Sunday, 18 September 2016
धर्म एवं संस्कृति आधारित पत्रकारिता खालसा कालेज में आयोजित हो रहे बेब जर्नलिज्म एवं स्पोर्ट्स इकोनोमिक एण्ड मार्केंटिंग पाठ्यक्रमों की दिनांक 8 सितंबर 2016 की संयुक्त कक्षाओं के छात्रों को आज के अतिथि वाचक वरिष्ट ज्योतिषाचार्य एवम पत्रकार धर्म एवं संस्कृति पं भानुप्रताप नारायण मिश्र ने संबोधित करते हुए पत्रकारिता में धर्म एवं संस्कृति तथा उसके महत्व से अवगत कराया । श्री मिश्र ने बताया कि पत्रकारिता में धर्म एवं संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने से छात्रों को आध्यात्मिक एवं मानसिक ज्ञान के साथ-साथ विभिन्न धर्मों को निकटता से जानने व समझने का अवसर प्राप्त होता है। साथ ही साथ इस प्रकार की पत्रकारिता में धार्मिक यात्राओं के अलावा घर से भी गहन अध्ययन द्वारा भी कर सकते हैं, चूंकि ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक धर्म के त्यौहारों का वार्षिक विवरण पंचांग कलैण्डर के रूप में पूर्व निर्धारित हो जाते हैं जिसमें अधिकतर आकस्मिक जैसा कुछ नहीं होता। अत: आवश्यकता होती है उन अनुष्ठानों व त्यौहारों के विषय में आपके पास अधिक से अधिक अध्ययन सामग्री व ज्ञान होने की जो आपके पाठकों को उनके धर्म व संस्कृति के बारे में सरलता व सुगमता से उपलब्ध हो सके, साथ ही साथ पाठ्य सामग्री अध्ययन की दृष्टि से रूचिपूर्ण व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तर्कसंगत हो ताकि मानव जीवन को धर्म व संस्कृति के अंधविश्वासों से दूर रख तर्क पूर्ण ढंग से जोड़ा व रखा जा सके । एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए श्री मिश्र ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध से पूर्व अधिकांश धार्मिक ग्रंथों महर्षि वेद व्यास जी ने लिखे किन्तु महाभारत नामक महाग्रंथ का लेखन महर्षि व्यासजी ने श्री गणेश जी से कराया क्यों कि गणेश जी तीव्र लेखन में सर्वश्रेष्ठ व निपुण थे, इसी से जोड़ते हुए श्री मिश्रजी हम पत्रकार लेखकों को भी श्री गणेशजी को आदर्श स्वरूप मानते हुए किसी भी सजीव घटना का लेखन कार्य में निपुणता प्राप्त करने का महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया। श्री मिश्रजी ने छात्रों को चार धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम्, सोमनाथ, जगन्नाथपुरी की यात्रा के विशेष महत्व से अवगत कराते हुए बताया कि कैसे इन धार्मिक यात्राओं के माध्यम से हम देश की विभिन्न धर्मों की संस्कृतियों से परिचित हो सकतें हैं तथा हिन्दू धर्म के अतिरिक्त मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध तथा पारसी के बारे में पत्रकारिता के माध्यम से उनमें व्याप्त रीतियों व कुरीतियों को निकटता से जानकर मानव समाज के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं तथा हिन्दू धर्म के ध्येय "वसुधैव कुटुम्बकम्" से अन्य धर्मों से जोड़कर सही अर्थों में देश की एकता, अखण्डता व सार्वभौमिकता को अधिक सुदृढ़ बनाने में अपना धर्म एवं संस्कृति आधारित पत्रकारिता खालसा कालेज में आयोजित हो रहे बेब जर्नलिज्म एवं स्पोर्ट्स इकोनोमिक एण्ड मार्केंटिंग पाठ्यक्रमों की दिनांक 8 सितंबर 2016 की संयुक्त कक्षाओं के छात्रों को आज के अतिथि वाचक वरिष्ट ज्योतिषाचार्य एवम पत्रकार धर्म एवं संस्कृति पं भानुप्रताप नारायण मिश्र ने संबोधित करते हुए पत्रकारिता में धर्म एवं संस्कृति तथा उसके महत्व से अवगत कराया । श्री मिश्र ने बताया कि पत्रकारिता में धर्म एवं संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने से छात्रों को आध्यात्मिक एवं मानसिक ज्ञान के साथ-साथ विभिन्न धर्मों को निकटता से जानने व समझने का अवसर प्राप्त होता है। साथ ही साथ इस प्रकार की पत्रकारिता में धार्मिक यात्राओं के अलावा घर से भी गहन अध्ययन द्वारा भी कर सकते हैं, चूंकि ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक धर्म के त्यौहारों का वार्षिक विवरण पंचांग कलैण्डर के रूप में पूर्व निर्धारित हो जाते हैं जिसमें अधिकतर आकस्मिक जैसा कुछ नहीं होता। अत: आवश्यकता होती है उन अनुष्ठानों व त्यौहारों के विषय में आपके पास अधिक से अधिक अध्ययन सामग्री व ज्ञान होने की जो आपके पाठकों को उनके धर्म व संस्कृति के बारे में सरलता व सुगमता से उपलब्ध हो सके, साथ ही साथ पाठ्य सामग्री अध्ययन की दृष्टि से रूचिपूर्ण व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तर्कसंगत हो ताकि मानव जीवन को धर्म व संस्कृति के अंधविश्वासों से दूर रख तर्क पूर्ण ढंग से जोड़ा व रखा जा सके । एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए श्री मिश्र ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध से पूर्व अधिकांश धार्मिक ग्रंथों महर्षि वेद व्यास जी ने लिखे किन्तु महाभारत नामक महाग्रंथ का लेखन महर्षि व्यासजी ने श्री गणेश जी से कराया क्यों कि गणेश जी तीव्र लेखन में सर्वश्रेष्ठ व निपुण थे, इसी से जोड़ते हुए श्री मिश्रजी हम पत्रकार लेखकों को भी श्री गणेशजी को आदर्श स्वरूप मानते हुए किसी भी सजीव घटना का लेखन कार्य में निपुणता प्राप्त करने का महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया। श्री मिश्रजी ने छात्रों को चार धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम्, सोमनाथ, जगन्नाथपुरी की यात्रा के विशेष महत्व से अवगत कराते हुए बताया कि कैसे इन धार्मिक यात्राओं के माध्यम से हम देश की विभिन्न धर्मों की संस्कृतियों से परिचित हो सकतें हैं तथा हिन्दू धर्म के अतिरिक्त मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध तथा पारसी के बारे में पत्रकारिता के माध्यम से उनमें व्याप्त रीतियों व कुरीतियों को निकटता से जानकर मानव समाज के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं तथा हिन्दू धर्म के ध्येय "वसुधैव कुटुम्बकम्" से अन्य धर्मों से जोड़कर सही अर्थों में देश की एकता, अखण्डता व सार्वभौमिकता को अधिक सुदृढ़ बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं । योगदान दे सकते हैं ।
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