Sunday 8 November 2009

यू.के. में भाषिक कंप्यूटिंग और मल्टी मीडिया कार्यशालाओं की धूम

यू.के. में भाषिक कंप्यूटिंग और मल्टी मीडिया कार्यशालाओं की धूम 27 सितंबर से 11 अक्तूबर 2009 के बीच यू.के. के विभिन्न शहरों में भारत से आए रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा द्वारा संस्कृतियूके के महासचिव श्री अरुण त्रिवेदी और लंदन स्थित भारतीय उच्चायुक्त कार्यालय के हिंदी व संस्कृति अताशे श्री आनंद कुमार के सहयोग से हिंदी और अन्य इंडिक भाषाओं में भाषिक कंप्यूटिंग और मल्टी मीडिया हिंदी शिक्षण पर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया गया. साथ ही हिंदू सोसायटी और अंकुर आर्ट्स ऐंड कल्चरल सोसायटी के तत्वावधान में हिंदी शिक्षकों और शिक्षार्थियों के लिेए हिंदी सीखने–सिखाने के लिए मल्टी मीडिया प्रस्तुति का आयोजन भी किया गया.भाषिक कंप्यूटिंग कार्यशालाओं के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य भारतीय मूल के युवा प्रतिभागियों को अपनी मातृभाषा में कंप्यूटर पर काम करने का प्रशिक्षण देना था. आम तौर पर यू.के. के युवा भारतीय अपने दैनंदिन कामों में कंप्यूटर प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग करते हैं ,लेकिन हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में कंप्यूटर पर काम करने में हिचकते हैं. इसका कारण यह है कि अब तक कंप्यूटर पर लैटिन से इतर लिपि में काम करना सचमुच दुष्कर था, लेकिन युनिकोड के आगमन से अब विश्व की किसी भी जटिल लिपि में कंप्यूटर पर काम करना उतना ही सहज है जितना कि अंग्रेज़ी में. इसके अलावा माइक्रोसॉफ़्ट के एम.एस. ऑफ़िस 2003 / 2007 के बाज़ार में आने के बाद तो ये भाषाएँ कंप्यूटिंग की दृष्टि से अंग्रेज़ी या अन्य विकसित भाषाओं के समकक्ष भी आ गई हैं. उदाहरण के लिए एम.एस. ऑफ़िस हिंदी 2003 / 2007 की सहायता से उपयोगकर्ता अपनी फ़ाइल का नाम हिंदी में लिख सकता है, वर्तनी की शुद्धता की जाँच कर सकता है और हिंदी के अकारादि क्रम के अनुसार सॉर्टिंग भी कर सकता है. इसके अलावा माइक्रोसॉफ़्ट ने इंडिक भाषाओं के लिए आई एम ई नामक उपकरण भी विकसित किया है,जिसकी सहायता से रोमन लिपि के माध्यम से इन सभी भाषाओं में सरलता से काम भी किया जा सकता है. इन कार्यशालाओं में विभिन्न व्यवसायों से जुडे भारतीयों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. अधिकांश प्रतिभागियों ने अपने लैपटॉप के साथ कार्यशाला में भाग लिया. कार्यशालाओं की इस श्रृंखला का आरंभ 27 सितंबर, 2009 लंदन के गुजराती बहुल क्षेत्र वेम्बले में हुआ. इसकी अध्यक्षता लंदन स्थित भारतीय राजदूतावास के हिंदी व संस्कृति अताशे श्री आनंद कुमार ने की. आशा के विपरीत इस कार्यशाला में गुजराती और हिंदी के अलावा बंगाली प्रतिभागियों ने भी भाग लिया. इस कार्यशाला के प्रतिभागियों में मुख्य रूप सें चार्टर्ड अकाउंटेंट,व्यवसायी,शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, छात्र और गृहिणियाँ थीं. बंग परिवार के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला की उपलब्धि यह रही कि इनमें से अधिकांश प्रतिभागी अब गुजराती, बंगला या हिंदी में ई-मेल आदि भेजने लगे हैं. अगली कार्यशाला 1 अक्तूबर,2009 को फ़िंचले (लंदन) स्थित हिंदू कल्चरल सोसायटी के प्रांगण में आयोजित की गई. इस कार्यशाला में युवा और बुजुर्ग दोनों ही प्रकार के प्रतिभागी थे और ये सब लोग हिंदी में कंप्यूटर पर काम करने के लिए बहुत ही उत्साही थे. तीसरी कार्यशाला वेल्स की राजधानी कार्डिफ़ में इंडिया हाउस में स्थित मंदिर के प्रांगण में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता ‘गोपिओ’ (GOPIO) के अध्यक्ष श्री के.