Friday, 31 October 2014
Monday, 27 October 2014
WTA में सानिया की शानदार जीत, PM मोदी ने दी बधाई
Sunday, 26 October 2014
हरियाणा में एक और लाल: मनोहर लाल खट्टर
हरयाणा में पहली बार भाजपा के मुख्यमंत्री के रूप में श्री मनोहर लाल खट्टर ने पद और गोपिनियता की शपथ ली । श्री खट्टर हरयाणा के 10 वें मुख्यमंत्री होंगे । जाट लैंड में खट्टर नॉन जाट मुख्यमंत्री हैं ।
मनोहर लाल खट्टर का जन्म १९५४ में हरयाणा के रोहतक जिले के निन्दाना गौव में हुआ था । निन्दाना महम तहसील में है । इनके पिता श्री हरवंश लाल खट्टर १९४७ के भारत पाक विभाजन में पाकिस्तान से आये थे । इनका परिवार बाद में रोहतक के बनियानी नमक गौवं में बस गया । यंहा इनका परिवार खेती का काम करता था ।
खट्टर जी रोहतक के पंडत नेकी राम शर्मा राजकीय विद्यालय से मेट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की । इसके बाद वे डेल्ही आ गए । यंहा वे सदर बाजार के पास अपनी दुकान खोली । उन्होंने डेल्ही विश्वविद्यालयसे बैचलर की डिग्री ली ।
१९७७ में २४ वर्ष की अवस्था में वे आरएसएस की सदस्यता ली । तिन साल बाद वे पूर्ण प्रचारक बन गए प्रचारक होने के कारण वे आजीवन अविवाहित रहे । 14 वर्षों तक वे प्रचारक की भूमिका में रहे । १९९४ में पार्टी के मुख्यधारा में शामिल हुए । २००० से २०१४ तक हरयाणा महासचिव के पद पर रहे। २०१४ के लोक सभा इलेक्शन में भाजपा हरियाणा चुनाव समिति के अध्यक्ष रहे । श्री खट्टर भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे है ।
२०१४ के हरयाणा विधान सभा चुनाव में खट्टर करनाल से विजय हुए हैं । उन्होंने अपने निकटतम प्रतिधंदी incके सुरेंदर सिंह नरवाल को ६३७३६ वोटों से पराजीत किये ।
जाट लैंड में खट्टर ने मुख्यमंत्री का ताज पहना
हरयाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतहासिक तथा अभूतपूर्व जीत के बाद श्री मनोहर लाल खट्टर पंचकुला में आयोजित भव्य मेगाशो में मुख्यमंत्री के पद तथा गोपनीयता की शपथ ली । मोदी के पुराने साथी तथा संघ प्राचारक खट्टर हरयाणा के 10 वे मुख्यमंत्री होंगे । इनके साथ 9और मंत्रियों ने भी शपथग्रहण किया । खट्टर के इन नवरत्नों में 6 कबिनेट स्तर के तथा 3 राज्यमंत्री {स्वंत्रत प्रभार } हैं । कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व राज्यसभा सांसद बिरेंदर सिंह की पत्नी प्रेमलता को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया । ऐसे कयास लगाये जा रहे थे की उन्हें "मनो टीम "में शामिल किया जा सकता है । प्रेमलता उचाना कलां से विधायक है समारोह में पी ऍम मोदी:पार्टी अध्यक्ष अमित शाह आडवाणी मुरली मनोहरजोशी तथा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए ।
खट्टर भी "मिनिमम गवर्मेंट मैक्सिमम गवर्नेंस " के सिधांत का अनुसरण करते हुए छोटा मंत्रिमंडल का गठन किये है । ज्ञात हो की हुड्डा कल में 14 मंत्री तथा 9 सीपीए बनाये गए थे ।
समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेंदर सिंह हुड्डा तथा उनके पुत्र और रोहतक से सांसद दीपेंदर हुड्डा को भी आमंत्रित किया गया था । लेकिन वे नहीं पंहुचे मंच पर उनके लिए अलग से कुर्सियां भी लगाई। गयी थी । जब पूर्व मुख्यमंत्री से पुचा गया तो उन्होंने दावा किया की उन्हें समारोह में बुलाया ही नहीं गया ॥
अब झारखण्ड और कश्मीर की बारी
पांच चरणो में होगें चुनाव
Friday, 24 October 2014
गोवर्धन पूजा
इस पूजा का उदेश्य यही है की हमें पर्वत तथा पशुओं के योगदान को स्मृति में रखना ही होगा । इसी कारण इस दिन गाय बैल को नहा कर रंग लगाया जाता है तथा गले की रस्सी को बदला है । गाय और बैल को इस दिन चावल तथा गुड खिलाया जाता है।
