Tuesday, 19 January 2010

बसंत पंचमी की बहार





सभी को बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं / आज है बसंत पंचमी/ आखिर क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी ?
ज्योतिष मत के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार भगवान भास्कर के गति क्रम दक्षिणायण हो छोड़कर उतरायण में होने की खुशी में मनाया जाता है। भगवान सूर्य की रश्मिया बसंत पंचमी से ही युवा अवस्था को प्राप्त होने लग जाती है, जो निरन्तर छह माह तक धूप में तेजी का सूचक बनती है। बारह राशियों में से छह राशियों पर इस उत्तरायण काल में एक-एक राशि में भ्रमण करते हुए छह माह का काल पूरा करते है। बूंदी निवासी आचार्य पं. भूपेंद्र शास्त्री के अनुसार वैदिक परम्परा में सृष्टिï के रचियता भगवान ब्रह्मïा ने आज ही के दिन ज्ञान की अधिष्टïातरी देवी भगवती सरस्वती देवी का प्राकट्ïय किया था। अत: आज ही के दिन सरस्वती जयंती भी मनाई जाती है।

मांगलिक कार्यों के लिए शुभ दिन

भाषाओं में देववाणी संस्कृत भाषा का जन्म भी आज ही हुआ। ब्रह्मा की प्रथम श्रृष्टि आज ही से प्रारम्भ मानी जाती है। त्रिदेव में ब्रह्मा विष्णु महेश का मृत्युलोक में आगमन आज ही के दिन हुआ। इसलिए बसंत पंचमी को अबूज देव मुहूर्त भी माना जाता है। इस दिन सभी गृहस्थी संबंधी मांगलिक कार्य का शुभ दिन माना गया है। इनमें विवाह, देव प्रतिष्ठïा, गृह प्रवेश, गृह आरम्भ, नूतन वाहन, सभी प्रकार के छोटे से बड़े मुहूर्त का शुभ दिन है।

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