मीडिया चौपाल
नद्यः रक्षति रक्षतः। मानव जाति के विकास चाहे वो सामाजिक हो आर्थिक हो या राजनेतिक हो इसमे नदियों का योगदान बहुत ही महतवपूर्ण है। करोड़ो वर्ष पहले से लेकर वर्तमान काल तक नदियों के इस कलकल ध्वनिं ना जाने कितनी सभ्यताओं संस्कृति की गवाह बनी है। लेकिन आज इन्ही आश्रय देने वाली माता स्वरूपा नदियाँ अपने अस्तित्वा की लड़ाई अपने ही द्वारा विकसित समुदाय से लड़ रही है। इन्ही महत्वपूर्ण मुद्दों को केंद्र में रख कर i i m c द्वारा दो दिवसीय कार्यकर्म का आयोजित किया गया। कार्यकर्म का उद्देश्य पानी तथा नदियों की सम्सयायें तथा इसमे मिडिया की भूमिका ।इस कार्यक्रम का नाम ही मीडिया चौपाल रखा गया। यह मिडिया चौपाल का तीसरा आयोजन था। इस से पहले दो सफल आयोजन भोपाल में संपन्न हो चुके है। दिल्ली में हो रहे आयोजन को लेकर कार्यकम के सहभागी तथा आयोजनकर्ता काफी उत्साह में नज़र आ रहे थे। चुकी यह चौपाल था इसलिए दिल्ली को शहर नहीं प्रदेश के रूप में रेखांकित किया गया।
मंच का संचालन श्री अनिल सौमित्र जी ने किया ।उपस्थित अतिथियों तथा सहभागियों को साधुवाद देने के बाद अपने ब्याख्यान में वो मिडिया चौपाल की उपलब्धियां तथा नदी और पानी को लेकर भविष्य की योजनाओं पर सभी का ध्यान कर्षण करवाया। श्री सौमित्र ने इस अतिसंवेदनशील मुद्दों में मिडिया की क्या भूमिका हो सकती है तथा मुख्यधारा से दूर पत्रकारिता की इस विधा को अन्य विधाओं के सामान कैसे खड़ा किया जाये इस पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इसके लिए पत्रकारों की तकनीक क्षमता तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मंच पर उपस्थित संत सिचेवाल द्वारा नदी पुनर्धार पर दिया गया व्याख्यान काफी महवपूर्ण था ।आपको बता दे की संत सिचेवाल का पूरा नाम बलबीर सिंह सिचेवाल है। ये पंजाब से आते है। इन्होने पंजाब में मृतप्राय 160 k m लंबी कलिबेन नदी का पुर्नोधार किया तथा नदी की कल कल्लाहत्ल्ट से उस क्षेत्र में फिर से हरियाली का संचार किया। संत सिचेवाल को उनकी सामाजिक कार्यों के लिये बहुत सारे सम्मानों तथा पुरस्कारों से नवाजा जा चूका है। उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति dr कलाम उनके कार्य कलापों से प्रभावित हो कर दो बार सिचेवाल से ब्यक्तिगत रूप से मिल चुके है। पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें डी लिट् की उपाधि से भी नवाज चुकी है। जनता इन्हे सड़क बाबा या इको बाबा के नाम से भी पुकारती है।
श्री सिचेवाल अपने व्याख्यान में दूषित पानी से होने वाली बिमारियों तथा पानी को कम लागत में आसानी से शुद्धिकरण की बातें की। नदी की महत्ता को विस्तारित करते हुये उन्होंने गुरु नानक देव के वचन __पवन गुरु पानी पिता तथा धरती माता को दुहराया ।अपने वक्तब्य में 1974 की पानी एक्ट का स्मरण करवाया तथा जनता से जागरूक आशावादी तथा मार्गदर्शक बनने का आह्वान किया।
मंच पर आसीन प्रसिद्ध विज्ञान लेखक तथा भारतीय विज्ञान लेखक संघ के संचालक श्री विवेक श्रीवास्तव अपने संबोधन में मिडिया से संवेदनशील मसले तथा आम जनों के बिच मध्यस्था की भूमिका निभाने पर ज़ोर दिया साथ साथ ग्रामीण स्तरीय मिडिया चौपालों की वकालत की।
