आज भी भारत में कुछ ऐसे हैं
जो अक्षम होके भी अपनी जिंदगी में हार नहीं मानते। ऐसा ही दृश्य हमें एपीजे
इंस्टीट्यूट में देखने को मिला। वहां देखने को मिला की चाहे जिस तरह की भी समस्या
आए उसमें हार नहीं माननी चाहिए। हमने देखा कि अक्षम लोग अपनी जिंदगी ने कैसे जूझते
हुए अपनी मंजिल पाई। जिजिविशा जीवन की ऐसी इच्छा है जो कभी खत्म नहीं होती। रूको,
लड़ों और तब आगे बढ़ते रहो जब तक आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते। वी केयर
फिल्म फेस्ट के दौरान कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्में दिखाई गई जिसमें द बटरफ्लाई सर्कस,
साइंनिंग स्टार शामिल हैं। द बटरफ्लाई फिल्म में एक अपंग इनसान दिखाया गया जिसके न
तो हाथ है और न ही पैर फिर भी उसने अपने जीवन में हार नहीं मानी और अपने जीवन के
लक्ष्य की प्राप्ती की। इन अक्षम लोगों की
मजबूरियों को देखकर अपने अनुभव से परवेज इमाम ने किनारा नाम की एक संगीतमय
फिल्म बनायी। इस संगीत में अक्षम लोगों की सारी सच्चाई दिखाई दी। उन्होंने अपने
अनुभव साझा करते हुए कहा कि भारत में 70 फीसद गांव में इन लोगों के प्रति लोगों
में जागरूकता नहीं है। लेकिन शहर गांव के मुकाबले ठीक है और उनमें गांव के मुकाबले
ज्यादा जागरूकता पाई गई है। इमाम ने आशा जताई की इन्हीं इलाकों में आने वाले समय
में जागरूकता और बढ़ेगी।
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