Tuesday, 25 October 2011

आ गई फिर से दिवाली





हे देवी ! देख तेरी लीला है कैसी ,
सज रहा बाज़ार है .
आ रहे ग्राहक लेने तुझको ,
और तू बिकने को तैयार है .
 
तेरी कृपा है हम सब पर ऐसी,
तू ही हमारा जीवन संसार है ,
आ गई फिर से दिवाली ,
फिर से ला रहे तुझे अपने द्वार है.

कोई कहे है ले लो लक्ष्मी १० रुपये मे ,
कोई २५ रुपये मे लक्ष्मी गणेश देने को तैयार है ,
जोर शोर से चल रहा ,
तुझे बेचने का व्यापार है.

पिछले बरस १०० रुपये का लाया था तुझको,
इस बरस ना इतना महँगा ला पाउँगा ,
रोज़ बड़ रही महंगाई देश मे ,
मै पैसा कैसे जुटाऊंगा .

हर वर्ष मन रही दिवाली देश मे ,
दो चार बार है ,
एक बार जो पर्व मने है ,
बाकी दिवाली मे उजड़ रहा ,
कइयो का घर संसार है .

एक समानता है दोनों मे ,
एक मे तू बिक रही मूरत रूप मे ,
लगा तेरा बाज़ार है ,
वही दूसरी तरफ बिन बाज़ार ,
मुआवजे के रूप मे बाँट रही तुझे देश की सरकार है .

हे लक्ष्मी माँ मै पुछ रहा तुझसे  ,
क्या तेरा होना ही जीवन का आधार है ,
क्यों भूल गए हम प्यार मोहब्बत ,
क्यों मान बैठे तेरे बिना जीवन लाचार है .

आ गई फिर से दिवाली ,
उत्सव मनाने  को हम सब तैयार है ,
क्यों ना कुछ नया करे इस दिवाली ,
बाटे सबको सुख और प्यार है .

सज गया बाज़ार फिर से ,
तू बिकने को तैयार है  .


******आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये *****

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