भारत में केवल एक ही खेल का
वर्चस्व है और वह बताने की जरूरत नहीं है कि वह खेल कौन सा है? लेकिन इसका मतलब यह
नहीं है कि हम दूसरे खेलों को नजरअंदाज कर दे। इंडिया फुटबॉल फोरम 2013 के नाम से मंगलवार
को हैबिटेट सेंटर में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें भारत में फुटबॉल को आगे
बढ़ाने के लिए क्या किया जाए और उसके सामने किस प्रकार की चुनौतियां हैं उस पर
चर्चा हुआ। ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के महासचिव खुशहाल दास ने सम्मेलन में फेडरेशन
के विजन से सबको रूबरू करवाया। उन्होंने आनेवाले सालों में फेडरेशन कौन-कौन से कदम
फुटबॉल को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए उठानेवाली है उसको एक पीपीटी
प्रेजेनटेशन के जरिए समझाने की कोशिश की।
उन्होंने कई बाते की। जो
मुख्य बाते कही उसमें कुछ हैं जैसे कि ग्रास रूट लेवल से वह काम कर रहे हैं। वह 6
से 12 साल बच्चों के लिए फुटबॉल प्रोग्राम चला रहे हैं जिससे वह इस खेल से शुरू से
जुड़ जाए। कोच की कमी को पूरा करने के लिओ कोच कोर्स चालए जाएंगे। 14 से 16 साल के
बच्चों के लिए यूथ एकेडमी खोली गई है। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य है आनेवाले
सालों में भारतीय फुटबॉल टीम की रैंकिंग में सुधार और अंडर 17 वर्ल्ड कप भारत में
कराना। यह कोशिशें अच्छी हैं।
लेकिन इसके साथ ही सरकार और
फेडरेशन को स्कूलों को भी साथ जोड़ने की जरूरत है। एक उदाहरण के तौर पर अभी डूरंड
कप चल रहा है और उसमें जाने के लिए किसी भी प्रकार के टिकट की आवश्यकता नहीं है।
इसके साथ ही स्कूली बच्चों के लिए अलग बैठने की व्यवस्था भी है। लेकिन स्कूली
बच्चें फिर भी वहां दिखाई नहीं दे रहे हैं। प्रोग्राम चलाना अच्छी बात है। इसके
साथ ही स्कूलों के साथ मिलकर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि वह इस तरह के खेल आयोजन
में बच्चों की ज्यादा से ज्यादा से भागीदारी करे। ताकि वह खेल के रोमांच को नजदीक
से महसूस कर सके और बचपन से खेल के साथ जुड़ जाए।
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