Friday 21 November 2014

सांसद कर्ण सिंह ने गोद लिया रिठाला गांव


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद डॉ. कर्ण सिंह ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के रिठाला गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है।  उन्होंने इस ऐतिहासिक गांव को गोद लेने का फैसला तब लिया जब कुछ  दिन पूर्व रिठाला वार्ड से पार्षद शशि गोपाल सिंह ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ डा0 करण सिंह से मुलाकात कर गांव की समस्याओं के बारे में अवगत कराया और रिठाला गांव को गोद लेने का आग्रह किया। लोगों को उम्मीद जगी है कि अब गांव की समस्याओं का समाधान होगा। उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तहत रिठाला दूसरा ऐसा गांव है, जिसे आदर्श ग्राम के रूप में चुना गया है। इसके पूर्व इस सीट से भाजपा के सांसद डॉ. उदित राज मुंडका इलाके के जौंती गांव को गोद लेने की घोषणा कर चुके हैं।
इतिहास-

रिठाला  गांव करीब 782 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि मुगलकाल में पास के पूंठ गांव में रहने वाले क्षत्रिय समाज के चौदह भाई मुगलों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। चौदह राणा का मन्दिर आज भी पूंठ गांव में स्थिति है। उस समय 13 भाइयों की पत्नियों ने भी कुंए में कूद कर जान दे दी थी। एक भाई की पत्नी गर्भवती थी, जिसने बाद में बेटे को जन्म दिया। उन्हीं के बेटे राणा राजपाल सिंह ने रिठाला गांव बसाया था। इस गांव का पहले नाम रथवाला हुआ करता था। जो समय के साथ बिगड़ते-बिगड़ते रिठाला हो गया। राणा राजपाल क्षत्रियों के सोमवंश से ताल्लुक रखते थे,  आज भी उनके वंशज इस गांव में रहते हैं।

डॉ॰ कर्ण सिंह  के बारे में

83 वर्षीय डॉ॰ कर्ण सिंह  कश्मीर के राजा हरि सिंह के पुत्र है और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। पद्म विभूषण प्राप्त कर्ण सिंह ने अठारह वर्ष की ही उम्र में राजनीतिक जीवन में प्रवेश कर लिया था और वर्ष 1949 में प्रधानमन्त्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता ने उन्हें राजप्रतिनिधि (रीजेंट) नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात अगले अठारह वर्षों के दौरान वे राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और अन्तत: राज्यपाल के पदों पर रहे। 1967 में डॉ॰ कर्ण सिंह प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। इसके तुरन्त बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के उधमपुर संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष 1971, 1977 और 1980 में पुन: चुने गए। डॉ॰ कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। 1973 में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। 1976 में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। 1979 में वे शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने।
डॉ॰ कर्ण सिंह देशी रजवाड़े के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से प्रिवी पर्स का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर भारत में मानव सेवा के लिए स्थापित 'हरि-तारा धर्मार्थ न्यास' को दे दी। उन्होंने जम्मू के अपने अमर महल (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया। इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक भारतीय कला का अमूल्य संग्रह तथा बीस हजार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ॰ कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
डॉ॰ कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएं अंग्रेजी में लिखी हैं। उनके महत्वपूर्ण संग्रह "वन मैन्स वल्र्ड" (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफी सराहना हुई है। उन्होंने अपनी मातृभाषा डोगरी में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और पश्चिमी साहित्य और सभ्यता की विस्तृत जानकारी के कारण वे भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में जाने जाते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका में भारतीय राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, लेकिन इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली।


रिठाला गांव की समस्याएं

1 गांव के संपर्क पथ बंद होने के कारण आवागमन में परेशानी
2. पार्किंग की कमी
3. बेहतर सड़कों का अभाव
4. जल निकासी के लिए सीवर लाइन की कमी

रिठाला गांव एक  नजर में

आबादी- करीब 7 हजार
समुदाय - राजपूत, ब्राह्मण, जाट, वाल्मीकि, अन्य पिछड़ा वर्ग के अलावा पूर्वाचल के प्रवासी लोगों की आबादी है।
पेशा- क्षेत्र के ज्यादातर लोग लघु उद्योग से जुड़े हैं। गांव में कई छोटी बड़ी फैक्ट्री भी हैं ।
शैक्षणिक स्तर- 75 फीसद लोग शिक्षित हैं।
लिंगानुपात- 60-40
पानी की व्यवस्था- जलबोर्ड की पाइप लाइनें बिछाई गई हैं। पानी की सुविधा बेहतर है।
परिवहन सुविधा- बसों के आवागमन की सुविधा अच्छी है। सुबह-शाम बसें उपलब्ध होती हैं।
गांव के पास ही रिठाला मेट्रो स्टेशन भी है।


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