Thursday, 31 December 2009
Wednesday, 30 December 2009
"व्यवसाय और हमारी भाषाये"
- प्रोफेस्सर वैसिनी शर्मा (केंद्रीय हिंदी संस्थान) ने इन्फ़ोर्मसिअल, Tele मार्केटिंग, Tele सोपिंग तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए भासा का व्यवसाय मैं स्वरुप ,स्थान एवम भूमिका पर प्रकाश डाला ।
- जवाहर (आय कर बैंकिंग, भोपाल ) के अनुसार १९७८ मैं बेंको का रास्ट्रीय करण किया गया , बेंको का अधिकांस काम हिंदी मैं करेने के निर्देश दिए गए , ऐ टी ऍम को भी हिंदी भासा मैं किया गया ताकि ज्यदातर लोग ऐ टी ऍम का प्रयोग कर सके और बेंको मैं भीड़ कम की जा सके । भासा का विकास देश के आर्थिक विकास मैं योगदान कर सकता है ।
- विजय कुमार मल्होत्रा (माइक्रोसोफ्ट) के अनुसार ग्रामीण भाषाये अनुस्राजन (Transcreation) या सामान्य अनुवाद से परे है मल्होत्रा जी ने Translation एवम Transcriation के उदहारण देते हुए बताया की कैसे भासा का व्यवसाय मैं प्रयोग किया जा रहा है उद्धरण स्वरुप Taste the thunder --बिजली को चखो । Only the Wet Survive -- भिगो तो जानो।
श्री निवासन राघवन के अनुसार , इंग्लिश एक इंडियन भासा है निवासन इंग्लिश को विदेशी भासा नहीं मानते , इनका मानना है कीसन १९५७ मैं दिल्ली का भासा स्वरुप पंजाबी भासा पर आधारित था , और आज यह हरयान्वी भासा पर आधारित है पर २०१५ तक भासा का स्वरुप बिहारी भासा पर आधारित होगा , तो उनके अनुसार भासा स्वरुप निरंतर बदलता रहेगा ।
श्री मान सुरेंदर ने अवगत कराया की .०१% लोग ही व्याकरण सुद्ध रूप मैं लिख सकते हैं तो निष्कर्ष यह निकलता है की बाकि सभी अंध- पंगु न्याय पर निर्भर करते है इनके अनुसार व्यक्ति केवल दोनों भाषाओं को लिखकर काम चला रहा है इससे न तो हिंदी का और न ही इंग्लिश का ही विकास होगा ।
श्रवण (बिजनिस भास्कर ) के अनुसार Times of India ११वे नंबर पर इंग्लिश का अखबार है ,इनके अनुसार दुनिया के कई बड़े देशो ने अपनी भासा को नहीं छोड़ा ,जबकि हमारे नेताओ ने ही विदेशो मैं यह जाहिर कर दिया की वे अपनी भासा को छोड़ रहे हैं इस वजह से उर्दू तथा गुरुमुखी के अखबार बंद हो चुके हैं ।
WELCOME
ALL THE PARTICIPANTS OF XLI SSBMT(OUTDOOR) ZONAL
CULTURAL PROGRAMME BY THE ARTISTS FROM PUNJABI ACADEMY AND NPL GROUP ONLY FOR THE WELCOME OF INDIAN FAMOUS ATHLETES ON 27DEC,2009
Tuesday, 29 December 2009
Day four of the 6th BRA-IBSA National Football Tournament for the blind
2nd IBSA Power lifting Championship for Blind
World’s 5th ranker blind Athlete and last year’s 65kg category power lifting gold medalist Rishikant Sharma (Delhi) again took the show by lifting highest 240kg of the day in 60kg category. In the same category Raman Jee (
In 56 kg category Krishnan Murari (Rajasthan) won the gold by lifting the total weight of 210kg. The silver and bronze were bagged by C. Sudalai Mani (TamilNadu) and Uttam Singh (Rajasthan).
Day four of the 6th BRA-IBSA National Football Tournament for the blind
Dehradun, Jodhpur and two teams from Delhi enters Semifinals.
Neck to Neck fight between Ankur Dhama and Ishrafi for Highest goaler.