वंही पानी को ही केन्द्रित कर बनाया गया वाटर पोर्टल के सीईओ श्री विश्वजीत घोष पिने की पानी की समस्या तथा इसके उपाय से सहभागियों को अवगत करवाया। उन्होंने पानी के मुद्दों को काफी राजनीतिक तथा व्यापक बताया तथा मीडिया से हासिये में रखे गए इस संवेदनशील मुद्दों को प्रकाश में लाने की पुरजोर वकालत की।
वंही दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक तथा साइंटिस्ट श्री मनोज पटेरिया ने मिडिया+विज्ञान का नारा दिया । अपने वक्तव्य में प्रदूषित पानी इस से होने वाली बीमारियाँ तथा इसके समाधान में सरकार आम नागरिक तथा मिडिया के योगदान की भी बिस्तृत चर्चा की। उन्होंने पानी तथा नदी को लेकर समाज में फैली भ्रांतियां तथा अंधविश्वास से उपस्थित गण को मुखातिब करवाये। उन्होंने मिडिया से नैतिक संस्कार तथा जनसंवाद पर बल देने की बात की।
वेब दुनिया के संस्थापक श्री जयदीप कार्निक अपने अभी भाषण में यह विश्वास दिलाये की हासिये पर चला गया विज्ञान पत्रकारिता एक दिन मुख्यधार पत्रकारिता में शामिल हो सकती है तथा इसकाभविष्य बहुत उज्जवल है। अपने संतुलित लेकिन महत्वपूर्ण भाषण में वे वेब दुनिया की 15 साल की उपलब्धि तथा इस समस्या में गाँधी जी के सिधान्तो की महत्ता पर बल दिये तथा गन्दगी संस्कारों से मुक्त होने पर बल दिया ।उन्होंने भारतीय भाषाई पताका के उध्वव की भी चर्चा की।
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर कॉल नदियों के महत्त्व तथा इसकी महत्ता पर बहुत ही सुगम तथा आम भाषाई अंदाज में प्रकाश डाला। उन्होंने बड़े ही सहज तरीके से बताया की अगर नदियों को छेड़ोगे तो नदियाँ खुद अपना ध्यान आकर्षित करवा लेती है। कश्मीर में हाल में ही आई विभीषिका पर चर्चा करते हुए बड़े ही गवई अंदाज में कहा की कश्मीर में खड़े पानी तथा बहते पानी के बिच संतुलन नहीं होने के कारन बाढ़ आई उन्होंने नदियों की आवाज सुन ने की वकालत की तथा देश में होने वाली विकास तथा पर्यावरण के बिच की मौलिक टकराव तथा प्रदुषण के दैनिक जीवन के हिस्सा हो जाने की आशंका जताई।
उन्होंने गंगा के महत्व का गुणगान किया तथा बताया की विकास के नाम पर गंगा को बेचा जा रहा है। उन्होंने इस पर अपनी वेदना जताई। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया की इस मिशन छोटे पोर्टल ब्लॉग तथा वेब साईट ज्यादा कारगर साबित होंगे ।
मच पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भाजपा से राज्य सभा सांसद तथा पूर्व पत्रकार श्री प्रभात झा अपने भाषण में ख़बरों के बिभिन्न आयाम की चर्चा की ।उन्होंने ज़ोर देते हुये कहा की नदियों या गावं का जीर्णोधार सिर्फ सरकार के भरोसे संभव नहीं है। समाज को उचाच्स्तारिय रूप देने में नागरिक की भूमिका मुख्य होती है। उन्होंने मृतप्राय आंतरिक लोकतंत्र में जान फूंकने तथा सिविक सेंस तथा वोटर सेन्स पर ब्याख्यान दिया।
इनके अभिभाषण के साथ इस चौपाल का प्रथम सत्र समाप्त हुआ।