हम गोवर्धन पूजा का महत्व सिर्फ धार्मिक रूप में नहीं देख सकते इसके और सामाजिक तथा प्राकृतिक आयाम भी है। हम इस दिन गायों की पूजा करते है ।शास्त्रो में गाय को उतना ही पवित्र माना गया है जितना की नदियों में गंगा को । गाय को माता लक्ष्मी का स्वरुप भी कहा गया है देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृधि देती है उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रुपी धन प्रदान करती है। गाय सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय तथा आदरणीय है। हम इन्हे माँ का दर्जा देते है ।
हमारे देश में गो हत्या पर प्रतिबन्ध है पर हमारे देश के कई हिस्से में चोरी छिपे गो हत्या की जाती है । आइये हमारे हिन्दू धर्म इस अद्भुत दर्शन जिसमे हम पर्यावरण की तथा प्रकृति की सहज रिश्ते की बात करते है को एक संकल्प पर्व के रूप में मनाएं । हम एक संकल्प ले की हम अपने स्तर पर गो रक्षा की भरपूर कोशिश करेंगे तथा प्रकृति मनुष्य के सम्बन्ध को और अधिक सहज बनाने का प्रयास करेंगे
शुभमंगल से शुध्मंगल तक
Thursday, 23 October 2014
अन्धकार से युद्ध यह चलता रहे
दीप के दिव्यार्थ का
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे
जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा
कायम रहे इसका अर्थ, वरना व्यर्थ है
प्रार्थना-शुभकामना हमारी ले लीजिए!!
आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना!!!
Monday, 20 October 2014
स्त्री पुरुष असमानता का खेल
- खिलौना शव्द जेहन में आते ही हम अपने उस निश्छल निश्वार्थ अतीत में खो जाते है जिसे बचपन कहते है खिलौनों के लिए पागलपन या खिलोनो के लिए बाप से चिरौरी प्रतिशत को स्मरण होगा खिलौना तो ऐसे बस एक बाल मनोरंजन का साधन मात्र लगता है कहिये तो इसके बहाने बचे थोड़ी देर तक माँ बाप को भूल कर दुनिया में मस्त मगन हो जाते है बच्चों के मनोरंजन के सबसे सुगम तथा सुलभ साधन है ये खिलोने खिलौना हर वर्ग हर समुदाय के बच्चों के लिए होता है लेकिन एक सवाल जो मेरे मन में हमेशा कौंधता रहता है की खिलौने मनोरंजन मात्र के साधन है तो लड़को के लिए अलग तथा लड़कियों के लिए अलग खिलोने क्यों ? अमूमन लड़कों लिए उग्रता के प्रतिक वाले खिलौने तथा लड़कियों लिए सौम्यता के प्रतिक वाले खिलौने क्यों निर्धारित किये है। हम खुद से ही ये धारणा लेते है की लड़कियों के लिए गुड़िया घरेलु सामान वाले खिलोने तथा लड़कों के लिए बन्दुक मोटरबीके उपयुक्त है । क्या यह धारणा या मान्यता पक्षपात पूर्ण नहीं है ? क्या यह मान्यता पुरुष प्रधान समाज को दर्शाती है ?खिलौने भेद भाव तो यही दर्शाता है की लड़कियां कमजोर शर्मीली या नाजुक है उन्हें हलके काम करना घर सम्भालना पसंद होता है। दूसरी ओर लड़कें कठिन काम करने वाले तथा ज्यादा मजबूत होते है। हमारी यह सोच शैशवावस्था में ही विभेद को जन्म देती है। एक तथा अनसुलझे सत्य को स्थापित करती है। शुरुआत में ही जब उनका मन होता है उसी समय से उन्हें यह ज्ञात करवाने की कवायद शुरू कर दी जाती है ।