Sunday 30 November 2014

Thursday 27 November 2014

Monday 24 November 2014

अफ़साना निग़ार कृष्ण चंदर




कृष्ण चंदर की लेखनी का जादू ही है जो आज भी उनकी कहानियां व उपन्यास आज भी उतनी ही  शिद्दत से पढे जाते है। उनकी की कलम से निकले मोहब्बत के अहसास आज भी उतने ही ताजे है, जितने उन्होने लिखते वक्त जिये होगें उन्होंने प्यार भरे अफसानों  को जिस तरह से दिलों में उतरकर चांद की ठंडक से रूह में बसाया उतनी ही  शिद्दत से जिंदगी  की दुश्वारियों को पेश किया, उनकी रचनाओं मेंं  जहां जिंदगी की उबड़-खबड़ राह है तो वहीं मुहब्बत के रेशमी अहसास है। उन्होंने  अपनी रचनाओं में इस तरह पेश किया कि पढ़ने  वाला उसी में खोकर रह गया। इनकी रचनाओं में हर एक पाठक अपने आपको शामिल पाता है, चाहे वो फि र मोहब्बत के किस्सें हो या फिर जिंदगी की दुश्वारियां हो।  उनके उपन्यास मिट्टी के सनम में एक नौजवान की बचपन की यादें हैं, जिसका बचपन कश्मीर की हसीन वादियों में बीता। इसे पढ़कर बचपन की यादें ताज़ा हो जाती हैं। इसी तरह उनकी कहानी पूरे चांद की रात तो दिलो-दिमाग़ में ऐसे रच-बस जाती है कि उसे कभी भुलाया ही नहीं जा सकता है
भारतीय साहित्य के प्रमुख स्तंभ यानी उर्दू के मशहूर अफ़साना निग़ार कृष्ण चंदर का जन्म 23 नवंबर, 1914 को पाकिस्तान के गुजरांवाला जिले के वज़ीराबाद में हुआ। उनका बचपन जम्मू कश्मीर के पुंछ इलाक़े में बीता। उन्होंने तक़रीबन 20 उपन्यास लिखे और उनकी कहानियों के 30 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनके प्रमुख उपन्यासों में एक गधे की आत्मकथा, एक वायलिन समुंदर के किनारे, एक गधा नेफ़ा में, तूफ़ान की कलियां, कॉर्निवाल, एक गधे की वापसी, ग़द्दार, सपनों का क़ैदी, सफ़ेद फूल, प्यास, यादों के चिनार, मिट्टी के सनम, रेत का महल, काग़ज़ की नाव, चांदी का घाव दिल, दौलत और दुनिया, प्यासी धरती प्यासे लोग, पराजय, जामुन का पेड़ और कहानियों में पूरे चांद की रात और पेशावर एक्सप्रेस शामिल है

उनका उपन्यास एक गधे की आत्मकथा बहुत मशहुर हुआ। इसमें उन्होंने हिंदुस्तान की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को व्यंगात्मक शैली में चित्रित किया है। प्रख्यात साहित्यकार बेकल उत्साही ने कृष्ण चंदर का जिक्र  करते हुए एक बार कहा था, यह क़लमकार वाक़ई अल्फ़ाज़ का जादूगर था, जिसके शब्दों का जाल पढ़ने वाले को अपनी तरफ़ बरबस खींच लेता था। इसी तरह उनके समकालीन उर्दू उपन्यासकार राजेंद्र सिंह बेदी ने भी एक बार उनसे कहा था कि सिर्फ़ शब्दों से ही खेलेगा या फिर कुछ लिखेगा भी। बेकल उत्साही ने एक लेखक के तौर पर कृष्ण चंदर की सोच के बारे में कहा कि उन्होंने मज़हब और जात-पात की भावनाओं से ऊपर उठकर हमेशा इंसानियत को सर्वोपरि माना और इसी को अपना धर्म मानकर उसे ताउम्र निभाया। कृष्ण चंदर हिंदुस्तान और पाकिस्तान के अलावा रूस में ख़ासे लोकप्रिय थे। उन्होंने जीवन के संघर्ष और जनमानस की हर छोटी-बड़ी परेशानी का अपनी रचनाओं में मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने बंगाल के अकाल पर अन्नदाता नाम से कहानी लिखी। इस पर चेतन आनंद ने 1946 में धरती के लाल नाम से एक फिल्म बनाई। उन्हें 1969 में पद्मभूषण से नवाज़ा गया। 8 मार्च, 1977 को मुंबई में उनका निधन हो गया

Sunday 23 November 2014

PAK: आसामाजिक तत्वों ने हिन्दु मंदिर में लगाई आग

पाकिस्तान में एक हिन्दु मंदिर में कुछ अज्ञात लोगों ने आग लगा दी. यह घटना पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत की है जिसके बाद हिन्दु समुदाय के लोगों और स्थानीय राजनीतिक पार्टियों ने जमकर प्रदर्शन किया. पाकिस्तान हिन्दू परिषद के नेता रमेश वंखवानी ने बताया कि गुरुवार देर रात को टांडो मोहम्मद खान जिले में स्थित मंदिर में कुछ लोगों ने आग लगा दी जिसमें एक मूर्ति और कई धार्मिक किताबें जलकर खाक हो गईं.
खबरों के अनुसार हिन्दू पंचायत के नेताओं डॉक्टर गिरदारीलाल मिचरेमल गुल, बाबू पटेल और मोहन लाल ने इसे दंगा फैलाने की साजिश करार देते हुए लोगों से संयम रखने की बात कही. उन्होंने संघीय सरकार और स्थानीय सरकार से उपद्रवियों के खिलाफ सजा देने की मांग की है. वहीं इस घटना को लेकर टोंडो मोहम्मद खान पुलिस थाने में आगजनी करनेवाले अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और पुलिस तफ्तीश में जुट गई है. 

