क्लिंटन फाउन्डेसन के प्रतिनिधी के तौर पर आये श्री अमित जैन ने कचरे से ऊर्जा के उत्पादन तथा उसके व्यावसायिक महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि हमने मुंबई,दिल्ली के साथ -२ गुजरात तथा राजस्थान में योजनायें शुरू की हैं। इसमें दिल्ली में जारी नरेला योजना के बारे में बताया कि भविष्य में यह योजना कितनी लाभकारी तथा पर्यावरण के अनुकूल साबित होगी। उन्होंने भारत में योजनाओं को शुरू करने में आने वाली मुश्किलों पर भी बताया कि यहाँ की टेंडर प्रणाली की कमियों पर प्रकाश डालते हुए अपने संस्थान द्वारा किये गए उपायों के बारे में बताया कि उन्होंने अपनी योजना में एक व्यक्ति को जिम्मेदार तथा जवावदेह तय किया है। इस योजना के वारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि कैसे इस योजना में कचरे को परिस्कृत करके जो ऊर्जा उत्पादन होगा,वह ६.५ रु /यूनिट तैयार होगी।
अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री सुब्रमनियम द्वारा भारत में उपलब्ध जलीय ऊर्जा की संभावना के बारे में बताया कि बहुत कम लोग जानते हैं कि कर्नाटक में लघु जलीय परियोजनाओं के बहुत अवसर मौजूद हैं जबकि हिमाचल,उत्तराँचल तथा अरुणाचल में बड़ी परियोजनाओं के अवसर मौजूद हैं। उन्होंने जैविक ईंधन के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा के बारे में भी चर्चा की, कि कैसे हम जैव तथा गोबर के द्वारा प्राप्त ईंधन से खाद का इस्तेमाल कृषि सम्बंधित कार्यों में कर सकते हैं। उन्होंने १५वी योजना के अंतर्गत २०३२ तक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए आज से ही कदम उठाने पर बल दिया
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