एन खिलोने के माध्यम से उनके बल मन में ये जटिलता पनपा जाती है की तुम लड़का और ये लड़की हो। तथा तुम्हारे मध्य एक गहरी रेखा है जो उनके तरुणावस्था आते आते और गहरी होती चली जाती है। बहुत से विचारकों का मत है की खिलौना केवल मनोरंजन का साधन मात्र नहीं होता है। बल्कि यह व्यक्तित्व के निर्माण की प्रक्रिया का एक अंग होता है। जिस तरह व्यक्तित्व के निर्माण में शुरूआती शिक्षा महत्वपूर्ण योगदान होता है उसी तरह खिलौना का भी अहम भूमिका होता है। लड़कियों जीवन पर ये खिलोने एक अमिट तथा व्यवहरात्मक प्रभाव डालते है। हम लोग सामान्यत यह देखते है की गुड़िया को छरहरा फिगर चटकदार साज श्रृंगार तथा आकर्षक कपड़ों में बनाया जाता है। इनकी आकृति को सौम्य नाजुक तथा हंसमुख बनाया जाता है। बच्चियां गुड़िया को ही दोस्त समझती साथ खेलती है उसका अनुसरण करने लगती है। धीरे धीरे गुड़ियों का ये हाव भाव श्रृंगार जीवन हिस्सा बनना शुरू हो जाती है। गुड़ियों की तरह उनके स्वाभाव में भी कोमलता आने लगती है। दूसरी ओर लड़के हमेशा बन्दुक बाइक जहाज खिलौने से खेलते है ।ये ऊर्जा तथा उग्रता के प्रतिक खिलौने लड़कों के मनःस्थिति धीरे धीरे ऐसी रूप में विकसित करवाता है। मई यह पूछना चाहता हूँ की क्या बच्चे खिलौने खुद निर्धारित करते है? नहीं हम उन्हें देते है। हमें बालिकाओं के हाथों गुड़िया या किचेन सेट ही ज्यादा तर्कसंगत लगता हम उन्हें भी मोटर बाइक या बन्दुक नहीं दे सकते? दे सकते है पर हमारे अंदर ये लिंग भेद शुरू से ही हावी है। आज स्थिति रही थोड़ी संतुष्टि तो मिलती है पर दिमाग में फिर उठता है की अन्य कारकों के साथ साथ खिलौने लड़की के पैदा होने के साथ उसमे भेद भाव देखने लगता है। उसी समय से उसे कमजोर निसहाय नाजुक डरपोक तथा घर तक सिमित रहने वाली अबला के रूप में चिन्हित करने लगता है। मई ये नहीं कहता की ये साजिश या कुरीति बस अनजाने में किया गया भूल है । लाडले अगर कुलदीपक है तो ललनाएँ उसकी लौ से काम नहीं है। भेद भाव क्यों? अगर ये आगे आएंगी तभी एक उन्नत तथा परिभासित समाज और राष्ट्र का निर्माण हो पायेगा ।
Sunday, 19 October 2014
Thursday, 16 October 2014
event
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Wednesday, 15 October 2014
THE UNBELIEVABLE INDIAN PRODUCTS
Asia's largest B2B fair , the International Handicrafts and Gifts Fair (IHGF) surprised me like nothing before, the purely Indian made items ranging from metalwares to carpets to jewelleries. They where more beautiful than of any other country , their quality, finishing was perfect. More than 2700 exhibitors where their displaying their products, while on the otherside more than thousands of foreign buyers from USA , Europe ,Middle east and many more, attended to source the requirements.
Interesting I met Sangay Palden and her husband, from Sikkim . They came to display there 100% organic lamp made up of seeds from Oroxylum Indicum and bamboo. Sangay palden claims her self to be first one to make such lamp. Another Exhibitors Kazim from Moradab was busy trying sell his Metal Wall Clocks.
One Buyer from Sweden said he believe India metalware have no match from other part of the world. Many buyers where interested in Rugs and carpets. Unique furniture designs attracted many buyers.
The event will be till 18th of this month, Export Promotion Council for Handicraft , EPCH who has organised this event who is trying to promote exports, and has a major contributors in the rise of Indian handicrafts exports. Yet many things new improvement such as better event management and organisation.
Together with Exportors, artisans and agents can help EPCH make improvements in handicraft's exports.