Ishrafil (EOC, DU) was the highest goaler leading with 12 goals leaving behind the 11 goals of Ankur dhama (
Among four semifinalists i.e. NIVH Dehradun, EOC Delhi, JPM school Delhi and NIVS Jodhpur; the Equal Opportunity Cell DU enters finals by defeating NIVH Dehradun by 2-0.
Monday, 28 December 2009
विश्व शांति के लिए सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद (original)
यह घटना एक और सबक भी सिखाती है की सापों को पालने वाला एक न एक दिन स्वयं उसका शिकार बन जाता है। अफगानिस्तान में सोवियत संघ के प्रभाव को कम करने और अपना वर्चस्व स्थापित करने क लिए अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी सी. आइ .ऐ ने सउदी arबी के आतंकवादी बिन लादेन को प्रशिक्षण दिया तथा धन और हथियार मुहैया कराकर उसे अफगानिस्तान में रूसियों के सामने खड़ा कर दिया। आज वाही बिन लादेन अमेरिका को चाहिए -जिन्दा या मुर्दा , क्योंकि वर्ल्ड ट्रेड टावर पर किये गए हमले के लिए अमेरिका उसे ही जिम्मेदार मानता है।
यदि हम आतंकवाद के इतिहास पर नज़र डालें तो युग में , आतंकवाद की पहचान इसराइल और फिलिस्तीनियों के झगड़े के रूप में कर सकते हैं ,उसके बाद श्री लंका में होने वाली जातीय हिंसा इसका दूसरा रूप दिखाती है। आतंकवाद के मूल में हमेशा से ही आर्थिक विषमता तथा राजनेतिक दमन रहा है लेकिन शअस्तर क्रन्तिकारी आन्दोलन और आतंकवाद के बीच हमे एक विभाजन रेखा खीचनी होगी। ब्रिटिश हुकूमत भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के आन्दोलन में आतंकवाद की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आ सकता। दो दशक पहले ,जब पंजाब में आतंकवाद ने सर उठाया था तो उसके मूल में आर्थिक विषमता और बेरोजगारी थी। पडोसी शत्रु देश पाकिस्तान ने इसमें साम्प्रदायिकता का जहर मिलकर इसे एक नया रूप देने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ और १०-१२ वर्षों तक अपना घिनोना चेहरा दिखाकर इस आतंकवाद ने दम तोड़ दिया।
आधुनिक भारत के इतिहास में १९६७ का विशेष महत्व रखता है जब बंगाल के एक छोटे से गाँव "नक्सलबाड़ी " से एक किसान आन्दोलन शुरू हुआ जिसने बाद में लगभग पुरे देश में फेलकर एक आन्दोलन से आतंकवादी हिंसा का रूप ग्रहण किया। उस समय नक्सलवादी आन्दोलन एक केंद्रीय नेत्रत्व के अंतर्गत शुरू हुआ था लेकिन बाद में उसके अनगिनत टुकड़े हो गए , ये सभी गुट अपनी रोज्मरा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लूटमार ,फिरोती जैसी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो गए तथा इनका राजनेतिक उदेदेश्य लुप्त हो गया। आज कश्मीर के बाद नक्सलवादी हिंसा आतंकवाद का दूसरा सबसे घिनोना चेहरा है।
छठे दशक तक आतंकवाद देसी और परंपरागत तरीकों पर निर्भर था जिसमे व्यक्तिगत हिंसा ही प्रमुख होती थी लेकिन उसके बाद यह हाईटेक हो गया। पूरी दुनिया में जो परिवर्तन हुए उससे उन्हें अत्याधुनिक हथियार और धन आसानी से मुहैया होने लगा। आज स्थति यह है की भारत सहित दुनिया भर के अधिकांश आतंकवादी संगठनों के पास आणविक हथियारों को छोड़कर सभी प्रकार के अत्याधुनिक हथियार मोजूद हैं। यहाँ तक की जैविक और रासायनिक हथियार भी। इन हथियारों को खरीदने के लिए उनके पास धन की कोई कमी नहीं है, कई देशों में आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने के लिए शिविर लगाये जाते हैं। पाकिस्तान ,अफ्गानितन सहित खाड़ी के कई देश आतंकवादियों के अभ्यारण बने हुए हैं। जहाँ से पुरे विश्व में आतंकवाद का निर्यात किया जाता है ।