Friday 21 November 2014

सांसद कर्ण सिंह ने गोद लिया रिठाला गांव


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद डॉ. कर्ण सिंह ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के रिठाला गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है।  उन्होंने इस ऐतिहासिक गांव को गोद लेने का फैसला तब लिया जब कुछ  दिन पूर्व रिठाला वार्ड से पार्षद शशि गोपाल सिंह ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ डा0 करण सिंह से मुलाकात कर गांव की समस्याओं के बारे में अवगत कराया और रिठाला गांव को गोद लेने का आग्रह किया। लोगों को उम्मीद जगी है कि अब गांव की समस्याओं का समाधान होगा। उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तहत रिठाला दूसरा ऐसा गांव है, जिसे आदर्श ग्राम के रूप में चुना गया है। इसके पूर्व इस सीट से भाजपा के सांसद डॉ. उदित राज मुंडका इलाके के जौंती गांव को गोद लेने की घोषणा कर चुके हैं।
इतिहास-

रिठाला  गांव करीब 782 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि मुगलकाल में पास के पूंठ गांव में रहने वाले क्षत्रिय समाज के चौदह भाई मुगलों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। चौदह राणा का मन्दिर आज भी पूंठ गांव में स्थिति है। उस समय 13 भाइयों की पत्नियों ने भी कुंए में कूद कर जान दे दी थी। एक भाई की पत्नी गर्भवती थी, जिसने बाद में बेटे को जन्म दिया। उन्हीं के बेटे राणा राजपाल सिंह ने रिठाला गांव बसाया था। इस गांव का पहले नाम रथवाला हुआ करता था। जो समय के साथ बिगड़ते-बिगड़ते रिठाला हो गया। राणा राजपाल क्षत्रियों के सोमवंश से ताल्लुक रखते थे,  आज भी उनके वंशज इस गांव में रहते हैं।

डॉ॰ कर्ण सिंह  के बारे में

83 वर्षीय डॉ॰ कर्ण सिंह  कश्मीर के राजा हरि सिंह के पुत्र है और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। पद्म विभूषण प्राप्त कर्ण सिंह ने अठारह वर्ष की ही उम्र में राजनीतिक जीवन में प्रवेश कर लिया था और वर्ष 1949 में प्रधानमन्त्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता ने उन्हें राजप्रतिनिधि (रीजेंट) नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात अगले अठारह वर्षों के दौरान वे राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और अन्तत: राज्यपाल के पदों पर रहे। 1967 में डॉ॰ कर्ण सिंह प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। इसके तुरन्त बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के उधमपुर संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष 1971, 1977 और 1980 में पुन: चुने गए। डॉ॰ कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। 1973 में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। 1976 में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। 1979 में वे शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने।
डॉ॰ कर्ण सिंह देशी रजवाड़े के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से प्रिवी पर्स का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर भारत में मानव सेवा के लिए स्थापित 'हरि-तारा धर्मार्थ न्यास' को दे दी। उन्होंने जम्मू के अपने अमर महल (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया। इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक भारतीय कला का अमूल्य संग्रह तथा बीस हजार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ॰ कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
डॉ॰ कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएं अंग्रेजी में लिखी हैं। उनके महत्वपूर्ण संग्रह "वन मैन्स वल्र्ड" (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफी सराहना हुई है। उन्होंने अपनी मातृभाषा डोगरी में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और पश्चिमी साहित्य और सभ्यता की विस्तृत जानकारी के कारण वे भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में जाने जाते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका में भारतीय राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, लेकिन इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली।


रिठाला गांव की समस्याएं

1 गांव के संपर्क पथ बंद होने के कारण आवागमन में परेशानी
2. पार्किंग की कमी
3. बेहतर सड़कों का अभाव
4. जल निकासी के लिए सीवर लाइन की कमी

रिठाला गांव एक  नजर में

आबादी- करीब 7 हजार
समुदाय - राजपूत, ब्राह्मण, जाट, वाल्मीकि, अन्य पिछड़ा वर्ग के अलावा पूर्वाचल के प्रवासी लोगों की आबादी है।
पेशा- क्षेत्र के ज्यादातर लोग लघु उद्योग से जुड़े हैं। गांव में कई छोटी बड़ी फैक्ट्री भी हैं ।
शैक्षणिक स्तर- 75 फीसद लोग शिक्षित हैं।
लिंगानुपात- 60-40
पानी की व्यवस्था- जलबोर्ड की पाइप लाइनें बिछाई गई हैं। पानी की सुविधा बेहतर है।
परिवहन सुविधा- बसों के आवागमन की सुविधा अच्छी है। सुबह-शाम बसें उपलब्ध होती हैं।
गांव के पास ही रिठाला मेट्रो स्टेशन भी है।


