Tuesday 27 November 2012

शाहीन मामले में पुलिस अधीक्षक और मजिस्ट्रेट बर्खास्त


शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को के निधन के बाद सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर टिप्पणी करने वाली दो लड़कियों को गिरफ्तार करने के मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सरकार ने ठाणे के पुलिस अधीक्षक और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को निलंबित कर दिया है। जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले को ठीक से न देखने के कारण फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट का तबादला कर दिया गया।
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के दिन 18 नवम्बर को पालघर की 21 वर्षीय शाहीन डाढा ने फेसबुक पर टिप्पणी की थी जिसे उसकी दोस्त रेणु ने लाइक करके शेयर किया था। इससे आहात शिवसेना नेताओं ने उनके खिलाफ लोगों की भावनाएं भड़काने की शिकायत दर्ज करा दी। इतना ही नहीं शाहीन के चाचा के क्लिनिक पर कुछ लोगों ने पहुंचकर तोड़ फोड़ भी की थी। इस मामले मे महाराष्ट्र पुलिस ने दोनों लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया था जिससे पूरे देश मे "फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन" के मुद्दे पर बहस छिड़ गयी थी।

हर तरफ विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान और गृहमंत्री आरआर पाटिल ने उचित कारवाई का भरोसा दिया था। इस मामले के लिए एक आई जी रैंक के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। जांच रिपोर्ट मे पाया गया कि पुलिस अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नही लिया। अगर उन्होंने वक्त पर सही निर्णय लिया होता तो मामला गंभीर नही होता। रिपोर्ट मे कहा गया की दोनों लड़कियों के खिलाफ इतनी गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के पीछे कोई वजह समझ नही आती। दोनों लड़कियों पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने और गलत इरादे से संदेश भेजने का आरोप लगा था। उन्हें आईपीसी के सेक्शन 295(ए) और सेक्शन 505(2) और आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया।
रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने ठाणे के पुलिस अधीक्षक रविन्द्र सोनगावंकर और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक श्रीकांत पिंगले को निलंबित कर दिया, और ठाणे के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संग्राम निशानदार को कड़ी चेतावनी दी गयी।

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