ISL 2014 Delhi Dynamos vs Pune city Football draw in third Match
Tuesday, 14 October 2014
3 makes 0
FC Pune city hold Delhi Dynamos to a goalless draw in third match
Sunday, 12 October 2014
नद्यः रक्षति रक्षतः। मानव जाति के विकास चाहे वो सामाजिक हो आर्थिक हो या राजनेतिक हो इसमे नदियों का योगदान बहुत ही महतवपूर्ण है। करोड़ो वर्ष पहले से लेकर वर्तमान काल तक नदियों के इस कलकल ध्वनिं ना जाने कितनी सभ्यताओं संस्कृति की गवाह बनी है। लेकिन आज इन्ही आश्रय देने वाली माता स्वरूपा नदियाँ अपने अस्तित्वा की लड़ाई अपने ही द्वारा विकसित समुदाय से लड़ रही है। इन्ही महत्वपूर्ण मुद्दों को केंद्र में रख कर i i m c द्वारा दो दिवसीय कार्यकर्म का आयोजित किया गया। कार्यकर्म का उद्देश्य पानी तथा नदियों की सम्सयायें तथा इसमे मिडिया की भूमिका ।इस कार्यक्रम का नाम ही मीडिया चौपाल रखा गया। यह मिडिया चौपाल का तीसरा आयोजन था। इस से पहले दो सफल आयोजन भोपाल में संपन्न हो चुके है। दिल्ली में हो रहे आयोजन को लेकर कार्यकम के सहभागी तथा आयोजनकर्ता काफी उत्साह में नज़र आ रहे थे। चुकी यह चौपाल था इसलिए दिल्ली को शहर नहीं प्रदेश के रूप में रेखांकित किया गया।
मंच का संचालन श्री अनिल सौमित्र जी ने किया ।उपस्थित अतिथियों तथा सहभागियों को साधुवाद देने के बाद अपने ब्याख्यान में वो मिडिया चौपाल की उपलब्धियां तथा नदी और पानी को लेकर भविष्य की योजनाओं पर सभी का ध्यान कर्षण करवाया। श्री सौमित्र ने इस अतिसंवेदनशील मुद्दों में मिडिया की क्या भूमिका हो सकती है तथा मुख्यधारा से दूर पत्रकारिता की इस विधा को अन्य विधाओं के सामान कैसे खड़ा किया जाये इस पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इसके लिए पत्रकारों की तकनीक क्षमता तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मंच पर उपस्थित संत सिचेवाल द्वारा नदी पुनर्धार पर दिया गया व्याख्यान काफी महवपूर्ण था ।आपको बता दे की संत सिचेवाल का पूरा नाम बलबीर सिंह सिचेवाल है। ये पंजाब से आते है। इन्होने पंजाब में मृतप्राय 160 k m लंबी कलिबेन नदी का पुर्नोधार किया तथा नदी की कल कल्लाहत्ल्ट से उस क्षेत्र में फिर से हरियाली का संचार किया। संत सिचेवाल को उनकी सामाजिक कार्यों के लिये बहुत सारे सम्मानों तथा पुरस्कारों से नवाजा जा चूका है। उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति dr कलाम उनके कार्य कलापों से प्रभावित हो कर दो बार सिचेवाल से ब्यक्तिगत रूप से मिल चुके है। पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें डी लिट् की उपाधि से भी नवाज चुकी है। जनता इन्हे सड़क बाबा या इको बाबा के नाम से भी पुकारती है।
श्री सिचेवाल अपने व्याख्यान में दूषित पानी से होने वाली बिमारियों तथा पानी को कम लागत में आसानी से शुद्धिकरण की बातें की। नदी की महत्ता को विस्तारित करते हुये उन्होंने गुरु नानक देव के वचन __पवन गुरु पानी पिता तथा धरती माता को दुहराया ।अपने वक्तब्य में 1974 की पानी एक्ट का स्मरण करवाया तथा जनता से जागरूक आशावादी तथा मार्गदर्शक बनने का आह्वान किया।
मंच पर आसीन प्रसिद्ध विज्ञान लेखक तथा भारतीय विज्ञान लेखक संघ के संचालक श्री विवेक श्रीवास्तव अपने संबोधन में मिडिया से संवेदनशील मसले तथा आम जनों के बिच मध्यस्था की भूमिका निभाने पर ज़ोर दिया साथ साथ ग्रामीण स्तरीय मिडिया चौपालों की वकालत की।
वंही पानी को ही केन्द्रित कर बनाया गया वाटर पोर्टल के सीईओ श्री विश्वजीत घोष पिने की पानी की समस्या तथा इसके उपाय से सहभागियों को अवगत करवाया। उन्होंने पानी के मुद्दों को काफी राजनीतिक तथा व्यापक बताया तथा मीडिया से हासिये में रखे गए इस संवेदनशील मुद्दों को प्रकाश में लाने की पुरजोर वकालत की।
