Friday 14 October 2011

स्पर्श




तेरा वह पहेला स्पर्श ,
मेरे दिल को भा गया ,
मेरे हाथो के लकीरों पर ,
तेरा चहेरा छा गया .

तुम्हारी आंखो मे बसा प्यार ,
लब्ज़ो से सुनने को बेताब हु ,
यह स्पर्श है तुम्हारा ,
तुमसे दूर हो कर भी, तुम्हारे  बहुत पास हु .

तनहा भरी जिंदगी मे ,
एक उत्साह तुम लाई हो ,
तुम्हारे उस  मुश्कान भरे चहेरे मे , 
मानो छिपी प्यार की सच्चाई है .

एक स्पर्श है तुम्हार 
जो प्यार की परछाई है ,
हमारी  नज़र का नज़र से ना मिलना ,
शायद यही हमारे प्यार की सच्चाई है .

एक तरफ है जाने की जल्दी ,
वही दूसरी ओर आ रही तन्हाई है ,
हाथ छोरे से भी ना छुटे है ,
यह स्पर्श प्रेम की दुहाई है .

यह स्पर्श जो भी है 
पर इसमे एक गहेराई है 
ना चाह कर भी ,
हमारे दिल को करीब लाई है .


यह स्पर्श जैसा  भी हो ,
यही जीवन की सच्चाई है .

No comments:

Post a Comment