विगत १४ जन.१० को ओबजर्वर रिसर्च फाउन्डेसन में आयोजित भविष्य में ऊर्जा की आवश्यकता पर चर्चा की गयी ,जिसमें देश-विदेश की कई बड़ी कंपनियों के अधिकारियों ने भाग लिया.चर्चा में पवन,सौर तथा जलीय ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्त्रोतों के उपयोग और उसके व्यावसायिक लाभ पर जोर दिया गया। बैठक में भाग लेते हुए सुजलान एनर्जी के श्री लवलीन सिंघल ने पवन ऊर्जा पर कहा कि भविष्य में ग्रीन हॉउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए हमें इस तरह की वैकल्पिक के उत्पादन तथा उसके भण्डारण के बारे सोचना । क्यों कि मानसून के दौरान हम सौर ऊर्जा को पैदा नहीं कर सकते । अतः मानसून के दौरान दोनों तरह की ऊर्जा के भंडारण कि तकनीक विकसित करनी चाहिए। इस तरह की तकनीक इस समय केवल अमेरिका,जर्मनी तथा स्पेन के ही पास है। तो क्या हमें इस तरह की तकनीक के आने का इंतज़ार करना चाहिए या अपनाकर हमें उन्हें आकर्षित करना चाहिए।
इसी क्रम में टाटा पावर के श्री अनिल पतनी ने सौर urjaa ke baare mein bataayaa ki vishwa maanchitra par bharat ki sthiti laabhkaari hone ke kaaran ham kashmeer se kanyaakumaari tathaa gujraat se arunaachal tak kaise saur urjaa ka upyog karane ka badaavaa de sakate hein. kyon ki saur urjaa swachcha tathaa green haaus gason se purntah mukt hotee hai. ham prayaas kar rahe hein ki jin graameen kshetron mein bijalee kee uplabdhataa nahin hai vahan sabhee prakaar ke atiaavashyak saur utpaadon ko uplabdha karaayaa jaaye.
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