वंही दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक तथा साइंटिस्ट श्री मनोज पटेरिया ने मिडिया+विज्ञान का नारा दिया । अपने वक्तव्य में प्रदूषित पानी इस से होने वाली बीमारियाँ तथा इसके समाधान में सरकार आम नागरिक तथा मिडिया के योगदान की भी बिस्तृत चर्चा की। उन्होंने पानी तथा नदी को लेकर समाज में फैली भ्रांतियां तथा अंधविश्वास से उपस्थित गण को मुखातिब करवाये। उन्होंने मिडिया से नैतिक संस्कार तथा जनसंवाद पर बल देने की बात की।
वेब दुनिया के संस्थापक श्री जयदीप कार्निक अपने अभी भाषण में यह विश्वास दिलाये की हासिये पर चला गया विज्ञान पत्रकारिता एक दिन मुख्यधार पत्रकारिता में शामिल हो सकती है तथा इसकाभविष्य बहुत उज्जवल है। अपने संतुलित लेकिन महत्वपूर्ण भाषण में वे वेब दुनिया की 15 साल की उपलब्धि तथा इस समस्या में गाँधी जी के सिधान्तो की महत्ता पर बल दिये तथा गन्दगी संस्कारों से मुक्त होने पर बल दिया ।उन्होंने भारतीय भाषाई पताका के उध्वव की भी चर्चा की।
वरिष्ठ पत्रकार जवाहर कॉल नदियों के महत्त्व तथा इसकी महत्ता पर बहुत ही सुगम तथा आम भाषाई अंदाज में प्रकाश डाला। उन्होंने बड़े ही सहज तरीके से बताया की अगर नदियों को छेड़ोगे तो नदियाँ खुद अपना ध्यान आकर्षित करवा लेती है। कश्मीर में हाल में ही आई विभीषिका पर चर्चा करते हुए बड़े ही गवई अंदाज में कहा की कश्मीर में खड़े पानी तथा बहते पानी के बिच संतुलन नहीं होने के कारन बाढ़ आई उन्होंने नदियों की आवाज सुन ने की वकालत की तथा देश में होने वाली विकास तथा पर्यावरण के बिच की मौलिक टकराव तथा प्रदुषण के दैनिक जीवन के हिस्सा हो जाने की आशंका जताई।
उन्होंने गंगा के महत्व का गुणगान किया तथा बताया की विकास के नाम पर गंगा को बेचा जा रहा है। उन्होंने इस पर अपनी वेदना जताई। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया की इस मिशन छोटे पोर्टल ब्लॉग तथा वेब साईट ज्यादा कारगर साबित होंगे ।
मच पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भाजपा से राज्य सभा सांसद तथा पूर्व पत्रकार श्री प्रभात झा अपने भाषण में ख़बरों के बिभिन्न आयाम की चर्चा की ।उन्होंने ज़ोर देते हुये कहा की नदियों या गावं का जीर्णोधार सिर्फ सरकार के भरोसे संभव नहीं है। समाज को उचाच्स्तारिय रूप देने में नागरिक की भूमिका मुख्य होती है। उन्होंने मृतप्राय आंतरिक लोकतंत्र में जान फूंकने तथा सिविक सेंस तथा वोटर सेन्स पर ब्याख्यान दिया।
इनके अभिभाषण के साथ इस चौपाल का प्रथम सत्र समाप्त हुआ।
Saturday, 11 October 2014
NEHRU GIRLS HOCKEY TOURNAMENT ,at shiva ji stadium
Thursday, 9 October 2014
A dialogue of Indian classical dance with heritage monument Purana Qila, New Delhi
Wednesday, 8 October 2014
आपने बिहार के आनंद कुमार का नाम तो सुना होगा ।सुपर 30 वाले आनंद कुमार बिहार के गौरव ।आईये आपको एक और आनंद कुमार से मिलवाते है।
9 फरबरी 2009 को सारण के आदर्श राजकीय मध्य विधालय में जब एक शिक्षक संजय पाठक का आगमन हुआ तो शायद वंहा से गुजरने वाली आवो हवाएँ भी नहीं सोची होंगी की एक नूतन प्यारी सी बदलाव की बयार चलने वाली है ।रोज सूर्योदय वाली किरने भी नहीं अनुमान लगाया होगा की उसकी कुछ तेज चोरी होने वाली है। आपको बता दे की सारण बिहार राज्य में है। सारण का इतिहास तो गौरवमय रहा है। यह राजेन्द्र बाबु की धरा रही है। पर विगत कुछ दशकों से यह अपराध तथा कुछ नामचीन बाहुबलियों के संघर्ष की भुक्तभोगी रहा है और यह बिख्यात से कुख्यात की ओर अग्रसर हुआ है।
तो बात करते है उस ठंढी बयार की जब संजय पाठक विधालय में नियुक्त हुए तो वंहा उन्होंने कुछ लड़कियों को खेलते हुए देखा । चुकीं पाठक जी को खेलों में रूचि थी तो उन्हें ऐसा लगा की एक प्रयास किया जाये इन लड़कियों को आगे बढाया जाये ।लेकिन स्कूल में प्रयाप्त सुविधा नहीं थी। जैसे तैसे करके प्रधानाध्यापक के सहयोग से उन्होंने जरुरी सामान एकत्र की और इन प्रतिभाशाली लड़कियों के साथ खेल के इस सफ़र का आगाज कर दिया ।
