शुभमंगल से शुध्मंगल तक
हर घर में अब दीप जले
उन्नति पथ पर देश चले
लौ बने सम्मान का सूचक
पुरुषार्थ हमारा तेल बने
आस्था के इस परकाष्ठा को
आओ चले दिव्यार्थ करे
मन के तन के कालिमा को
दिव्या प्रकाश से दूर करे
ऐसे संवारे इस संसार सभ्य समाज को
जंहा हर आँगन में भीड़ बढे
उस भीड़ में शामिल रमा गणेश
रिधि सिदिः व शुभ लाभ रहें
इनके आशीष और मंगल्धाव्नी सुन
मंगलमय संसार रहे
शुभ मंगल हो सुध्मंगल हो
हेम तो बस उल्लास करे
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