नद्यः रक्षति रक्षतः। मानव जाति के विकास चाहे वो सामाजिक हो आर्थिक हो या राजनेतिक हो इसमे नदियों का योगदान बहुत ही महतवपूर्ण है। करोड़ो वर्ष पहले से लेकर वर्तमान काल तक नदियों के इस कलकल ध्वनिं ना जाने कितनी सभ्यताओं संस्कृति की गवाह बनी है। लेकिन आज इन्ही आश्रय देने वाली माता स्वरूपा नदियाँ अपने अस्तित्वा की लड़ाई अपने ही द्वारा विकसित समुदाय से लड़ रही है। इन्ही महत्वपूर्ण मुद्दों को केंद्र में रख कर i i m c द्वारा दो दिवसीय कार्यकर्म का आयोजित किया गया। कार्यकर्म का उद्देश्य पानी तथा नदियों की सम्सयायें तथा इसमे मिडिया की भूमिका ।इस कार्यक्रम का नाम ही मीडिया चौपाल रखा गया। यह मिडिया चौपाल का तीसरा आयोजन था। इस से पहले दो सफल आयोजन भोपाल में संपन्न हो चुके है। दिल्ली में हो रहे आयोजन को लेकर कार्यकम के सहभागी तथा आयोजनकर्ता काफी उत्साह में नज़र आ रहे थे। चुकी यह चौपाल था इसलिए दिल्ली को शहर नहीं प्रदेश के रूप में रेखांकित किया गया।
मंच का संचालन श्री अनिल सौमित्र जी ने किया ।उपस्थित अतिथियों तथा सहभागियों को साधुवाद देने के बाद अपने ब्याख्यान में वो मिडिया चौपाल की उपलब्धियां तथा नदी और पानी को लेकर भविष्य की योजनाओं पर सभी का ध्यान कर्षण करवाया। श्री सौमित्र ने इस अतिसंवेदनशील मुद्दों में मिडिया की क्या भूमिका हो सकती है तथा मुख्यधारा से दूर पत्रकारिता की इस विधा को अन्य विधाओं के सामान कैसे खड़ा किया जाये इस पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इसके लिए पत्रकारों की तकनीक क्षमता तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मंच पर उपस्थित संत सिचेवाल द्वारा नदी पुनर्धार पर दिया गया व्याख्यान काफी महवपूर्ण था ।आपको बता दे की संत सिचेवाल का पूरा नाम बलबीर सिंह सिचेवाल है। ये पंजाब से आते है। इन्होने पंजाब में मृतप्राय 160 k m लंबी कलिबेन नदी का पुर्नोधार किया तथा नदी की कल कल्लाहत्ल्ट से उस क्षेत्र में फिर से हरियाली का संचार किया। संत सिचेवाल को उनकी सामाजिक कार्यों के लिये बहुत सारे सम्मानों तथा पुरस्कारों से नवाजा जा चूका है। उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति dr कलाम उनके कार्य कलापों से प्रभावित हो कर दो बार सिचेवाल से ब्यक्तिगत रूप से मिल चुके है। पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें डी लिट् की उपाधि से भी नवाज चुकी है। जनता इन्हे सड़क बाबा या इको बाबा के नाम से भी पुकारती है।
श्री सिचेवाल अपने व्याख्यान में दूषित पानी से होने वाली बिमारियों तथा पानी को कम लागत में आसानी से शुद्धिकरण की बातें की। नदी की महत्ता को विस्तारित करते हुये उन्होंने गुरु नानक देव के वचन __पवन गुरु पानी पिता तथा धरती माता को दुहराया ।अपने वक्तब्य में 1974 की पानी एक्ट का स्मरण करवाया तथा जनता से जागरूक आशावादी तथा मार्गदर्शक बनने का आह्वान किया।
मंच पर आसीन प्रसिद्ध विज्ञान लेखक तथा भारतीय विज्ञान लेखक संघ के संचालक श्री विवेक श्रीवास्तव अपने संबोधन में मिडिया से संवेदनशील मसले तथा आम जनों के बिच मध्यस्था की भूमिका निभाने पर ज़ोर दिया साथ साथ ग्रामीण स्तरीय मिडिया चौपालों की वकालत की।