संजय पाठक का हौसला जून 2009 में उस समय बुलंद हुआ जब पंचायत युवा क्रीडा में पहली बार यंहा की लड़कियों ने हिस्सा लिया तथा पुतुल और तारा खातून ने उस आभाव ग्रस्त स्तिथि में भी अपनी प्रतिभा का परचम लहराया। पुतुल कुमारी 100 मीटर तथा 200 मीटर में और तारा खातून 800मीटर तथा 1500 मीटर में विजेता बनी। पुतुल तथा तारा ने जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय अंतर्जीला प्रतियोगिता में भाग लिया। इनका नाम स्थानीय अखबारों में आने लगा ।इस से उत्साहित होकर आस पास की अन्य बहुत सारी लड़कियों ने भी खेल में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। अगस्त 2009 में ही करीब 40 से 50 लड़कियां संजय पाठक के पास आई और अलग अलग खेलों के लिये अभ्यास शुरू कर दिया।
कहते है ना की जन्हा चाह वंहा राह कुछ ऐसा ही हुआ ।संजय पाठक की प्रेरणा लड़कियों के उत्साह तथा कुछ स्थानीय लोगो के सहयोग से एक सपोर्ट क्लब की स्थापना की गयी। इसका नाम रानी लक्ष्मीबाई सपोर्ट क्लब रखा गया। कुछ शुरुआती सफलता से प्रेरित हो कर श्री पाठक ने 19 नवम्बर 2009 को रानी लक्ष्मीबाई फुटबॉल क्लब की स्थापना की गयी। यह क्लब सारण की धरा का पहला महिला फुटबाल क्लब था ।और साथ साथ पहली महिला टीम भी। 2010 में यह बिहार फूटबाल संघ से पंजीकृत हो गया। और फिर शुरू हो गया अभावों पर प्रयासों की जीत का सिलसिला। साथ ही फुटबॉल के सफ़र का एक उन्मुक्त उडान।
उड़ना और उड़ते रहना यही तो पंक्षी की पहचान होती है। और सच में फूटबाल के ये सभी निर्धन पंक्षी अब आकाश में उड़ने को तैयार थे। इस क्लब की कई लड़कियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन राष्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय स्तर पर दर्शाया ।इस प्रयोग से उत्साहित हो कर संजय पाठक ने अन्य खेलों जैसे हैंडबॉल बॉल बैडमिंटन तथा थ्रो बॉल की भी टीम बनाये। इन सभी में भी यंहा की लड़कियों ने रास्ट्रीय तथा अंतररास्ट्रीय पटल पर अपने गुरु राज्य तथा देश का नाम गौरवान्वित किया। आईये हम इस आधुनिक भागीरथ तथा उनके भागीरथ प्रयास के कुछ परिणामों पर नज़र डालते है।
अर्चना कुमारी--अर्चना इस अभियान की ही परिणाम है। वह फूटबाल खेलती है। अर्चना स्कूल स्तरीय वर्ल्ड कप फुटबॉल खेलने फ्रांस जा चुकी है ।बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए अर्चना कई रास्ट्रीय प्रतियोगितायों में भाग ले चुकी है। अर्चना के पिता की इक छोटी सी दुकान है और इसी दुकान से उसके परिवार का गुजर बशर चलता है।
तारा खातून---- तारा फुटबॉल तो खेलती ही है साथ साथ हैण्ड बॉल में भी बिहार का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। अर्चना की तरह तारा भी स्कूल स्तरीय वर्ल्ड कप फुटबॉल खेलने फ्रांस जा चुकी है। तारा के पिता की पंचर की दुकान है और यही परिवार के भरण पोषण का साधन है।
विक्की कुमारी------विक्की भी फुटबॉल और हैंडबॉल दोनों खेलती है। विक्की राज्य स्तर पर फुटबॉल खेलती है और हैंडबॉल में बिहार का प्रतिनिधित्व करती है। विक्की नेशनल टीम में भी चयनित हुई है तथा नेशनल टीम के साथ मलेशिया खेलने जा चुकी है। विक्की के पिता किसान है।
धर्मशीला-----बहुमुखी प्रतिभा की धनी खिलाड़ी ।धर्मशीला फुटबॉल हैंडबॉल तथा थ्रो बॉल खेलती है। वह इंडिया की थ्रो बॉल टीम में शामिल हो चुकी है और मलेशिया में 5 टेस्ट भारतीय टीम की ओर से खेल चुकी है। इसके अलावे हैंडबॉल के sub juniour national तथा ईस्ट जोन इंटर स्टेट खेल चुकी है। फुटबॉल में वह गॉल्कॆपर है। फुटबॉल में भी स्टेट का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। धर्मशीला के पिता मोची का काम करते है।
