Friday, 14 November 2014

कायम है बेटों का मोह

कायम है बेटों का मोह
जहां एक ओर बेटों पर बेटियों का गिरते ग्रफा पर सरकार और समाजशास्त्री चिन्तित है और नये-नये सुझाव देकर बेटियों की संख्या बढ़ाने की बात कर रहे हैं। वही दूसरी  और समाज मे बेटों के मोह की पुरातनी सोच आज भी कायम है।
बेटों का यह मोह हरियाण,पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ज्यादा है जहां पर आश्चर्जनक रूप से लडकियों की संख्या कम है और चिन्ताजनक है। यूएन के पॉपूलेशन फंड़ और इन्टरनेशनल सेन्टर फॉर रिसर्च ऑन वूमेन के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन तीन राज्यों के अलावा चार अन्य राज्यों के करीब हर तीसरे पुरूषा और महिला पर किये गये सर्वे के अनुसार लड़के की चाहत रखते है।
यूएन के इस सर्वे में उत्तर प्रदेश,राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,उड़ीसा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के 18 से 49 आयु वर्ग के 9205 महिला और पुरूषों को शामिल किया गया। यह वह राज्य है जिनका जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा है। इस सर्वे के अनुसार इन लोगों के लैंगिक रूप में लड़की की अपेक्षा लड़के को तरजीह दी। इस सर्वे केअनुसार पुरूष 67 प्रतिशत और महिलाएं 47 प्रतिशत ने लड़के और लड़की के लिए समान इच्छा जाहिर की । वहीं लड़कियों पर लड़कों को तरजीह दी साथ ही ज्यादा लड़कों की वकालत करने वाले भी थे  ऐसे लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले  कम पढ़े लिखे और पुरातन रीतिरिवाजों को मानने वाले थे। इसी के साथ 81 प्रतिशत स्त्री  और 76 प्रतिशत पुरूषों ने घर में कम से कम लड़के के होने की बात पर जोर दिया। इस सर्वे का एक चौंकानें वाला सच यह था कि इस रिपोर्ट के अनुसार इन में से आधे से ज्यादा ऐसे लोग थे जिन्हें जन्म पर लिंग की पहचान करना गैरकानूनी है,पर बने कानून के विषय में जानकारी नही थी

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