating with friends and spouses is that we have an illusion of insight. Getting close to someone appears to create the illusion of understanding more than actual understanding," co-author Prof Nicholas Epley added.
The research has been published in the journal of Experimental Social Psychology .

Sunday 23 January 2011

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की ११५ जयंती



भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक और जय हिन्द का नारा देने वाले सुभाष चन्द्र बोस जी की आज जयंती है. 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक नामक नगरी में सुभाष चन्द्र बोस का जन्म हुआ था. अपनी विशिष्टता तथा अपने व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों की वजह से सुभाष चन्द्र बोस भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.

netaji-subhash-chandra-boseस्वाधीनता संग्राम के अन्तिम पच्चीस वर्षों के दौरान उनकी भूमिका एक सामाजिक क्रांतिकारी की रही और वे एक अद्वितीय राजनीतिक योद्धा के रूप में उभर के सामने आए. सुभाष चन्द्र बोस का जन्म उस समय हुआ जब भारत में अहिंसा और असहयोग आन्दोलन अपनी प्रारम्भिक अवस्था में थे. इन आंदोलनों से प्रभावित होकर उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. पेशे से बाल चिकित्सक डॉ बोस ने नेताजी की राजनीतिक और वैचारिक विरासत के संरक्षण के लिए नेताजी रिसर्च ब्यूरो की स्थापना की. नेताजी का योगदान और प्रभाव इतना बडा था कि कहा जाता हैं कि अगर आजादी के समय नेताजी भारत में उपस्थित रहते, तो शायद भारत एक संघ राष्ट्र बना रहता और भारत का विभाजन न होता.

शुरुआत में तो नेताजी की देशसेवा करने की बहुत मंशा थी पर अपने परिवार की वजह से उन्होंने विदेश जाना स्वीकार किया. पिता के आदेश का पालन करते हुए वे 15 सितम्बर 1919 को लंदन गए और वहां कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन करने लगे. वहां से उन्होंने आई.सी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण की और योग्यता सूची में चौथा स्थान प्राप्त किया. पर देश की सेवा करने का मन बना चुके नेताजी ने आई.सी.एस. से त्याग पत्र दे दिया.

भारत आकर वे देशबंधु चितरंजन दास के सम्पर्क में आए और उन्होंने उनको अपना गुरु मान लिया और कूद पड़े देश को आजाद कराने. चितरंजन दास के साथ उन्होंने कई अहम कार्य किए जिनकी चर्चा इतिहास का एक अहम हिस्सा बन चुकी है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सुभाष चन्द्र बोस की सराहना हर तरफ हुई. देखते ही देखते वह एक महत्वपूर्ण युवा नेता बन गए. पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ सुभाषबाबू ने कांग्रेस के अंतर्गत युवकों की इंडिपेंडेंस लीग शुरू की.

लेकिन बोस के गर्म और तीखे तेवरों को कांग्रेस का नरम व्यवहार ज्यादा पसंद नहीं आया. उन्होंने 29 अप्रैल 1939 को कलकत्ता में हुई कांग्रेस की बैठक में अपना त्याग पत्र दे दिया और 3 मई 1939 को सुभाषचन्द्र बोस ने कलकत्ता में फॉरवर्ड ब्लाक अर्थात अग्रगामी दल की स्थापना की. सितम्बर 1939 में द्वितीय विश्व युद्व प्रांरभ हुआ. ब्रिटिश सरकार ने सुभाष के युद्ध विरोधी आन्दोलन से भयभीत होकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. सन् 1940 में सुभाष को अंग्रेज सरकार ने उनके घर पर ही नजरबंद कर रखा था. नेताजी अदम्य साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए सबको छकाते हुए घर से भाग निकले.

नेताजी ने एक मुसलमान मौलवी का वेष बनाकर पेशावर अफगानिस्तान होते हुए बर्लिग तक का सफर तय किया. बर्लिन में जर्मनी के तत्कालीन तानाशाह हिटलर से मुलाकात की और भारत को स्वतंत्र कराने के लिए जर्मनी व जापान से सहायता मांगी. जर्मनी में भारतीय स्वतंत्रता संगठन और आजाद हिंद रेडियो की स्थापना की. इसी दौरान सुभाषबाबू, नेताजी नाम से जाने जाने लगे. पर जर्मनी भारत से बहुत दूर था. इसलिए 3 जून 1943 को उन्होंने पनडुब्बी से जापान के लिए प्रस्थान किया. पूर्व एशिया और जापान पहुंच कर उन्होंने आजाद हिन्द फौज का विस्तार करना शुरु किया. पूर्व एशिया में नेताजी ने अनेक भाषण करके वहाँ स्थानीय भारतीय लोगों से आज़ाद हिन्द फौज में भरती होने का और आर्थिक मदद करने का आह्वान किया. उन्होंने अपने आह्वान में संदेश दिया “तुम मुझे खून दोमैं तुम्हे आजादी दूँगा.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आज़ाद हिन्द फौज ने जापानी सेना के सहयोग से भारत पर आक्रमण किया. अपनी फौज को प्रेरित करने के लिए नेताजी ने दिल्ली चलो का नारा दिया. दोनों फौजों ने अंग्रेजों से अंडमान और निकोबार द्वीप जीत लिए पर अंत में अंग्रेजों का पलड़ा भारी पड़ा और आजाद हिन्द फौज को पीछे हटना पड़ा.

6 जुलाई, 1944 को आजाद हिंद रेडियो पर अपने भाषण के माध्यम से गाँधीजी से बात करते हुए, नेताजी ने जापान से सहायता लेने का अपना कारण और आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना के उद्देश्य के बारे में बताया. इस भाषण के दौराननेताजी ने गांधीजी को राष्ट्रपिता बुलाकर अपनी जंग के लिए उनका आशिर्वाद मांगा. इस प्रकारनेताजी ने गांधीजी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता बुलाया.