आज दुनिया के अधिकांश अपराधी ,तस्कर और नशीली दवाओं के व्यापारी आतंकवाद के फलने -फूलने के लिए अनुकूल वातावरण बना रहे हैं। आतंकवादियों के पास इतनी तरह के आधुनिक हथियार मौजूद हैं जो दुनिया के अधिकांश विकास शील तथा गरीब देशों की पुलिस और सेना के पास भी नहीं है। कमजोर देशों में तख्ता पलट करना तथा निर्दोष लोगों की हत्या करना इनके लिए आम बात है। अब वेह दिन दूर नहीं जब इनके पास आणविक हथियार भी उपलब्ध होंगे तथा ये विश्व शांति के लिए भयानक चुनोती बन जायेंगे। अभी परिस्थितियों का बेकाबू होना शुरू हुआ है ,अमेरिका और दुसरे विकसित देश अपने स्वार्थों को छोड़कर आतंकवाद फेलाने वाले देशों को सहायता देना बंद करें , तथा पुरे विश्व में आर्थिक और जातीय समानता के लिए काम करें , तभी आतंकवाद को फैलने से रोका जा सकता है ,अन्यथा आतंकवाद का यह दैत्य पुरे विश्व को निगल जायेगा ।
पुरे , विश्व में शांति का प्रसार करके आर्थिक तथा तकनिकी प्रगति का लाभ सभी तक पहुंचाकर ही इस समस्या का स्थायी हल खोजा जा सकता है। जब तक दुनिया में जाती और नस्ल के आधार पर भेदभाव होता रहेगा , आर्थिक विषमता बनी रहेगी , धार्मिक कट्टरता लोगों को गुमराह करती रहेगी तब तक आतंकवाद पनपता रहेगा।
यदि एक वाक्य में कहना हो तो वसुधेव कुटुम्बकम की भावना ही आतंकवाद जैसी भयावह समस्याओं का स्थायी विकल्प हो सकती है।
Former Haryana police chief SPS Rathore has got away with a six-month sentence for molesting a 14-year old girl, Ruchika Girhotra, who killed herself three years later while desperately searching for justice, it is mainly due to a glaring lacuna in the 150-year-old Indian Penal Code, which does not have any provisions for child victims of sexual molestation.
CBI had actually opposed the addition of this charge before a Chandigarh trial court.
In 2001, when Madhu Prakash, mother of Ruchika’s friend Anuradha, filed an application for charging Rathore under Section 306 IPC —abetment of suicide—which could have put the ex-DGP behind bars for up to 10 years, the CBI opposed it.The trial court was not convinced by the CBI’s opposition and accepted Madhu Prakash’s application. On Rathore’s revision petition, the Punjab and Haryana high court gave a reprieve to Rathore on February 12, 2002, citing CBI’s written opposition dated October 20, 2001.
How Sec 306 Got Dropped
1. CBI told HC it had ‘thoroughly examined’ statements of witnesses who said DGP created ‘hell-like’ conditions for Ruchika.
2. Ruchika was expelled from school for not paying fees, not due to extraneous pressure.
3. Ruchika’s Grandfather Daya Ram, and two maternal Uncles, both named N S Chauhan, certified cause of death to be medicines she was taking to lose weight.
4. Though he claimed to have been framed in theft cases, her brother Ashu didn’t make himself available for CBI examination.
