हार जीत
अब जीत कैसी
अब हार कैसी
कृत्रिम सभ्यता के लिये
ये फसाद ये तकरार कैसी
प्रतिस्पर्ध के इस दौड़ में
तनाव कैसी दौड़ भाग कैसी
जो भी आया है
इस संसार में
शास्वत सत्य है जायेगा एक दिन
फिर इतना अभिमान अहंकार कैसी
प्यार विनम्रता का मोल खो चुके मानव
फिर तुम्हारी ये सभ्यता कैसी समाज कैसी
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