Thursday 20 November 2014

JARAWA 

There are many tribes in India like  khasi tribes, bhil tribes, angami tribes, Jarawa tribes etc. The Jarawa tribe are one of the tribe who lives in the Andaman island in India. Their present number are estimated at between 250-400 individuals.Meaning of the name of jarawa is "people of the earth" or "hostile people" in Aka-Bea. , jarawa of both the sexes go completely naked, but they wear some ornaments. With the increased contact with the outsiders of jarawa they wear cloths which they called up as kangapo. The language they speak is known as "Onge". The jarawa  both sexes decorate their bodies and face with clay. They eat wild boar, turtles, and their eggs, crabs, fruits and honey. Mostly they depend on hunting, fishing and gathering activities and fruits like jack fruit and honey.Although the supreme court of India banned in 2002 their highway which jarawa can reserved.





 

Wednesday 19 November 2014

गरम हवा एक बार फिर पहुंची सिनेमाघरों में


1973 में बनी गरम हवा एक बार फिर सिनेमाघरों में लगी है। भारत व पाकिस्तान विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी इस्मत चुगताई की एक अप्रकाशित कहानी पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म में बलराज साहनी के शानदार अभियान को आज तक सरहाया जाता है। देश विभाजन के बाद एक मुस्लिम परिवार का भारत मेें रहने का फैसला,उनके द्वारा सांप्रदायिक माहौल में पैदा हुई तल्खी को झेलना,का न केवल मार्मिक चित्रण है बल्कि उस गरम और बेहद शुष्क काल खण्ड़ का सजीव चित्रण भी जहां पर इंसन चाहकर भी इंसानियत नहीं निभा पा रहा था।
यह फिल्म अपने विभाजन की पृष्ठभूमि के अलावा अपने संवादों के लिए भी जानी जाती है। जो उस समय के माहौल के हरेक दृश्य को संवादों के जरिये से पर्दे पर उतारा गया है। इसमें बलराज साहनी और तांगेवाले की बातचीत शामिल है, जिसमें तांगेवाला कहता है, बड़ी गर्म हवा है मियां,जो उखड़ा नहीं सूख जावेगा मियां। इन संवादों के अलावा आगरा को फिल्म का घटनास्थल बनाया गया है। वहां की हरेक जगहा जैसे ताजमहल,फतेहपुर सीकरी, सलीम चिश्ती की दरगाह और आगरा की गलियों का बहुत बारीकी और सजीवता के साथ चित्रण घटनाक्रम को आगे बढ़ाने में मदद ही नही करता उसकी ऐतिहासिकता भी बताता है।
इन बातों के अलावा फिल्म के निर्माण और प्रसारण से भी कई रोचक तथ्य जुड़े हैं,कहा जाता है कि फिल्म निर्माता निर्देशक एमएस सथ्यू कई कलाकारों को उनका महेनताना नही दे पाये थे। शुरू में  इस फिल्म को रिलीज करने के लिए जरूरी सर्टीफिकेट तक नहीं मिल पाया था। एक साल लम्बे संघर्ष के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहले खुद यह फिल्म देखी तब इस फिल्म को रिलीज करने का अधिकार मिला,मगर फि र भी यह फिल्म यूपी में रिलीज न हो सकी।
अब 41 साल बाद इस फिल्म को फिर से रिस्टोर कर के दिल्ली सहित आठ मेट्रोज में रिलीज किया गया है। इस फिल्म की चौंकाने वाली  बात यह की तब मात्र 10 लाख में बनी इस फिल्म के रिस्टोरेशन पर एक करोड़ रूपये खर्च हुए है और रिस्टोर करने में डेढ़ साल लगा।