वंही पानी को ही केन्द्रित कर बनाया गया वाटर पोर्टल के सीईओ श्री विश्वजीत घोष पिने की पानी की समस्या तथा इसके उपाय से सहभागियों को अवगत करवाया। उन्होंने पानी के मुद्दों को काफी राजनीतिक तथा व्यापक बताया तथा मीडिया से हासिये में रखे गए इस संवेदनशील मुद्दों को प्रकाश में लाने की पुरजोर वकालत की।
वंही दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक तथा साइंटिस्ट श्री मनोज पटेरिया ने मिडिया+विज्ञान का नारा दिया । अपने वक्तव्य में प्रदूषित पानी इस से होने वाली बीमारियाँ तथा इसके समाधान में सरकार आम नागरिक तथा मिडिया के योगदान की भी बिस्तृत चर्चा की। उन्होंने पानी तथा नदी को लेकर समाज में फैली भ्रांतियां तथा अंधविश्वास से उपस्थित गण को मुखातिब करवाये। उन्होंने मिडिया से नैतिक संस्कार तथा जनसंवाद पर बल देने की बात की।
वेब दुनिया के संस्थापक श्री जयदीप कार्निक अपने अभी भाषण में यह विश्वास दिलाये की हासिये पर चला गया विज्ञान पत्रकारिता एक दिन मुख्यधार पत्रकारिता में शामिल हो सकती है तथा इसकाभविष्य बहुत उज्जवल है। अपने संतुलित लेकिन महत्वपूर्ण भाषण में वे वेब दुनिया की 15 साल की उपलब्धि तथा इस समस्या में गाँधी जी के सिधान्तो की महत्ता पर बल दिये तथा गन्दगी संस्कारों से मुक्त होने पर बल दिया ।उन्होंने भारतीय भाषाई पताका के उध्वव की भी चर्चा की।
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर कॉल नदियों के महत्त्व तथा इसकी महत्ता पर बहुत ही सुगम तथा आम भाषाई अंदाज में प्रकाश डाला। उन्होंने बड़े ही सहज तरीके से बताया की अगर नदियों को छेड़ोगे तो नदियाँ खुद अपना ध्यान आकर्षित करवा लेती है। कश्मीर में हाल में ही आई विभीषिका पर चर्चा करते हुए बड़े ही गवई अंदाज में कहा की कश्मीर में खड़े पानी तथा बहते पानी के बिच संतुलन नहीं होने के कारन बाढ़ आई उन्होंने नदियों की आवाज सुन ने की वकालत की तथा देश में होने वाली विकास तथा पर्यावरण के बिच की मौलिक टकराव तथा प्रदुषण के दैनिक जीवन के हिस्सा हो जाने की आशंका जताई।
उन्होंने गंगा के महत्व का गुणगान किया तथा बताया की विकास के नाम पर गंगा को बेचा जा रहा है। उन्होंने इस पर अपनी वेदना जताई। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया की इस मिशन छोटे पोर्टल ब्लॉग तथा वेब साईट ज्यादा कारगर साबित होंगे ।
मच पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भाजपा से राज्य सभा सांसद तथा पूर्व पत्रकार श्री प्रभात झा अपने भाषण में ख़बरों के बिभिन्न आयाम की चर्चा की ।उन्होंने ज़ोर देते हुये कहा की नदियों या गावं का जीर्णोधार सिर्फ सरकार के भरोसे संभव नहीं है। समाज को उचाच्स्तारिय रूप देने में नागरिक की भूमिका मुख्य होती है। उन्होंने मृतप्राय आंतरिक लोकतंत्र में जान फूंकने तथा सिविक सेंस तथा वोटर सेन्स पर ब्याख्यान दिया।
इनके अभिभाषण के साथ इस चौपाल का प्रथम सत्र समाप्त हुआ।
Good write and observation keep it up.
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