Wednesday, 19 November 2014

इतना गुस्सा क्यूं हैं भाई


यूएन रिपोर्ट के मुताबिक 10 मे से 6 भारतीय ने अपनी पत्नी के साथ हिंसा की बात मानी हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा यूएन वल्र्ड पॉपुलेशन फंड़ यूएनएफपीए और वॉशिंगटन बेस्ड इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वुमन की जॉइट स्टडी में हुआ।
वहीं नेशनल क्राइम रिकॉड्र्स ब्यूरो 2013 के आंकडे बताते है कि 38 प्रतिशत मामलों में महिला का अपना पति सा करीबी शामिल था। पूरे देश के आंकडों पर नजर डाले तो पायेंगे की महिलाओं के प्रति 309546 दर्ज मामलों में से 118866 में पति या उसके परिवार वाले ही हिंसा करने में शामिल  थे।
हिंसा के इन मामलों में शारीरिक हिंसा आम है। आपसी कहासुनी का शारीरिक हिंसा में तब्दील होने का प्रतिशत 52 है। जिसमें 3158 महिलाओं ने स्वीकारा की उन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी तरह की शारीरिक हिंसा झेली है। इनमें थप्पड़ मारना,लात मारना, दबाना,जलाना,शामिल था। वहीं इस अध्ययन में यह बात भी सामने अयी की ज्यादातर महिलायें इस तरह की होने वाली हिंसा को छिपाती भी है। क्योंकि उनके अनुसार वैवाहिक रिश्तों में ऐसा होना सामान्य है। इतना ही नहीं कुछ महिलाएं यह भी मानती है कि उनके उपर पुरूषों का कंट्रोल होना चाहिए।
सबसे ज्यादा हिंसा की बात ओडिशा और यूपी में देखने में आई। यहां 70 प्रतिशत से ज्यादा पुरूषों ने माना कि वे पत्नी के प्रति इस तरह का हिंसक बर्ताव करते हैं।
क्या है हिंसा
इस अध्ययन में हिंस को चार हिस्सों में बांटा गया है, इमोशनल, फिजिकल,सेक्सुअल और इकॉनमिक हिंसा। इमोशनल में बेइज्जती, धमकाना या डराना शामिल है। फिजिकल और सेक्सुअल में धक्का देना, मारन या रेप शामिल है। इकॉनामिक हिंसा यानी पत्नी को नौकरी करने से रोकना, पत्नी की सैलरी छीन लेना आदि।
 क्यों होता है ऐसा
रिपोर्ट की  माने तो जिन पुरूषों ने बचपन में भेदभाव झेला वो बड़े होकर अपनी पत्नियों पर हिंसा करने में  चार गुना आगे थे। इसी तरह आर्थिक तंगी झेल रहे पुरूष भी हिंसा करने में आगे थे। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में समाज और परिवार में शुरूआत से लिंग के आधार पर जिम्मेदारियों का बांटवारा है। जिसकी वजह से यह सामाजिक,आर्थिक स्थिति और बचपन के अनुभव भी बड़ी अहमियत रखते है।
बेहतरी का रास्ता
यूएनएफपीए इंड़िया इस ओर बहेतरी के उपायों के लिए ,हिंस की वजहों की पड़ताल पर जोर देती है। जिसमें पुरूषों व लड़कों मेंं बदलाव के लिए सही प्रोग्राम चलाने में बदलाव के लिए सही प्रोग्राम चलाने में मदद मिलेगी।  उन चीजों की भी पहचान की गई है। उन चीजों की भी पहचान की गई है। जिनमें पुरूष बदलाव या बहेतरी का जरिया बनेंगे और लैगिंक भेदभाव की समस्या सुधरेगी।


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