Tuesday, 4 December 2012

वी हैव गॉट द मैसेज


दुनिया में पहली बार एसएमएस मैसेजिंग का इस्तेमाल 3 दिसंबर 1992 को किया गया था जब जब 22 वर्षीय टेस्ट इंजिनियर नील पॉपवर्थ ने अपने पर्सनल कंप्यूटर से टेक्स्ट मेसेज "मेर्री क्रिसमस" वोडाफ़ोन नेटवर्क के रिचर्ड जारविस को भेजा था। पहली टेक्स्ट मेसेजइंग सर्विस यूनाइटेड स्टेट्स के ओमनीपॉइंट कम्युनिकेशन ने शुरू की थी। ओमनीपॉइंट ने जल्द ही यू.एस और पूरी दुनिया के बीच टेक्स्टिंग का प्रस्ताव रखा। और दो दशक बाद आज पूरी दुनिया के लोग एसएमएस का इस्तेमाल इन्फार्मेशन के लेन देन के लिए करते हैं।
आज जिस एसएमएस सर्विस का हम इस्तेमाल करते हैं उस तकनीकि की शुरूआत भले ही 1920 में हुई हो लेकिन इस टेक्नॉलाजी तक पहुंचने की हिस्ट्री काफी पुरानी है। 1920 में आरसीए कॉमयूनीकेशन, न्यू यॉर्क ने पहली "टेलेक्स" सर्विस को इंट्रोडुस किया था, और आज इस सर्विस को "टेक्स्टइंग" के नाम से जाना जाता है। आरसीए ट्रांसाटलांटिक सर्किट पर पहला संदेश न्यू यॉर्क और लंदन के बीच भेजा गया था। पहले साल मे 7 मिलियन शब्द या 300,000 रेडियोग्राम्स ट्रांसमिट किये गए थे। आज आरसीए को वेरिज़ोन वायरलेस के नाम से जाना जाता है। रेडियो टेलीग्राफी के यूज़ से अल्फानुमेरिक मेसेज को काफी लम्बे समय तक रेडियो के थ्रू भेजा जाता था। यूनिवर्सिटी ऑफ़ हवाई ने एलोहएनेट के इस्तेमाल से डिजिटल इनफार्मेशन को 1971 मे रेडियो के थ्रू सेंट करना शुरू कर दिया था। एसएमएस सर्विस शुरू होने के बाद इसके लिए पहले पेजर को शोर्ट मेसेजएस के लिए इस्तेमाल किया जाता था, इसकी डिस्प्ले मे सब्सक्राइबर सिर्फ नंबर देख पाता था जिससे फ़ोन आ रहा होता था। लेकिन बाद में मोबाइल डिवाइस के कारण पेजर सर्विसेस गायब हो गई। 


स्टैंडर्ड एसएमएस मेसेजइंग 140 बाईटस पर मेसेज का उपयोग करता है, जो कि 7 बिट एन्कोडिंग के इस्तेमाल से 160 करैक्टर इंग्लिश अल्फाबेट के बन जाते है। एसएमएस वाइड नेटवर्क रेंज मे उपलब्ध है, जिसमें अब 3जी भी शामिल है।  हालाँकि हर टेक्स्ट मेसेजइंग सिस्टम एसएमएस का इस्तमाल नही करता। एनटीटी-डोकोमो के आई-मोड और रिम ब्लैकबेरी भी स्टैण्डर्ड मेल प्रोटोकॉल्स जैसे एसएमटीपी ओवर टीसीपी/आईपी का फ़ोन से ईमेल मेसेजइंग के लिए उपयोग किया जाता है। टेक्स्ट मेसेजइंग सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली मोबाइल डाटा सर्विस है, जोकि 74% मोबाइल फ़ोन यूज़र्स 2007 के अंत तक उपयोग करते थे।



एसएमएस सबसे ज्यादा यूरोप, एशिया, यूनाइटेड स्टेट्रस, ऑस्ट्रेलिया और न्यू ज़ीलैण्ड मे मशहूर माना गया है। यंग एशियन्स एसएमएस को मोबाइल का सबसे अच्छा फीचर मानते है। 50% अमेरिकन टीन्स एक दिन मे 50 से ज्यादा मेसेज करते है। टेक्स्ट मेसेजइंग ने हर नयी तरह के इंटरेक्शन को संभव किया है, मोबाइल फ़ोन यूज़र्स अब किसी बी सिचुएशन मे जहाँ उनके लिए कॉल करना संभव न हो तब अपनी बात टेक्स्ट मेसेज के थ्रू कर सकता है। टेक्स्टइंग से अब व्यूअर ऑनलाइन वोट कर सकता है, और अन्य जानकारी भी पा सकता है। 

हालांकि टेक्स्ट मैसेजिंग की हिस्ट्री में कुछ बुरे चैप्टर भी हैं जो इस टेक्नॉलाजी के गलत इस्तेमाल का भी उदाहरण सामने रखते हैं। अभी हाल में ही देश में नार्थ ईस्ट के लोगों ने बड़ी संख्या में देश के हर हिस्से से माइग्रेशन किया था। उस वक्त सिर्फ एक एसएमएस ने यह कन्फ्यूजन फैला दिया था कि अगर वे नार्थ ईस्ट लौटकर नहीं जाते हैं तो उनकी जान को खतरा हो सकता है। इसी तरह 2004 में इंग्लैंड में 287 स्कूल और कॉलेज के बच्चों को एग्जाम से बाहर कर दिया गया था क्योंकि उन्हें फ़ोन से चैटिंग करते हुए पाया गया था। अगर ऐसे एक्साम्पल न देखें तो एसएमएस ने हमारी कम्युनिकेशन पॉवर को स्ट्रांग करने में काफी मदद की है और कर रहा है। हालांकि अब टेक्नॉलाजी के स्तर पर हम वीडियो मैसेजिंग, मल्टीमीडिया मैसेजिंग और वायस मैसेजिंग की सर्विसेस का इस्तेमाल कर सकते हैं फिर भी आज भी एसएमएस सबसे ज्यादा पॉपुलर है। इसलिए दुनिया का पहला मैसेज भेजनेवाला नील पापवर्थ आज भी अगर पूछने पर कहते हैं कि वे उस वक्त बहुत खुश थे, तो आज बीस साल इस सर्विस का इस्तेमाल करनेवाले उसी तरह खुश हैं जैसे बीस साल पहले नील पॉपवर्थ खुश थे।

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