इतना गुस्सा क्यूं हैं भाई


यूएन रिपोर्ट के मुताबिक 10 मे से 6 भारतीय ने अपनी पत्नी के साथ हिंसा की बात मानी हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा यूएन वल्र्ड पॉपुलेशन फंड़ यूएनएफपीए और वॉशिंगटन बेस्ड इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वुमन की जॉइट स्टडी में हुआ।
वहीं नेशनल क्राइम रिकॉड्र्स ब्यूरो 2013 के आंकडे बताते है कि 38 प्रतिशत मामलों में महिला का अपना पति सा करीबी शामिल था। पूरे देश के आंकडों पर नजर डाले तो पायेंगे की महिलाओं के प्रति 309546 दर्ज मामलों में से 118866 में पति या उसके परिवार वाले ही हिंसा करने में शामिल  थे।
हिंसा के इन मामलों में शारीरिक हिंसा आम है। आपसी कहासुनी का शारीरिक हिंसा में तब्दील होने का प्रतिशत 52 है। जिसमें 3158 महिलाओं ने स्वीकारा की उन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी तरह की शारीरिक हिंसा झेली है। इनमें थप्पड़ मारना,लात मारना, दबाना,जलाना,शामिल था। वहीं इस अध्ययन में यह बात भी सामने अयी की ज्यादातर महिलायें इस तरह की होने वाली हिंसा को छिपाती भी है। क्योंकि उनके अनुसार वैवाहिक रिश्तों में ऐसा होना सामान्य है। इतना ही नहीं कुछ महिलाएं यह भी मानती है कि उनके उपर पुरूषों का कंट्रोल होना चाहिए।
सबसे ज्यादा हिंसा की बात ओडिशा और यूपी में देखने में आई। यहां 70 प्रतिशत से ज्यादा पुरूषों ने माना कि वे पत्नी के प्रति इस तरह का हिंसक बर्ताव करते हैं।
क्या है हिंसा
इस अध्ययन में हिंस को चार हिस्सों में बांटा गया है, इमोशनल, फिजिकल,सेक्सुअल और इकॉनमिक हिंसा। इमोशनल में बेइज्जती, धमकाना या डराना शामिल है। फिजिकल और सेक्सुअल में धक्का देना, मारन या रेप शामिल है। इकॉनामिक हिंसा यानी पत्नी को नौकरी करने से रोकना, पत्नी की सैलरी छीन लेना आदि।
 क्यों होता है ऐसा
रिपोर्ट की  माने तो जिन पुरूषों ने बचपन में भेदभाव झेला वो बड़े होकर अपनी पत्नियों पर हिंसा करने में  चार गुना आगे थे। इसी तरह आर्थिक तंगी झेल रहे पुरूष भी हिंसा करने में आगे थे। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में समाज और परिवार में शुरूआत से लिंग के आधार पर जिम्मेदारियों का बांटवारा है। जिसकी वजह से यह सामाजिक,आर्थिक स्थिति और बचपन के अनुभव भी बड़ी अहमियत रखते है।
बेहतरी का रास्ता
यूएनएफपीए इंड़िया इस ओर बहेतरी के उपायों के लिए ,हिंस की वजहों की पड़ताल पर जोर देती है। जिसमें पुरूषों व लड़कों मेंं बदलाव के लिए सही प्रोग्राम चलाने में बदलाव के लिए सही प्रोग्राम चलाने में मदद मिलेगी।  उन चीजों की भी पहचान की गई है। उन चीजों की भी पहचान की गई है। जिनमें पुरूष बदलाव या बहेतरी का जरिया बनेंगे और लैगिंक भेदभाव की समस्या सुधरेगी।


Sunday 16 November 2014

Lectures on Sports and law will start at 1 on 18/11/2014

Hi All,

Vikrant Narayan r is giving lecture on Intellectual Property Law  and Sports  at 1 pm ,followed by lecture by Arjun J Chaudhuri on Sports Law..
Ensure your attendance .
Dr Smita Mishra

Friday 14 November 2014

लोक सेवा प्रसारण दिवस 

नई दिल्ली :- १२ नवंबर को प्रसारण भवन द्वारा लोक सेवा प्रसारण दिवस का आयोजन किया गया।  यह                           दिवस महात्मा गांधी द्वारा आज के दिन ही १९४७ में प्रसारण  भवन से एक भाषण का परासरण किये जाने के सन्दर्भ में आयोजित किया जाता हैं।  प्रसारण भवन के प्रसंग में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारम्भ आकाशवाणी के कलाकारों द्वारा वाद्येविन्द् कलाकारों के संगीत कार्यक्रम से हुआ।  इस के बाद आकाशवाणी के ज्ञानविंद कलाकारों द्वारा संत कबीर , सूरदास जी , और गुरु नानक देव जी , के भजनो को गाकर गांधी जी को अपने श्रधासुमन  अर्पित किये। प्रसारण भवन के इस आयोजन में स्कूली बच्चो ने भी बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। बाल भर्ती मनेस्वर गुडगाँव के बच्चो ने संगीतमय काव्यगान कर इस आयोजन को और भी अश्स्वनिये कर दिया। 