पुतुल कुमारी----कैरीअर की शुरुआत एथलेटिक्स से। बाद में फुटबॉल खेलना शुरू किया ।इनका चयन बिहार टीम के लिये हुआ ।कई रास्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल ।फिर रास्ट्रीय टीम में भी शामिल हुई और प्रशिक्षण के लिये गांधीनगर गयी लेकिन पासपोर्ट नहीं बनने के कारण खेलने के लिये जॉर्डन नहीं जा सकी।
शकुंतला कुमारी----- ये भी फुटबॉल हैंडबॉल तथा एथलेटिक्स की चैंपियन है। ये बिहार हैंडबॉल टीम की ओर से हिमाचल तमिलनाडु हरियाणा आदि राज्यों में खेलने जा चुकी है। इनका चयन नेशनल टीम के लिये भी हो चूका है। जनवरी 2015 में भारतीय टीम के साथ खेलने जायेंगी। शकुंतला के पिता सब्जी बेचते है और इसी पर पूरा परिवार निर्भर है।
श्वेता कुमारी----अब तक 13 नेशनल बॉल बैडमिंटन प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है। आन्ध्र प्रदेश में इन्हे बेस्ट upcomming खिलाडी का भी ख़िताब मिल चूका है। श्वेता के पिता किसान है।
अमृता कुमारी---अमृता बिहार टीम के साथ कई रास्ट्रीय प्रतोयोगिताओं में भाग लिया है।2013 में उसका चयन इंडियन टीम के लिये हुआ था। एशियन कॉन्फ़ेडरेशन कप खेलने के लिये भी अमृता का चयन हुआ था और वह इंडियन टीम के साथ कोलोंबो में मैच खेल चुकी है। इसमे भारतीय टीम विजेता रहा था। इसमे अमृता को बेस्ट डिफेन्सपप्लेयर का पुरस्कार मिला था।
अंतिम कुमारी---बेहतरीन athlit वर्ष 2013 में रांची में आयोजित ईस्ट जोन एथलेटिक्स में अन्तिमा ने स्वर्ण पदक जीता था। बंगलुरु में कांस्य पदक 200 मीटर रांची में स्वर्ण पदक 2014 में हरिद्वार में 100 मीटर में स्वर्ण पदक। अन्तिमा के पिता तेल बेचते है।
रिंकू कुमारी---रिंकू कुमारी थ्रो बॉल खिलाडी है।
ये कुछ नगीने थे। इनके अलावे भी बहुत सारी प्रतिभाएं कतार में है। पर संजय जी और इस क्लब का ये स्वर्णिम सफ़र बहुत ही मुश्किलों से भरा रहा है सबसे बड़ी परेशानी समाज की मानसिकता थी। बिहार का सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक ताना बाना ऐसा बूना है की यंहा लड़कियों को खुले मैदान में अभ्यास करना भी मुश्किल होता था ।यंहा इस माहोल में लड़कियों को पढाया ही इसलिए जाता है की कम से कम उनकी शादी अच्छी जगह हो जाये। इस संकीर्ण मानसिकता में खेल को कार्रिअर बनाना मतलब बिल्ली की गले में घंटी बांधना के बराबर है। जब लड़कियां शॉट में practic करती थी तो कुछ रुध्हीवादी प्रकृति के लोग व्यंग और छिताकंसी करते थे। लड़कियों तथा संजय के चरित्र पर भी उंगली उठाई जाती थी। लोगो का यंही सवाल होता था खेलने से क्या फायदा होगा? शादी ब्याह में दिक्कत होगी। एक और परेसानी जतिबाद की थी ।इनमे अधिकांश लड़कियां निम्न जाति की है। सामंती प्रबृति के लोग इन्हे आगे बढ़ते देख रुंज होते थे और रोज नयी नयी बाधाएं खड़ी करते थे। इन सबके अलाबे संसाधनों की भी बहुत भारी कमी थी। इन प्रतिभाशाली खिलाडियों के अन्दर एक टीश है ना ही इन्हे कुशल प्रशिक्षक खेल सामग्री पोषक आहार और ना ही खेल का मैदान उपलब्ध है। लेकिन अपनी आत्मविश्वास कठिन मेहनत और आँखों में एक सपना लिये संजय पाठक तथा ये लड़कियां संघर्ष कर रहे है। मैच में विरोधी प्रतिदुन्धी के साथ साथ अभावों को भी चारो खाने चित्त कर रही है।
हम संजय को आधुनिक भागीरथ कहें या दूसरा आनंद कुमार ।पर हम इनके भागीरथ प्रयास को नज़रन्दाज नहीं कर सकते। हम उनके जज्बे को सलाम करते है। हमें उम्मीद है बिहार और भारतीय खेल प्रशासन एक ना एक दिन इन्हेएइंगित जरूर करेगा। और इन सबके लिये मै बस इतना ही कहूँगा।
मानव तन है मन ब्याकुल है।
दृढ विस्वास दिशा निश्चित है।
लक्ष्य कठिन है लेकिन फिर भी।
जीवन का संकल्प अडिग है।
रुकना नहीं चलते रहना है
मंजील दूर पर दुर्लभ नहीं है। ल
CAN MEDIA REDUCE TERRORISM?
