भूल रहे है सभ्यता
आज अकेले गुजरते हुए मैंने देखा के कुछ छात्राए धुम्रपान कर रही थी। एक पल के लिए तो मै सोच में डूब गयी कि क्या आज हम इतने नए ज़माने के साथ चलने लगे है के अपने माता -पिता के सिखाये हुए संस्कार और अपनी सभ्यता को भूल गये है। या फ़िर हम उनकी दी हुई सुविधाओ का ग़लत उपयोग कर रहे है। मै ये नही कहती कि मै अपने माता-पिता के दिए हुए असूलो का पूर्णता पालन करती हू परन्तु मै अपने संस्कार जानती हूँ और आशा करती हूँ के मेरे मित्र अवं सहपाठी इस पर ध्यान देंगे और अपनी सभ्यता को हसी खुशी अपनाएंगे। इसे अपनाने से हम पीछे नही बल्कि और आगे बढेगे।
आज अकेले गुजरते हुए मैंने देखा के कुछ छात्राए धुम्रपान कर रही थी। एक पल के लिए तो मै सोच में डूब गयी कि क्या आज हम इतने नए ज़माने के साथ चलने लगे है के अपने माता -पिता के सिखाये हुए संस्कार और अपनी सभ्यता को भूल गये है। या फ़िर हम उनकी दी हुई सुविधाओ का ग़लत उपयोग कर रहे है। मै ये नही कहती कि मै अपने माता-पिता के दिए हुए असूलो का पूर्णता पालन करती हू परन्तु मै अपने संस्कार जानती हूँ और आशा करती हूँ के मेरे मित्र अवं सहपाठी इस पर ध्यान देंगे और अपनी सभ्यता को हसी खुशी अपनाएंगे। इसे अपनाने से हम पीछे नही बल्कि और आगे बढेगे।
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