गांधी के भाषण की स्मृति में मनाया गया लोक सेवा प्रसारण दिवस






नई दिल्ली।। 12 नवम्बर को महात्मा गांधी के आकाशवाणी से एक मात्र सजीव प्रसारण के 67 वर्ष पूरे होने की स्मृति दिवस में प्रसारण भवन में लोक सेवा प्रसारण दिवस समारोह का आयोजन किया गया।
 ज्ञात हो कि 12 नवम्बर 1947 को महात्मा गांधी का प्रसारण भवन  से भाषाण प्रसारित किया गया था। महात्मा गांधी को 11 नवम्बर 1947 को कुरूक्षेत्र में आये ढाई लाख विस्थापितों से मिलने जाना था,मगर ऑल इण्ड़िाय कांग्रेस कमेटी की मींटिग के चलते वह उस दिन कुरूक्षेत्र नहीं जा पाये थे। इस व्यस्तता को देखते हुए गांधी जी को सलाह दी गई की वह आकाशवाणी के माध्यम से कुरूक्षेत्र में आए विस्थपितों से बात करें। अत: 12 नवम्बर 1947 को प्रसारण भवन के एक स्टूड़ियों को प्रार्थना सभा का रूप दिया गया और गांधी जी ने विस्थपितों को अपनी संवेदना प्रकट की थी।
स्मृति दिवस के रूप में आयोजित इस समारोह का आयोजन प्रसारण भवन के प्रांगण में किया गया, समारोह का शुभांरम्भ आकाशवाणी के वाद्य वृन्द कलाकारों ने सितार,संतूर, तबला, गिटार, वॉयलन,हॉरमानियम और बांसुरी पर गांधी के प्रिय भजन वौष्णव जन भजन को संगीतमय बनाया। इसके बाद आकाशवाणी के ही गान वृन्द कलाकरों ने सुरेश मिश्रा द्वारा रचे भजनों की प्रस्तुति  दी जिसका आरम्भ कबीर के भजन साधौ सहज समाधि भली से हुआ  उसके बाद नानक सूरदास के भजनों को प्रस्तुत किया गया।
प्रसारण भवन के इस समारोह में स्कूली बच्चों ने भी भाग लिया। बाल भारती स्कूल मानेसर के बच्चों ने संगीतमय काव्य गान प्रस्तुुत कर अपने श्रद्धासुमन गांधी को अर्पित कर इस समारोह को ओर भी अवस्मरणीय  बना दिया।
गांधी स्मृति मेें आयोजित इस समारोह में प्रति वर्ष दिये जाने वाले लोक सेवा प्रसारण पुरस्कार का आयोजन भी किया गया। इस बार गांधी दर्शन श्रेणी का पुरस्कार डोमनीक नोमस की गांधी-फु ट सोल्जर को दिया गया। वहीं लोक सेवा प्रसारण श्रेणी का पुरस्कार जम्मू रेडियो के संदीप शर्मा की प्रस्तुति जीवन रेखा को दिया गया। इस पुरस्कार आयोजन के साथ ही लोक सेवा प्रसारण दिवय का समापन हुआ।

कायम है बेटों का मोह

कायम है बेटों का मोह
जहां एक ओर बेटों पर बेटियों का गिरते ग्रफा पर सरकार और समाजशास्त्री चिन्तित है और नये-नये सुझाव देकर बेटियों की संख्या बढ़ाने की बात कर रहे हैं। वही दूसरी  और समाज मे बेटों के मोह की पुरातनी सोच आज भी कायम है।
बेटों का यह मोह हरियाण,पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ज्यादा है जहां पर आश्चर्जनक रूप से लडकियों की संख्या कम है और चिन्ताजनक है। यूएन के पॉपूलेशन फंड़ और इन्टरनेशनल सेन्टर फॉर रिसर्च ऑन वूमेन के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन तीन राज्यों के अलावा चार अन्य राज्यों के करीब हर तीसरे पुरूषा और महिला पर किये गये सर्वे के अनुसार लड़के की चाहत रखते है।
यूएन के इस सर्वे में उत्तर प्रदेश,राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,उड़ीसा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के 18 से 49 आयु वर्ग के 9205 महिला और पुरूषों को शामिल किया गया। यह वह राज्य है जिनका जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा है। इस सर्वे के अनुसार इन लोगों के लैंगिक रूप में लड़की की अपेक्षा लड़के को तरजीह दी। इस सर्वे केअनुसार पुरूष 67 प्रतिशत और महिलाएं 47 प्रतिशत ने लड़के और लड़की के लिए समान इच्छा जाहिर की । वहीं लड़कियों पर लड़कों को तरजीह दी साथ ही ज्यादा लड़कों की वकालत करने वाले भी थे  ऐसे लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले  कम पढ़े लिखे और पुरातन रीतिरिवाजों को मानने वाले थे। इसी के साथ 81 प्रतिशत स्त्री  और 76 प्रतिशत पुरूषों ने घर में कम से कम लड़के के होने की बात पर जोर दिया। इस सर्वे का एक चौंकानें वाला सच यह था कि इस रिपोर्ट के अनुसार इन में से आधे से ज्यादा ऐसे लोग थे जिन्हें जन्म पर लिंग की पहचान करना गैरकानूनी है,पर बने कानून के विषय में जानकारी नही थी

तरोताजगी के लिए बेहतर है सेड म्यूजिक

तरोताजगी के लिए बेहतर है सेड म्यूजिक
आप परेशान है, पुरानी यादें या पुराने दोस्त या बिछड़ा हुआ कोई खास याद आ रहा है,तो सेड सान्ग सुनिये यह आपको राहत देगें और तरोताजा करने में भी मदद करेगें।
ऐसा हम नहीं वर्लिन की एक यूनिवर्सीटी के एक सर्वे में यह बात समाने आयी है। यूनिवर्सीटी द्वारा दुनिया भर के 1722 लोगों पर किये  गये अध्ययन में यह बात सामने आई कि खुशगवार गीत संगीत की तुलना में सेड सान्ग हमारे लिए भावनात्मक तौर पर ज्यादा फायदेमन्द  होते है। यह जानकारी चार अलग श्रेणी में बांट कर हासिल की गई है। जैसे पुराने दिनों की यादें ,भावनात्मक, दुखात्मक और जो नहीं है उसकी कल्पना। यह देखने में आया है कि किसी दुख से ज्यादा पुराने सुखद दिनों की यादें इस व्यवाहार को जन्म देती है।
इस अध्ययन में पाया गया जहां अमेरिकी और यूरोपियों को सेड म्यूजिक बीते दिनों में ले जाता है तो वहीं एशिया के लोगों को ऐसे गाने व म्यूजिक शांति प्रदान  करते है।