एन. गुप्ता ने की. इस कार्यशाला में भी अनेक डॉक्टर, पत्रकार, बुद्धिजीवी और स्वयं मंदिर के पुजारी भी शामिल हुए और कई प्रतिभागियों ने उसी दिन हिंदी कंप्यूटिंग की शुरूआत की. चौथी कार्यशाला का आयोजन कलासंगम की अध्यक्षा श्रीमती गीता उपाध्याय और उनके पति श्री उपाध्याय के सान्निध्य में ब्रैडफर्ड के वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत भव्य भवन में किया गया. इस कार्यशाला के अधिकांश प्रतिभागी तमिलभाषी थे और वे अपनी मातृभाषा में ही कंप्यूटर पर काम करने के लिए उत्सुक थे. प्रशिक्षण के दौरान वे यह देखकर चकित थे कि माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा विकसित आई एम ई की सहायता से तमिल में भी सरलता से काम किया जा सकता है. इससे यह सिद्ध हो गया कि हिंदी और अन्य इंडिक भाषाओं की लिपियों में वर्णमाला के स्तर पर अद्भुत समानता है. पाँचवीं और अंतिम कार्यशाला का आयोजन हिंदी व संस्कृति अतासे श्री आनंद कुमार के सान्निध्य में लंदन स्थित भारत के राजदूतावास में 6 अक्तूबर 2009 को किया गया, जिसमें हिंदी के अलावा, प्ंजाबी, नेपाली और मलयालम भाषियों के अलावा हिंदी के प्रसिद्ध लेखक श्री तेजेंद्र शर्मा और हिंदी प्रेमी श्री के बी एल सक्सेना ने भी भाग लिया. इस कार्यशाला में हिंदी और संस्कृत के साथ-साथ भाषिक कंप्यूटिंग में भी निष्णात सुश्री कविता वाचक्नवी ने भी हिंदी में वेबसाइट निर्माण पर अपने अनुभव सुनाए. भाषिक कंप्यूटिंग के साथ-साथ डॉ. मल्होत्रा ने दिनांक 10 अक्तूबर,2009 को अंकुर आर्ट्स ऐंड कल्चरल सोसायटी की निदेशक सुश्री देविना ऋषि के अनुरोध पर उनके ही लंदन स्थित निवास पर हिंदी शिक्षिका संघ के सदस्यों को हिंदी शिक्षण के लिए मल्टी मीडिया के प्रयोग की जानकारी दी. इसी विषय पर अंतिम प्रस्तुति 11 अक्तूबर,2009 को श्री के बी एल सक्सेना और श्रीमती सीमा कुमार के अनुरोध पर लंदन स्थित हिंदू सोसायटी के हॉल में आयोजित की गई, जिसमें अभिभावकों और शिक्षकों के साथ–साथ बच्चों ने भी भाग लिया. डॉ. मल्होत्रा ने अपनी मल्टी-मीडिया प्रस्तुति के माध्यम से EDUTAINMENT की एक ऐसी अवधारणा प्रस्तुत की जिसके माध्यम से बच्चों को मनोरंजक और वैज्ञानिक ढंग से हिंदी सिखाई जा सकती है. इस प्रस्तुति में हिंदी फ़िल्मों के संवादों और गीतों का व्यापक उपयोग किया गया. अंत में अपने निष्कर्ष में डॉ. मल्होत्रा ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि कंप्यूटर और मल्टीमीडिया की अधुनातन तकनीक के माध्यम से यू.के. के निवासी भारतीय मूल के लोगों को विशेषकर युवाओं को अपनी मातृभाषा से जोड़ा जा सकता है और उनके बीच हिंदी को अनायास ही संपर्क भाषा के रूप में विकसित किया जा सकता है. इस अनुष्ठान से भारतीय संस्कृति के मूल स्वर “विविधता में एकता” को मज़बूत किया जा सकता है और युवा पीढ़ी को इस आंदोलन से जोड़कर Catch Them Young के अंग्रेज़ी मुहावरे को भी सार्थक किया जा सकता है. --- विजय कुमार मल्होत्रा,

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