Thursday 12 November 2009

रिपोर्ट -इंडियन कॉलेज एथलेटिक समारोह

दिनांक ११ नवम्बर ,२००९ को दिल्ली विश्व विद्यालय की और से इंटर कॉलेज एथलेटिक मित (युवकों एवं युवतियों ) आयोजित किया गया./ इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्व विद्यालय के लगभग हर ओल्लेगे से युवतियों और युवकों ने भाग लिया/ यह कार्यक्रम स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स ,पूर्वी विनोद नगर ,मयूर विहार फेस-२ में आयोजित किया गया / सन १९२० से यह समारोह दिल्ली विश्व विद्यालय द्वारा हर साल इस कार्यक्रम का ८६ वां साल था/ यह कार्यक्रम ३ दिनों के लिए आयोजित किया जा रहा है और आज इस कार्यक्रम का प्रथम दिन था/ आज के दिन २२ खेलों की प्रतियोगिता
का आयोजन किया गया, जिसमे ८०० मीटर
रेस,जेवलिन,ट्रिपल जम्प,लॉन्ग जम्प आदि थे/
इन्ही प्रतियोगिताओं में से ट्रिपल जम्प रेस, जो लॉन्ग जम्प और रेस का मिला -जुला रूप है। इसके तीन
पड़ाव होते हैं -रेस होप,स्टेप और जम्प. ऐसी ही ट्रिपल जम्प में प्रथम आने वाली प्रत्याशी का नाम मीनाक्षी पवार है। उनकी उम्र २१ है, तथा वह इंदिरा गाँधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिजिकल एजूकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस की विद्यार्थी हैं। इन्होने ने अपनी ग्रेजुअशन बरेली यूनिवर्सिटी यु .पी से की और उसके बाद १ साल का बी.पी.एड किया वर्तमान में वो एम्.डी.एड की प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। सन्२००० से उन्होंने से उन्होंने रेसिंग,ट्रिपल जम्प,और लॉन्ग जम्प में भाग लेना शुरू किया। शुरुआत में मिली कुछ असफलताओं के बाद २००५ के ओपन नेशनल गेम्स में उन्होंने ४ था
स्थान हासिल किया। इसके बाद २००८ में इन्होने लॉन्ग जम्प में गोल्ड मैडल भी जीता। अपने कोच डॉ एम.पी शर्मा के नेतृत्व में वह एक सफल खिलाड़ी बननेके साथ ही एक सफल फिजिकल टीचर भी बननाचाहती हैं ताकि वह आने वाले समय में स्पोर्ट्स और मुख्या रूप से लॉन्ग जम्प और ट्रिपल जम्प में बच्चों का मार्ग दर्शन कर सकें।

इसी तरह जेवलिन की प्रतियोगिता,जिसे हम सरल शब्दों में "भाला फेकने" की प्रतियोगिता भी कह सक
ते हैं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रत्याशी का नाम "भरत प्रताप सिंह " हैं। इनकी उम्र १९ साल है तथा यह किरोड़ीमल कॉलेज के बी.ऐ होनर्स पोलिटिकल साइंसके प्रथम वर्ष के छात्र हैं। इन्होने अपने स्कूल के दिनों से ही इस खेल में अपनी रूचि दिखाई,वहां इनके कोच श्री गजेंदर राणा रहे जिनके नेत्रत्व में इन्होने जेवलिन का खेल सिखा इसके बाद कॉलेज में आने पर इनकी कोचिंग श्री सुनील गोस्वामी और डॉ परमोद ने की जो की डारेक्टरऑफ़ फिजिकल हेल्थ हैं। भरत अनुसार इस खेल के लिए इनका कॉलेज इन्हे बिल्कुल भी प्रोत्साहित नही करता इस खेल को खेलने के लिए और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए जिसकी वजह से ये अधिकतर प्रतियोगिताओं में भाग नही ले पाते। परन्तु फ़िर भी इस प्रतियोगिता में सफल होने के साथ ही इन्होने जूनियर नेशनल लेवल पर तीसरा स्थान हासिल किया और स्कूल नेशनल लेवल पर भी दुसरे स्थान पर रहे। भरत ये चाहते हैं की इन्हे कॉलेज की तरफ से इस खेल को खेलने के लिए प्रोत्साहन मिले ताकि ये अपना करियर एक खिलाड़ी के रूप में इसी खेल में स्थपित कर सकें और जेवलिन में ओलंपिक्स में स्वर्ण पदक जीत कर हमारे देश का नाम रोशन कर सकें।

इस तरह के खेलों को आयोजित करने के लिए जिस तरह के मैदानों और स्टेडियम आदि का चुनाव होना चाहिए था उसमे शायद दिल्ली विश्व विद्यालय से चुक हो गई क्योंकि उपरोक्त जिन खिलाड़ियों से हमने बात की तथा उनके अलावा भी कई और खिलाड़ियों ने भी ट्रैक के व्यवस्थित न होने की तथा सिंथेटिक ट्रैक के न होने व पुरे ग्राउंड के व्यवस्थित न होने की शिकायत की क्योंकि इसका सीधा असर उनके प्रदर्शन पर पड़ता है। सही ग्राउंड के न होने पर वह सही तरह से अपना प्रदर्शन नही कर पाते और खिलाड़ियों का ऐसा मानना है की यदि इस तरह के स्पोर्ट्स इवेंट्स किसी सुव्यवस्थित ग्राउंड में आयोजित हों तो वें इससे भी बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे।

No comments:

Post a Comment