- प्रोफेस्सर वैसिनी शर्मा (केंद्रीय हिंदी संस्थान) ने इन्फ़ोर्मसिअल, Tele मार्केटिंग, Tele सोपिंग तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए भासा का व्यवसाय मैं स्वरुप ,स्थान एवम भूमिका पर प्रकाश डाला ।
- जवाहर (आय कर बैंकिंग, भोपाल ) के अनुसार १९७८ मैं बेंको का रास्ट्रीय करण किया गया , बेंको का अधिकांस काम हिंदी मैं करेने के निर्देश दिए गए , ऐ टी ऍम को भी हिंदी भासा मैं किया गया ताकि ज्यदातर लोग ऐ टी ऍम का प्रयोग कर सके और बेंको मैं भीड़ कम की जा सके । भासा का विकास देश के आर्थिक विकास मैं योगदान कर सकता है ।
- विजय कुमार मल्होत्रा (माइक्रोसोफ्ट) के अनुसार ग्रामीण भाषाये अनुस्राजन (Transcreation) या सामान्य अनुवाद से परे है मल्होत्रा जी ने Translation एवम Transcriation
के उदहारण देते हुए बताया की कैसे भासा का व्यवसाय मैं प्रयोग किया जा रहा है उद्धरण स्वरुप Taste the thunder --बिजली को चखो । Only the Wet Survive -- भिगो तो जानो।
श्री निवासन राघवन के अनुसार , इंग्लिश एक इंडियन भासा है निवासन इंग्लिश को विदेशी भासा नहीं मानते , इनका मानना है कीसन १९५७ मैं दिल्ली का भासा स्वरुप पंजाबी भासा पर आधारित था , और आज यह हरयान्वी भासा पर आधारित है पर २०१५ तक भासा का स्वरुप बिहारी भासा पर आधारित होगा , तो उनके अनुसार भासा स्वरुप निरंतर बदलता रहेगा ।
श्री मान सुरेंदर ने अवगत कराया की .०१% लोग ही व्याकरण सुद्ध रूप मैं लिख सकते हैं तो निष्कर्ष यह निकलता है की बाकि सभी अंध- पंगु न्याय पर निर्भर करते है इनके अनुसार व्यक्ति केवल दोनों भाषाओं को लिखकर काम चला रहा है इससे न तो हिंदी का और न ही इंग्लिश का ही विकास होगा ।
plz edit rahul dev ji cneb channel ke editor hai.
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