द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद नेताजी को नया रास्ता ढूँढना जरूरी था. उन्होने रूस से सहायता माँगने का निश्चय किया था. 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचूरिया की तरफ जा रहे थे. इस सफर के दौरान वे लापता हो गए. इस दिन के बाद वे कभी किसी को दिखाई नहीं दिए. 23 अगस्त, 1945 को जापान की दोमेई खबर संस्था ने दुनिया को खबर दी कि 18 अगस्त के दिन नेताजी का हवाई जहाज ताइवान की भूमि पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उस दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होकर नेताजी ने अस्पताल में अंतिम साँस ले ली थी.

फिर नेताजी की अस्थियाँ जापान की राजधानी तोकियो में रेनकोजी नामक बौद्ध मंदिर में रखी गयीं. स्वतंत्रता के पश्चात, भारत सरकार ने इस घटना की जाँच करने के लिए, 1956 और 1977 में दो बार आयोग गठित किया. दोनों बार यह नतीजा निकला कि नेताजी उस विमान दुर्घटना में ही मारे गए थे. मगर समय-समय पर उनकी मौत को लेकर बहुत सी आंशकाएं जताई जाती रही हैं. भारत के सबसे बड़े स्वतंत्रता सेनानी और इतने बड़े नायक की मृत्यु के बारे में आज तक रहस्य बना हुआ है जो देश की सरकार के लिए एक शर्म की बात है.

नेताजी ने उग्रधारा और क्रांतिकारी स्वभाव में लड़ते हुए देश को आजाद कराने का सपना देखा था. अगर उन्हें भारतीय नेताओं का भी भरपूर सहयोग मिला होता तो देश की तस्वीर यकीकन आज कुछ अलग होती. नेताजी सुभाष चन्द बोस को हमारी तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि.

Thursday 20 January 2011

यूपी में प्रतिदिन गर्भ में मारी जा रहीं 547 बेटियां


यह विडंबना है कि जिस देश में मातृसत्ता की पूजा होती हो, वहां हर दिन सैकड़ों मांएं बेटे की लालसा में कोख में पल रही बेटियों को मार रही हैं। उ.प्र. में औसत प्रतिदिन 547 बेटियों के गर्भ में मारे जाने का रिकार्ड है। यह हाल तब है, जब भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार की ओर से जागरूकता के नाम पर हर साल करोड़ों फूंके जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने चिकित्सा विभाग को हिदायत दी है कि भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाया जाए, लेकिन यह फरमान बेअसर है। सूबे में 5000 से अधिक अल्ट्रासाउंड केंद्र लिंग जांच करने में सक्रिय हैं। 

  • 1000 / 972 (प्रति एक हजार (१०००) पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या)- जनगणना, १९०१
  • 1000 / 933 (प्रति एक हजार (१०००) पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या)- जनगणना, २००१
      • कानून-गर्भ धारण एवं पूर्व जन्म निदान (लिंग जांच निषेध) अधिनियम 1996 का अनुपालन कराने में सरकारी मशीनरी फेल साबित हो रही है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) के आंकड़ों के मुताबिक देश में सर्वाधिक भ्रूण हत्या उत्तर प्रदेश में हो रही है। यूपी में सालाना दो लाख कन्या भ्रूण हत्या का रिकार्ड है। गर्भ में बेटियों को मारने का इतना बड़ा रिकार्ड किसी राज्य में नहीं है। भ्रूण हत्या के खिलाफ मुखर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम सिंह कहती हैं कि मेडिकल काउंसिल, महिला आयोग और सरकारी तंत्र अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह हैं। अगर जिलास्तर पर लोग जागरूक रहें, तो इस पर अंकुश लग सकता है। दरअसल लिंग जांच परीक्षण में डाक्टर को डेढ़ से 5 हजार रुपये तक की कमाई होती है, जबकि सामान्य अल्ट्रासाउंड फीस में 3 से 4 सौ मिलते हैं। एक स्वयंसेवी संगठन की डॉ. साधना सिंह चिंता प्रकट करतीं हैं कि सूबे में एक हजार पुरुष पर 952 महिलाओं का औसत इसी कुरीति की वजह से है। वह दिन दूर नहीं जब ब्याह के लिए लड़कियों का टोटा होगा। अधिवक्ता कृष्ण बिहारी दुबे के मुताबिक कानून के तहत इस तरह के मामलों के दोषी लोगों को एक लाख जुर्माना और पांच साल कैद हो सकती है, पर इस कानून का कोई खौफ नहीं है।

Sunday 16 January 2011

world cup squad

Predicted  India’s World Cup squad







Good Luck INDIA

Saturday 8 January 2011

bring this letter signed by parents on monday

The Principal


SGTB Khalsa college University of Delhi

Delhi-7





Sir,

We are sending our ward------alongwith the college trip to Gwalior to attend 3 days national seminar(13-15 jan2011) with full confidence in the escorting staff.





Sign---



Name—



Address---

जोगिन्दर जी के जज्बे को सलाम






Thursday 6 January 2011

happy new year!

Saturday 1 January 2011

Happy New Year, Ringing in 2011


Celebrate the new year with resolutions, reflecting on the past while moving forward.
Happy New Year from all of us here at web journalism in du. Last night was a time to celebrate with family and friends gathered closed, reflecting on 2010 before raising a toast to what lies ahead.

1. Celebrate the new year with fun seasonal activities .
2. New Year's Eve and New Year's Day traditions call for making resolutions for the future. Tell us, what are your resolutions for 2011 by e-mailing the editor at shashank.archi2008@gmail.com. Check back later as this blog will share our resolutions to you, our readers, for 2011.