बदलते मीडिया के साथ बदलना होगा

बदलते मीडिया के साथ बदलना होगा
नई दिल्ली।। आज मीडिया सार्वजनिक और सरकारी प्रसारण से आगे निकल चुका है और इसे गम्भीरता से लेना होगा। मोदी सरकार की कैबिनेट में हुए फेरबदल के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त पदभार संभालते हुए अरू ण जेटली ने मीडिया से रू-ब-रू होते हुए कहीं।
ज्ञात हो जेटली 1999 की वाजेपयी सरकार में भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय संभाल चुके है।
जेटली ने अपनी बात आगे बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि  उन्हें 1999 में जब यह जिम्मेदारी मिली थी, तब इलेक्ट्रोनिक मीडिया से ज्यादा प्रिन्ट का बोलवाल था मग र आज की स्थिति एकदम से अलग और खबरें ज्यादा गतिमान होगी हैं। आज हम रेडियो और डिजिटिल मीडिया के एक  नये आयाम और क्षेत्र को देख रहे हैं।
वहीं सूचना और प्रसारण राज्या मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि पहले एक समय था की संचार एक तरफा और संकुचित था। मगर अब हम मिलकर मीडिया के इस नये आयाम को नया परिदृश देना का प्रयास करेगें और इस एक तरफा वार्ता को द्विपक्षीय वार्ता में तब्दील करने की भी कोशिश की जायेगी।

Wednesday 12 November 2014

सचिन तेंदुलकर के साथ कई नामी हस्तियों ने लिया मैराथन रन फॉर यूनिटी  में भाग 

नई दिल्ली :- सीआरपीएफ द्वारा आयोजित मैराथन रन फॉर यूनिटी का  उद्धघाटन  क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने सीआरपीएफ के महानिदेशक दिलीप त्रिवेदी के साथ मिल कर किया। कई नामी हस्तियां जैसे शर्मीला टैगोर, नाना पाटेकर, जॉन अब्राहम तथा मैरी कॉम जैसे कई खिलाडियों ने इस दौड़ में हिस्सा लेकर अपनी उपस्तिथि दर्ज कराइ। यह दुनिया के सबसे बड़े सशस्त्र पुलिस बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की (सीआरपीएफ) की पहली  विशेष पहल है। सीआरपीएफ द्वारा इस मैराथन को एथलेटिक फेडरेशन ऑफ़ इंडिया का समर्थन हासिल हुआ। 


इस अवसर पर सचिन तेंदुलकर बेहद उत्साहित नजर रहे थे, उन्होंने कहा की इस इवेंट में सभी लोग सीआरपीएफ के बलिदान और बहादुरी का समर्थन करने के मिशन में एकजुट है। उन्होंने बताया की इस आयोजन में वे हिस्सा लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहे है।


२७ जुलाई , १९३९ को स्थापित हुए सीआरपीएफ का इतिहास विभिन्न लड़ाइयों में जीत के बलिदान और साहस की कहानी बताई है। इस बार सीआरपीएफ द्वारा ७५ वर्ष पुरे होने की ख़ुशी में हरिक जयंती मनाते हुए मशहूर मुक्केबाज मेरी कॉम द्वारा शहीदो के परिवारो के घरो का दौरा तथा उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया। मैराथन के लिए अवार्ड से वीर शहीदो को उनके नाम की ट्रोफियों के साथ सम्मानित किया गया। 

पुरे वर्ष सीआरपीएफ द्वारा आयोजित विभिन्न आयोजनो के आंतरिक हिस्से के तौर आयोजित हुई। इस मैराथन को एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया का समर्थन हासिल हुआ। इस अवसर पर केवल जवानो ने ही नहीं बल्कि नागरिको ने भी जोर शोर से भागीदारी के जरिये अपनी एकता एवंम समर्थन अभिव्यक्त किया। सीआरपीएफ ने इस मैराथन को आगे के वर्षो मैं जारी रखने के लिए अपना उत्साह प्रकट किया है।












Monday 10 November 2014

Todayz class at 1


Sunday 9 November 2014

Now classes and participation in class activities are must to get eligibility for final presentation


