Friday 30 November 2012


आम आदमी की पार्टी में नहीं दिखा आम आदमी


अरविन्द केजरीवाल के पार्टी की पहली मीटिंग में सबसे बड़ा सवाल यही दिखाई दिया कि आम आदमी की पार्टी में आम आदमी हैं कहां? वहां दिख रहे लोगों में किसे आम आदमी कहें? ज्यादातर ऐसे लोग नजर आये जो किसी किसी गैर सरकारी संस्था से जुड़े हुए हैं, या फिर अब अरविन्द की आम आदमी पार्टी के सदस्य हो गये हैं। उन्हीं की भीड़ जरूर दिखाई दी लेकिन वह जोश और जज्बा नही दिखाई दिया जो अरविन्द के आंदोलनों के दौरान दिखाई देता था। नौजवानों की उपस्थिति भी इस बार उतनी नहीं दिखी जितनी अन्ना या अरविन्द के आंदोलनों के दौरान दिखाई देती थी।
अरविन्द के इस पहले पार्टी कन्वेशन से ज्यादा आम आदमी ठीक बगल में कर्मचारी संगठन सीटू के सम्मेलन में नजर आये जो अपनी मांग के साथ दिल्ली आये हुए हैं। जहां तक नौजवानों के शामिल होने का सवाल था तो इस बार नौजवानों के नाम पर वाकी टॉकी लिये ज्यादातर उनकी संस्था के वालंटियर ही नजर आये। पहली बार ऐसा नजारा दिखा जब अरविन्द केजरीवाल की पार्टी के पहले कन्वेशन में शामिल होने के लिए उनकी ओर से परिवहन का इस्तेमाल भी दिखाई दिया जो इस बात का संकेत था कि अरविन्द केजरीवाल भी एक राजनीतिक दल वाले हथकण्डे अपनाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
मीडिया की मौजूदगी भी उतनी नहीं दिखी जितनी अन्ना के आंदोलनों के दौरान दिखाई देती थी। हां, मीडिया के कवरेज के लिए जरूर विशेष मंच बनाया गया था और वहां आये लोगों की सुविधा के लिए पार्लियामेन्ट स्ट्रीट रोड पर कई जगह एलसीडी प्रोजेक्टर जरूर लगाये गये थे ताकि जो लोग दूर बैठे हैं उन्हें मंच देखने में ज्यादा असुविधा हो।
अरविन्द की पार्टी के इस पहले सार्वजनिक कन्वेशन में मंच पर जरूर एक आम आदमी नजर आये जिनका नाम विजय बाबा था। विजय बाबा एक रिक्शा चालक हैं और ऐसा पहली बार देखने में आया है जब एक रिक्शा चालक को किसी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है।

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