हमारे क्रान्तिकारी फैसले ही देश के हालातों को बदलने का काम करेंगे|
आज़ादी के बाद से ही हमारे देश में सरकारी विभागों में कुछ इस प्रकार से कार्य किये गये, जिसमें अधिकारीगण व सरकारी कर्मचारियों ने आम जनता की चिन्ता को दरकिनार करते हुये अपनी सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिती को मजबूत करने का कार्य किया, जिसके लिये किसी भी हद तक गिर कर काम करना इनकी नियती बनती चली गई| आज भ्रष्टाचार का इस कदर बोलबाला फैला हुआ है कि आम जनता ने अब इसे अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा ही मान लिया है मगर हम सब यह बात जानते हैं कि अगर किसी मशीन का एक छोटा सा बोल्ट भी खुला रह जाये तो विपरीत परिस्थितियों में वह मशीन ज्वालामुखी का रूप धारण करते हुये खुद को व आसपास मौजूद हर व्यवस्था को क्षति पहुँचाने का कार्य करती है चाहे वह जन क्षति हो या आर्थिक क्षति| उसी प्रकार आम इंसान भी इस भ्रष्टाचारी माहौल से कुछ इस तरह त्रस्त हो चुका है और उसके भीतर भी इसी प्रकार के कुछ बोल्ट ढीले होते चले जा रहे हैं, जो सही मायने में उसको उधम सिंह बनने पर मजबूर किये हुये हैं| कभी-कभी उनका यह गुस्सा उनके बच्चों व परिवार पर हावी हो जाता है और उन्हें शारीरिक क्षति पहुँचाने का कार्य करता है और हम ऐसे इन्सान को मानसिक रूप से पागल कहने का कार्य करते हैं और उसे दोषी करार देते हैं| हम यह नहीं देखते कि वह किन परिस्थितियों के वशीभूत होकर इस प्रकार की प्रतिक्रिया पारिवारिक माहौल को प्रदान कर रहा है|
जैसा कि हम यह
जानते हैं, कि बच्चा वर्ष भर मेहनत करता है मगर ऐन परीक्षा के समय बीमार पड़ जाने की
वजह से परीक्षा में असफल हो जाता है तो हम इस परिणाम की वजह को तो समझते हैं कि उसे
यह परिणाम क्यूँ प्राप्त हुआ, मगर हमें यह भी समझना चाहिये कि इस भ्रष्टाचारी माहौल
में हर पीड़ित आम इंसान उधम सिंह बनने की कगार पर खड़ा है| जरूरत है इस नज़रिये को समझने
और उसके समाधान के लिये पहल करने की| सही मायने में देखा जाये तो हमारी पुलिस प्रशासकीय व्यवस्था अपने काम का 10% भी इस तरह के
बनने वाले वातावरण को रोकने के काम पर लग जाये तो केवल 30% से 40% कानून के रखवाले
ही इस देश के माहौल को बदल डालेंगे और जवानों की कमी हैं यह कहने की आवश्यकता ही नहीं
पड़ेगी| संगठन के पास एक मामला आया है लुधियाना से, जहाँ दो महीने से बिजली विभाग
की लापरवाही के परिणामस्वरूप High Voltage के तारों का जमावड़ा संबंधित क्षेत्र की बस्ती
में कुछ इस कदर फैला है कि वह कभी भी गंभीर जानलेवा दुर्घटना को दावत देने को काफी
है| संबंधित मामले में क्षेत्र के निवासियों ने शिकायत पत्र पाँच महीने पहले ही दिनांक
06/2/2013 को संबंधित विभाग में प्रेषित कर दिया था| मगर
आज तक बिजली विभाग ऐसा कोई कार्य नहीं कर रहा हैं जिससे यह पता चले कि वे क्षेत्रिये
निवासियों के गुस्से की आग को ठण्डा करने की कोशिश कर रहे हों| सही मायने में
इस प्रकार के कार्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है जहां तक ऐसा नजर आता
हैं कि वे इन्तजार कर रहे हैं कि कब क्षेत्रिय निवासी उधम सिंह बनकर उनके दफ्तर में
आयें, तोड़-फोड़ करें, नुकसान पहुँचायें और फिर वे पुलिसिया सहयोग का उपयोग करते हुये
उन्हें गोलियों से भूनने का कार्य करें|
अगर हम थोड़ा
सा चिंतन करें और नज़र डालें तो साफ समझ में आयेगा कि क्षेत्रिये चौकी का एक जवान भी
अगर क्षेत्रिये समस्या को देखते हुये संबंधित विभाग में जाकर अधिकारी को केवल मुँह
जवानी शिकायत भी दे दे तो मामला हल होने में समय नहीं लगे, जबकि क्षेत्रिय निवासियों
के उधम सिंह बनने पर एक जवान की बजाये 100 जवानों को संबंधित विभाग में भेजना पडेगा,
गोली चलानी पड़ेगी, जिससे अगर 2-4 जख्मी हो गये तो क्रोधित होकर "जन समुदाय"
"निजी व सरकारी संपत्तियों" को नुकसान पहुंचाने का कार्य करना शुरू कर देगा,
परिणाम जवानों की संख्या में बढोत्तरी करनी पड़ेगी और क्षेत्र को दंगाग्रस्त घोषित करते
हुये जवानों की टुकड़ियों को तैनात करना पड़ेगा|
क्या ऐसी स्थिती
से बचने का कार्य करना समझदारी नहीं है? अगर यहाँ पुलिस प्रशासन खुद आगे बढकर ऐसे माहौल
के बनने से पहले परिस्थितियी को समझ कर क्षेत्रिये निवासियों की समस्या को हल करने
का कार्य नहीं कर सकता था? अगर ऐसा किया होता तो कितने ही कम जवानों का उपयोग करके
क्षेत्र की शांति को सामान्य रखा जा सकता है| हमारा संगठन
संबंधित अधिकारियों, पुलिस प्रशासकीय व्यवस्था, मंत्रालय के अधिकारीगणों से अपील करता
है कि अब समय आ गया है, परिस्थिती को समझते हुये कुछ क्रांतीकारी कदम उठायें, क्षेत्रिय
निवासियों की उन समस्याओं को जो वे अपने काम पर जाने की वजह से संबंधित विभागों में
जाकर दर्ज नहीं कर पाते हैं, उन्हें आगे बढकर खुद दोस्ती भरे माहौल में दूर करवाने
की कोशिश करें|
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