विश्व के शीर्ष पांच खिलाड़ी 
नई दिल्ली : आज साइना नेहवाल ने अपनी कामियाबी की एक सीढ़ी चढ़ते हुए विश्व की  बैडमिंटन महिला  महासंघ में पांच खिलाड़ियों में से एक हैं। यह साइना डेनमार्क और फ्रेंच ओपन टूर्नामेंट में पहुँचने की वजह से ये विश्व के शीर्ष पांच में पहुंचने में सफल रही। लेकिन इन दोनों टूर्नामेंट में वह विश्व की चीनी खिलाडी शिजियान वांग जो नंबर २ पर थी उस से हार गयी. पि.वी  सिंधु फ्रेंच ओपन टूर्नामेंट के  पहले दौर में पीछे रहे गयी लेकिन उन्होंने अपनी दसवी पदवी सलामत रखी. किदाम्बी श्रीकांत पहले से ही अपने १६ वी जगह पर है. पहले से ही परुली कश्यप पिछले दो टूर्नामेंट में अपनी मेहनत और दाव पर चौथे रैंकिंग ऊपर १७ वी स्थान पर पहुंच गए. वह फ्रेंच ओपन के सेमीफइनल पर आ गए . और भारत की महिला युगल जोड़ी ज्वाला गुट्टा और अश्वनी पोनेपाप्पा दो सीडियां चढ़ते  हुए २० वी स्थान पर आ गयी है . भारतीय शीर्षे पुरुष युगल और मिश्रित युगल में से कोई भी २५ में शामिल नही है.   

  रणबीर कपूर की तारीफ की हॉकी स्टार संदीप सिंह ने 

 

नई दिल्ली :- आज के दौर के बेहतरीन खिलाड़ियों  में से एक संदीप  सिंह जो की हॉकी खेलते है उनपर एक फिल्म दर्शाई जा रही  है।  एमसी मेरी कॉम के बाद अगर  किसी  खिलाडी पर फिल्म बनने जा रही है तो वे हॉकी स्टार  संदीप सिंह है।  इस ड्रैग फ्लिकर की  खुआइश  है की रणबीर कपूर रुपहले परदे पर उनका किरदार निभाए।

अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह जो अब फिल्म निर्माता बनने जा रही ह रही है वो इस फिल्म को बनाएंगी।

हैंपशर काउंटी खेल रहे इन दिनों संदीप सिंह ने बताया की चित्रांगदा सिंह के इस फैसले से मैं बहुत खुश हूँ की मेरी कहानी लोग परदे पर देखेंगे। संदीप ने अपनी इच्छा बताते हुए कहा की मैं चाहता हु की मेरा यह किरदार रणबीर कपूर निभाएं क्योंकि  एक तो वे मेरे मनपसंद नायक हैं तथा उन्होंने राकेट सिंह फिल्म मैं एक सरदार की भूमिका बहुत अच्छी निभाई है और वे काफी जचे भी  सरदार के किरदार मे।  वैसे तो नायक कौन होगा यह सब निर्माता तय करता ह परन्तु मेरी खुआइश हे की मेरा किरदार रणबीर ही निभाए।

 हैंपशर काउंटी में होवेट क्लब के लिए इस सत्र में पांच मैचो में १० गोल कर चुके संदीप ने बताया की इस फिल्म में लोगो को संदेश भी मिलेगा की अगर इच्छा शक्ति हो तो आप कामयाबी की सीडियां चढ़ सकते  हैं।  हॉकी स्टार संदीप सिंह जिनको सरदारा भी कहा जाता हैं २००६ मैं चोट लगने के बाद जब उन्होंने  वापसी की  
उसका जिक्र करते हुए तथा युवराज सिंह की बीमारी का जिक्र करते हुए बताया की ऐसी कहानियों से प्रेरणा लेनी चाहिए! 

सरदारा ने बताया की वे उम्मीद करते  जैसे दूसरे खिलाडियों की फिल्म को लोगो ने सरहाया है वैसे ही उनकी फिल्म को भी सरहाएंगे!

खूबसूरती बनी टीवी एंकर के लिए आफत

किसी का खूबसूरत होना उसी के कैरियर के लिए आफत बन जाए ऐसा शायद ही कहीं देखा होगा लेकिन ऐसा ही कुछ सर्बिया की एक महिला टीवी रिपोर्टर के साथ हुआ जहां उसकी खूबसूरती की वजह से उसके खेल के मैदान में घुसने पर बैन लगा दिया गया है. मामला इतना बढ़ गया है कि दुनियाभर की मीडिया में इसकी चर्चा हो रही है. इसके साथ ही सोशल मीडिया इस रिपोर्टर के साथ आ खड़ा हुआ है.
बता दें कि कुछ दिन पहले 25 साल की टीवी रिपोर्टर कैटरीना स्रेकोविच को लेकर एक फुटबाल टीम के खिलाड़ियों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि वे उनकी खूबसूरती की वजह से अपने खेल पर ध्यान नहीं दे पा रहें हैं. वहीं कटरीना को ये लगता है कि उनकी खूबसूरती के वजह से शायद अब उनकी नौकरी न छिन जाए.
टीवी रिपोर्टर का यह भी दावा है कि उसे कई बार मैदान से हटने को कहा गया क्योंकि लोगों ने कहा कि वह उनका ध्यान भटका रही हैं. इसके बाद कटरीना को बाहर जाने के लिए कह दिया गया. कटरीना ने बताया कि कई बार इंटरव्यू के दौरान खिलाड़ी उनके सवालों का जवाब नहीं दे पाते थे और सिर्फ उन्हें घूरते रहते थे.

