Tuesday 11 December 2012

आजादी की लड़ाई में अकेले पड़ गये असीम त्रिवेदी

शनिवार को आनन फानन में असीम त्रिवेदी ने अपने जिन पंज प्यारों के सात दिल्ली के जंतर मंतर पर अभिव्यक्ति के आजादी की लड़ाई शुरू की थी आज तीसरा दिन आते आते वे अकेले पड़ गये हैं। पहले दिन मीडिया ने जरूर थोड़ी उत्सुकता दिखाई और रविवार को कुछ अखबारों में खबर एवं फोटो प्रकाशित हुई लेकिन सोमवार को सन्नाटा छा गया। मुंबई में अपनी गिरफ्तारी और बिग बॉस के कारण चर्चित हुए कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी द्वारा शुरू की गई अभिव्यक्ति की आजादीवाली लड़ाई में लोगों का साथ नहीं मिला है। ऊपर से पुलिस पूरी टीम पर दबाव डाल रही है कि जितना जल्दी हो वे लोग अपना तंबू उखाड़ ले। बहरहाल, अनशन के तीसरे दिन भी अभी असीम अपने साथियों के साथ जंतर मंतर पर ही बैठे हुए हैंसोमवार को शाम चार बजे जब समाचार जगत के लिए न्यूज जुटाने का पीक टाइम होता है उस वक्त चार से पांच बजे के बीच भी न तो कोई टीवी कैमरा वहां नजर आया और न ही कोई फोटोग्राफर असीम के आंदोलन को कैमरे में कैद करता नजर आया। लोगों की मौजूदगी के नाम पर खुद असीम त्रिवेदी, आलोक दीक्षित और उनके पांच सात साथी ही नजर आ रहे थे। अभिव्यक्ति की आजादी की इस लड़ाई में लोगों के इस असहयोग के बारे में जब हमने असीम त्रिवेदी से जानना चाहा तो उनका कहना था कि लोगों को सूचना नहीं मिल पा रही है इसलिए लोग बड़ी संख्या में यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्हें लगता है कि अगर व्यापक पैमाने पर इस अनशन की जानकारी यूथ को होती तो यूथ जरूर इसमें पार्टिसिपेट करता। असीम और उनके साथियों का मानना है कि परीक्षाओं के कारण भी यूथ इस मूवमेन्ट में वहां नहीं पहुंच पा रहा है।
लेकिन लोगों की कमी ही ऐसा मुद्दा नहीं है जो असीम की इस लड़ाई में अकेले पड़ जाने का संकेत करता है। मुद्दे से ज्यादा वहां आनेवाले लोगों में असीम त्रिवेदी से मिलने और हाथ मिलाने की लालसा होती है क्योंकि असीम त्रिवेदी उनकी नजर में कोई सेलिब्रिटी हो गये हैं। मुंबई में गिरफ्तारी और बाद में बिग बॉस के घर में नजर आने के कारण लोग असीम त्रिवेदी को पहचानते हैं और एक बार मिलकर यह बताना चाहते हैं कि वे असीम त्रिवेदी को जानते हैं। लेकिन ऐसा करने से तो असीम त्रिवेदी के उस मूवमेन्ट को कोई सपोर्ट नहीं मिलता है जो वे अभिव्यक्ति की आजादी के लिए कर रहे हैं।
जंतर मंतर पर भी असीम और उनके साथियों के लिए दिक्कतों की भरमार है। पुलिस अब उनको वहां से जाने के लिए बार बार कह रही है क्योंकि उनको अब और अधिक बैठने की परमीशन नहीं है। इस बारे में जब हमने एसीपी जसबीर मलिक से और अधिक जानकारी लेने की कोशिश की तो उन्होंने यह तो माना कि वे इस मूवमेन्ट को पर्सनल लेवल पर सपोर्ट करते हैं क्योंकि अपनी बात कहने की आजादी तो सबको होनी चाहिए, लेकिन फिर बाद में वे कानून की मजबूरियां भी बताते हैं। जंतर मंतर ऐसी जगह है जहां देशभर से लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए आते हैं। अकेले सोमवार को ही पूरे जंतर मंतर पर अलग अलग 17 धरने प्रदर्शन चल रहे थे। जब तक संसद चल रही है यह सिलसिला और बढ़ता रहेगा। ऐसे में जसबीर सिंह के लिए असीम को असीमित समय के लिए वहां बैठने की अनुमति देना, मूवमेन्ट को पर्सनल लेवल पर सही मानने के बाद भी मुश्किल है।
असीम के लिए एक और मुश्किल यह आ रही है कि वेब और फेसबुक सोसायटी से भी असीम को बहुत समर्थन नहीं मिल रहा है। बड़े आश्चर्यजनक रूप से वेब साइट ओनर और ज्यादातर फेसबुक सोसायटी के लोग अपने वाल पर गिरफ्तारियों का तो विरोध करते हैं लेकिन आर्टिकल 66ए को भी पूरी तरह गलत नहीं मानते हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि असीम त्रिवेदी और उनके साथी यह सब प्रचार पाने के लिए कर रहे हैं। 
फिर भी, असीम त्रिवेदी और उनके साथ अनशन करनेवाले लोगों ने हिम्मत नहीं हारी है और अकेले पड़ जाने के बाद भी उन्हें उम्मीद है कि वे तब तक वहां बैठे रहेंगे जब तक सरकार उनकी बात नहीं सुन लेती है। उम्मीद पर दुनिया कायम है असीम। गुड लक।

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