http://pravasifilmfestival.in/
Respected Sir / Madam:
The First Pravasi Film Festival 2010, organized in collaboration with the Republic of Mauritius with its opening on January 3, 2010 at India Habitat Centre; New Delhi welcomes you on board. Schedule of activities: to be communicated shortly, updates are available on http://pravasifilmfestival.in/ The Pravasi Film Festival, organized by the Pravasi Today Group is an initiative to bring the NRI film makers on a common platform with their Indian counterparts. The PFF 2010 shall be graced by several personalities from the film fraternity across the globe including Mira Nair, Saeed Jaffrey, Deepa Mehta, Sharmila Tagore, Soha Ali Khan, Sangeeta Datta Adoor Gopalakrishnan, Basu Chatterjee, Poorva Bedi, Manoj Bajpai, Prakash Jha and Rahul Rawail to name a few. Other Eminent NRI filmmakers like Nasreen Munni Kabeer, Dr. Nikhil Kaushik, Anirudh Sanyal, Krishna DK and Raj Nidimoru have also consented to grace the occasion.The awards ceremony in various competitive sections would be held on the 6th of Jan 2010.The PFF would also confer the ‘Life Time Achievement Award’ on Sh. Saeed Jaffrey for his valuable contribution to the cinema world. We cordially invite you to be the part of the Festival which is unique in its approach and content. PFF looks forward to your presence to make this event truly grand.Festival Dates:· January 3, 2010: The Opening Ceremony · January 4,5, 2010 Films screening· January 6, 2010 : The closing day with the Award Ceremony
Sunday, 27 December 2009
सत्ता और शोषण
आज हमारे समाज पर सत्ताधारी मंत्रियों का आतंक और अत्याचार इतना अधिक बढ़ गया है की वे अपनी सत्ता और रुतबे के आवेश में आम जनता और उसके व्यक्तित्व को कुछ नहीं समझते। ऐसे ही मामले को उजागर करता हुआ एक ज्वलंत उदाहरण हमे हरियाणा के रिटायर एस.पी.एस राठौर द्वारा १९ साल पहले कांड का मिलता है जिसने एक १४ वर्षीय लड़की रुचिका को आत्म हत्या करने पर मजबूर कर दिया। राठौर द्वारा की गयी रुचिका से छेड़खानी और उसके बाद अपनी कुर्सी ,सत्ता और रुतबे के बल पर उसके परिवार को बर्बाद करने की जो कोशिश की गयी उसने रुचिका को अपनी जिन्दगी ख़त्म करने पर मजबूर कर दिया। परन्तु रुचिका का ये बलिदान भी उसके परिवार को सत्ता के मालिकों के हाथों से बचा नहीं सका , उसके परिवार को खुद को राठौर जैसे सत्ताधारी से बचाने के लिए हरियाणा छोड़ना पड़ा और हिमाचल जाकर अपनी पहचान छुपा कर रहने के लिए मजबूर हुए । इसमें उनका क्या कसूर था ? आखिर कब तक हमे इन नेताओं , मंत्रियों के अत्याचारों को सहना होगा ? कब तक ऐसी हजारों रुचिकाओं को इन्साफ के लिए अपने प्राणों की आहुति देनी होगी ?
रुचिका ने इन सब चीज़ों से तंग आकर अपने प्राण त्याग दिए इस उम्मीद में के शायद उसे मरने के बाद इन्साफ मिले मगर उसकी मौत के १६ साल बाद जब उस दरिन्दे को सजा देने की बारी आई जिसने एक हँसते-खेलते परिवार को तबाह कर दिया तो हमारी न्यायपालिका और सत्ता के रसूकदारों ने राठौर के लिए केवल १००० का जुरमाना और ६ महीने की सजा का करार दिया। क्या रुचिका के बचपन को उजाड़ने का बीएस यही खामियाजा है।
नहीं, रुचिका को इन्साफ मिलना ही चाहिए और उसे इन्साफ दिलाने के लिए अब आवाम ने अपने हाथ उठाये हैं ।
न्याय पालिका को अपना आदेश बदलना होगा और राठौर को कड़ी से कड़ी सजा देनी होगी जिस से ऊँचे पदों पर बैठे सत्ता धारियों को सबक मिले और उनका जनता पर शोषण और अत्याचार बंद हो सके और कल किसी और रुचिका के सपनो को कुचला ना जा सके।
अब मिलेगा रुचिका को इन्साफ क्योंकि आम आदमी है उसके साथ ...
job info
2)Me News, a soon-to-be-aired 24×7 Hindi regional news channel from Manav Entertainment Group, has the following openings.
Locations: Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Jharkhand, Chhattisgarh, Bihar and Uttarakhand
Job requirements:- Excellent command over spoken and written English & Hindi.- Good knowledge of the state, its culture, traditions and literature.- Ability to type in both the Unicode Script and the Roman Script in electronic media patterns
Contact person: A. Chandra (News & State co-ordinator)Contact details:Call on 0522-2786901/02 or +91-9335105222. Mail your resume at menews24@gmail.com or bureau@menews.in
Saturday, 26 December 2009
2nd Day of the National Football Tournament for the Blind 26th to 30th December 2009
Initially both team performed well but Ankur of JPM Delhi scored six goals against NVS Jodhpur. NVS scored only one goal and easily lost the game.
The winner of the game was JPM Delhi.