भारत में खेलों की
लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। इससे भारत में खेल और उससे जुड़ी इंडस्ट्री
भी काफी तेजी से बढ़ रही है। आज के समय में खेल केवल मैदान और खिलाड़ियों तक सीमित
न होकर उससे कहीं आगे जा चुका है। खेल के इन्हीं पहलुओं को फिक्की द्वारा आयोजित
दो दिवसीय ग्लोबल स्पोर्ट सम्मिट ‘टर्फ’ में टटोला गया। इन दो दिनों के दौरान देश और विदेश के कई खेल और उससे जुड़ी
संस्थाओं की हस्तियों ने विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे और संभावनाओं पर चर्चा
की।
सम्मेलन के पहले दिन
न्यूजीलैंड के साथ एक एमओयू भी साइन किया गया जिसके बाद भारत के चुने हुए खिलाड़ी
न्यूजीलैंड में प्रशिक्षण के लिए भेजे जाएंगे। न्यूजीलैंड की हाई कमीशनर एचई जेन हैंडरसेन
ने खेल का विकास का आधार बताते हुए कहा कि खेल भारत और न्यूजीलैंड के रिश्तों का
एक मुख्य आधार है। भारत के युवा शक्ति है और न्यूजीलैंड के पास संभावनाए इसका
मिलकर उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही पहले दिन के पहले सत्र में भारत के खेल
भविष्य को लेकर एक फिल्म दिखाई गई। फिल्म की शुरुआत 1973 से होकर आज तक चली और
फिल्म के द्वारा के यह बताया गया कि भारत ही आनेवाले समय की खेल इंडस्ट्री है।
खेल मंत्रालय के पूर्व सचिव
पीके देब ने पीपीटी प्रजेंटेशन के जरिए यह बताने की कोशिश की कि सरकार द्वारा
खेलों में विकास के लिए क्या-क्या भावी योजनाएं है। उन्होंने कहा कि हमारे 80 फीसद
खिलाड़ी गांव से आ रहे हैं जिनके पास कोई आधारभूत ढ़ाचा उपलब्ध नहीं है। हमें
जरूरत है एक प्रणाली की जो इन खिलाड़ियों को शुरुआती स्तर पर आधारभूत ढ़ाचा मुहैया
कराए। इसके अलावा इन दो दिनों के दौरान पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए राष्ट्रीय
खेल बिल के लागू करने, खेल के विनियमन, भारत में खेल और पेशेवर बनाने, देश में खेल
टूर्नामेंट आयोजन, खेल में ज्यादा से ज्यादा शोध और विकास, लंबे विकास के लिए खेल
में निवेश, खेल के द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने और शुरुआती स्तर पर आधारभूत
ढ़ाचा तैयार जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई। सम्मेलन में सेक्टर स्किल जैसे नए
क्षेत्रों और खेल के साथ शारीरिक शिक्षा की अहमियत पर भी विचारकों ने बात की।
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