Sunday 27 December 2009

सत्ता और शोषण


आज हमारे समाज पर सत्ताधारी मंत्रियों का आतंक और अत्याचार इतना अधिक बढ़ गया है की वे अपनी सत्ता और रुतबे के आवेश में आम जनता और उसके व्यक्तित्व को कुछ नहीं समझते। ऐसे ही मामले को उजागर करता हुआ एक ज्वलंत उदाहरण हमे हरियाणा के रिटायर एस.पी.एस राठौर द्वारा १९ साल पहले कांड का मिलता है जिसने एक १४ वर्षीय लड़की रुचिका को आत्म हत्या करने पर मजबूर कर दिया। राठौर द्वारा की गयी रुचिका से छेड़खानी और उसके बाद अपनी कुर्सी ,सत्ता और रुतबे के बल पर उसके परिवार को बर्बाद करने की जो कोशिश की गयी उसने रुचिका को अपनी जिन्दगी ख़त्म करने पर मजबूर कर दिया। परन्तु रुचिका का ये बलिदान भी उसके परिवार को सत्ता के मालिकों के हाथों से बचा नहीं सका , उसके परिवार को खुद को राठौर जैसे सत्ताधारी से बचाने के लिए हरियाणा छोड़ना पड़ा और हिमाचल जाकर अपनी पहचान छुपा कर रहने के लिए मजबूर हुए । इसमें उनका क्या कसूर था ? आखिर कब तक हमे इन नेताओं , मंत्रियों के अत्याचारों को सहना होगा ? कब तक ऐसी हजारों रुचिकाओं को इन्साफ के लिए अपने प्राणों की आहुति देनी होगी ?
रुचिका ने इन सब चीज़ों से तंग आकर अपने प्राण त्याग दिए इस उम्मीद में के शायद उसे मरने के बाद इन्साफ मिले मगर उसकी मौत के १६ साल बाद जब उस दरिन्दे को सजा देने की बारी आई जिसने एक हँसते-खेलते परिवार को तबाह कर दिया तो हमारी न्यायपालिका और सत्ता के रसूकदारों ने राठौर के लिए केवल १००० का जुरमाना और ६ महीने की सजा का करार दिया। क्या रुचिका के बचपन को उजाड़ने का बीएस यही खामियाजा है।
नहीं, रुचिका को इन्साफ मिलना ही चाहिए और उसे इन्साफ दिलाने के लिए अब आवाम ने अपने हाथ उठाये हैं ।
न्याय पालिका को अपना आदेश बदलना होगा और राठौर को कड़ी से कड़ी सजा देनी होगी जिस से ऊँचे पदों पर बैठे सत्ता धारियों को सबक मिले और उनका जनता पर शोषण और अत्याचार बंद हो सके और कल किसी और रुचिका के सपनो को कुचला ना जा सके।








अब मिलेगा रुचिका को इन्साफ क्योंकि आम आदमी है उसके साथ ...

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