From Yasser
The question may seem awkward when media is all about delivering the latest stories. Whenever any incident of terrorism occurs , the story hits the headlines and the breaking news. Did we ever thing how it effect the viewer's ? Just imagine of an afghan child watching the latest news from his local news channel. The moment the breaking news pops up with red color stating " An Islamic terrorist blew himself in busy crowd of foreign tourists in kabul." So how would this effect little child. For this we need to go back in the past of the child. Ever since childhood he was taught that Islam is the truth, your success is in Islam and you must follow it till death , without teaching what Islam really is all about. It's not that those teaching Islam weather it be parents or teachers hide Islam, they themself know almost nothing.
So who teaches the child Islam? Yes ofcourse the local Madrasa but where does he learn terrorism from ? I wound not speak on madrasa since my focus is on media. When word "Islamic " come from a news channel, the child remember Islam is the truth, success and must be followed. So whatever comes after the word "Islamic " the child is ready to accept it as truth and is ready to follow it. The next word usually is " Terrorism" followed by the the details of the incident, usually suicide attack , civilian deaths,
damaged cars and so on. Everything is connected to Islam. For the child everything is correct. No matter how ugly story of terrorism it be the child starts justifying it inside his innocent brain until he loses his innocence. Many may not believe in this, but imagine if the child is an orphan, his parents died from an American drone strike, would not news motivate him to be another terrorist ? This is why its no wonder why terrorism hiked in countries like Afghanistan, Iraq ,Syria ,Yemen and Pakistan after American invasions and main stream news associating Islam and terrorism . It0 is highly likely that media companies may not have intended so, probably the Americans must have intended something else too. After all one thing the world realised war doesn't end terrorism on opposite it only promotes. The world is yet to realise that associating terrorism with Islam is only promoting terrorism!
Where an air strike kills one terrorist it also kills twenty other innocent civilians who's brothers and sons become new terrorist. So it never decreased terrorists. Some what similarly media does the same thing, probably unknowingly. One terrorist incident covered only promotes many others to do the same.
So should the media covering a terrorist incident be stopped? If it can decrease terrorism then I would support stopping the media covering the incidents. If we think carefully and ask ourselves would stopping the coverage of incidents really solve the problems ? It doesn't matter weather media covers the story or not. What matters is media can educate Muslims about Islam. Those who suicide if they knew Islam has no room for suicide and no room for killing innocent life's. More over Islam asks victims to be patient at times of hardship, to forgive their oppressors , to overlook others mistakes. If these messages reaches those who are likely to become terrorists, would they not change their decisions ? When they would know there is nothing like holy war and seventy virgins awaiting in paradise for what they are doing, instead they would be punished in hell for killing innocents , would they continue to suicide? Who can broadcast this message ? If the news channels instead using Islamic terrorism and change it to only Terrorism and teach real Islam, probably terrorsim will decrease, otherwise it is only going to grow. Reminding deviated muslims about the truth of islam is a very good solution.
If the media owners and other politicians are really interested to decrease terrorism then they would need to think for some change. If things don't change then I think we can assume the intentions are not only to covers terrorism but also to promote terrorism. Probably when terrorism reaches till their door , they may realise their mistake, but by then it would be very late.