बता दें कि कटरीना के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली इस टीम का नाम है रेड स्टार बेलग्रेड. यह टीम सर्बियन सॉकर लीग में काफी मजबूत टीम के तौर पर जानी जाती है.

Saturday 8 November 2014

Arjun Kapoor chosen as the new ambassador for FC Pune City

Mr. Arjun Kapoor , icon for the youth was introduced as new brand ambassador for FC pune city. The announcement came from Mr. Hrithik  Roshan , co-owner of FC pune city ahead of the team's match with FC Goa at Balewadi stadium. At the press conference the officials of FC pune city discussed their new move along with Mr. Arjun Kapoor. Mr. Gaurav Modwel CEO of FC pune city said that they want to be associated with people who share common passion for sports and football. With their tie up with ACF Fiorentina, their partnership with Mr Hrithik Roshan as co owner, and their current signing up of Mr Arjun Kapoor as their brandambassador. He added that they are today a strong group of young and passionate football lovers who will not only expand the reach of FC pune City to the masses but also be apart of the club's extended think tank.
Mr Arjun Kapoor , who follows the Chelsea FC of EPL, will now keep up with FC pune city. He added that the enthusiasm an the interest in the sports is what drives him to be a part of this mega league. Football has always been very dear to him and he grew up playing and following football. Mr. Roshan exclaimed "we are proud to have Arjun Kapoor as FC pune city's ambassador.I have known him from a long time and ever since I remember, football has been an integral part his life".
FC Pune City will look forward with Mr Arjun Kapoor for its next match against FC Goa and will try to make the best out of it.

secreat of taysan

                        टायसन का सनसनीखेज खुलासा 

     हमेशा  विवादों तथा सुर्ख़ियों में रहने वाले पूर्व वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियन मुक्केबाज टायसन ने अमेरिकी रेडियो में ये खुलासा करके सबको चौंका दिया की ७ साल की उम्र में कोई अनजान  और उम्रदराज व्यक्ति ने जबरन उनका यौन शोसन किया था।  अपने दमदार मुक्के से विरोधी को पानी पीला देना वाला यह मुक्केबाज इस घटना का जिक्र न पोलिस से किया था नाही  आपने माँ बाप से। 
                                     टायसन का विवादों से चोली दामन का नाता  रहा है। २० साल की उम्र में सबसे कम उम्र के वर्ल्ड मुक्केबाज टायसन एक बार रेप के आरोप में ३ साल की हवालात भी काट चुके है। वापसी रिंग पे आने के बाद अपने विरोधी होलीफील्ड का कान  खाने तथा कोकीन रखने का भी उन पर आरोप लग चुके है। 

cricket for malala

                             अब क्रिकेट में मलाला
                        or मलाला को क्रिकेटिया सम्मान
                      or मलाला   ___क्रिकेट का सम्मान
                    or  मलाला बानी क्रिकेट की उदहारण
                  or  मलाला से क्रिकेट  को प्रेरणा
                 or  क्रिकेट और मलाला
                       or  अब महिला क्रिकेट को प्रेरित करेंगी मलाला
           नावेल शांति पुरस्कार विजेता तथा पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा मलाला को पीसीबी अपने स्तर से सम्मानित करने का फैसला लिया है। पाकिस्तान में पहली बार आयोजित होने वाली अंडर 21 महिला क्रिकेट चैम्पियनशिप का नाम मलाला यूसुफजई के नाम से होगा। दिसंबर से शुरू होने वाले इस टूर्नामेंट में 12  रीजनल टीमों में मुक़ाबला होगा। 

Wednesday 5 November 2014

“INDIA SPORTS 2014” NOVEMBER 6-8, 2014. session starts at 10

SPECIAL INVITATION
“INDIA SPORTS 2014”
NOVEMBER 6-8, 2014
GATE NO. 1 - MAJOR DHYANCHAND NATIONAL STADIUM, NEW DELHI
Greetings from FICCI!
 
We are pleased to inform you about INDIA SPORTS 2014 which is an initiative of Ministry of Youth Affairs & Sports; Federations of Indian Chambers of Commerce & Industry (FICCI) in association with Sports Authority of India (SAI) is schedule to be held from 6-8 November, 2014 at Major Dhyan Chand National Stadium, New Delhi. The main theme of “India Sports 2014” is “Making India as a Sporting Nation”.
 
“India Sports 2014” has following components:
  •          “TURF 2014” 6th Global Sports Summit, An International Conference on Business of Sports
  •          International Exhibitions
This is going to be a strategic dialogue platform to bring together senior decision makers and who’s who of Indian and International Sports industry to deliberate on profitable promotion and grassroots development of the sport in the country.
 
We are expecting many National & International Organizations along with stalwarts from Industry and Senior Officials from Sports Federations and Associations, Sports Authority of India, corporates and management co. to participate in India Sports. Expert speakers will bring innovative ideas and exclusive insights on the major issues and growing opportunities in the field of sports.
 
We would be pleased to have you with us at this very important event