दुनिया में पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करनेवाली संस्था इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट जिस दिन दुनिया भर में पत्रकारों के मारे जाने की रिपोर्ट में सीरिया के पत्रकारों की दशा सबसे खराब बता रही थी, ठीक उसी दिन सीरिया से एक खबर यह भी आई कि चरमपंथियों ने एक और पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी है। आईपीआई का कहना है कि वैसे तो दुनियाभर में पत्रकारों की हत्या के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन सीरिया में स्थिति सबसे खतरनाक है। वहां पिछले एक साल में 36 पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया|
ताजा मामला सरकार समर्थक मीडिया के पत्रकार का है जिसे बीच शहर में चरमपंथियों ने गोलियों से भून दिया। सीरिया की साना समाचार एजेंसी के अनुसार "सशस्त्र आतंकवादी समूह ने टेलीविज़न पत्रकार बसेल ताव्फिक यूसफ की सीरिया के शहर तदामुन में हत्या कर दी। सीरियन मानव अधिकारों की समन्वयक संस्था का कहना है कि "शाबीहा मिलिशिया का सदस्य होने के कारण पत्रकार को मारा गया"।
उधर, आईपीआई का कहना है कि दुनियाभर में पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं और पिछले एक साल में दुनियाभर में 119 पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया है। सीरिया के अलावा मध्यपूर्व के जिन देशों में पत्रकारों की हत्या की गई उसमें इराक में 3, फिलीस्तीन में 3 और बहरीन में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई।
मैक्सिको, पाकिस्तान और फिल्लिप्पींस भी पत्रकारों के लिए खतरनाक साबित हो रहे है। इस एक साल की अवधि के दौरान मैक्सिको में 7, वेराकुज में 5, तथा पाकिस्तान और फीलीपीन्स में पांच पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया।
महाद्वीपों के लिहाज से पत्रकारों की हत्या के लिहाज से अफ्रीका को दूसरा स्थान दिया गया क्यूंकि वहां 27 पत्रकारों ने अपनी जान गवाई है। इनमें से 16 पत्रकारों ने सोमालिया में, 5 ने नाइजीरिया में, 4 ने इरीट्रिया में, 1 ने तंज़ानिया मे और 1 ने अंगोला में अपनी जान गवाई।
इस एक साल की अवधि के दौरान एशिया क्षेत्र में 26 पत्रकार मारे गए जिनमें से 7 इंडोनेशिया में (इसमे से 5 पत्रकार काम के सिलसिले से एक विमान दुर्घटना मे मारे गए थे), 3 पत्रकार बांगलादेश मे और 2 पत्रकारों ने भारत मे जान गवाई।
लैटिन अमेरिका में 22 पत्रकारों को मारा गया, जिसमें मैक्सिको, ब्राज़ील, होंडुरस और कोलंबिया में 7, 4, 3 और 2 पत्रकारों को मारा गया। इन क्षेत्रों में कुछ समय से देखा जा रहा है की पत्रकारों पर बहुत अत्याचार हो रहे है जिसकी वजह से वहां पर इतनी हत्याएं हो रही है। कार्य के दोरान एक कार दुर्घटना में पेरू के चार पत्रकार मारे गये थे। इक्वेडोर में एक पत्रकार को दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
आईपीआई का आंकलन है कि पत्रकारों की ज्यादातर हत्या के मामलों में यह बात उभरकर सामने आई है कि जानकारी को दबाने के लिए पत्रकारों की हत्या कर दी जाती है. यह एक जघन्य प्रकार का सेंशरशिप है जो पूरी दुनिया में पत्रकारों पर खतरा बनकर मंडरा रहा है। संस्था के उप निदेशक अन्थोनी मिल्स का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों के खिलाफ हमलों को रोकने के कोशिशें बढ़ाये जाने के बाद भी इस साल के आईपीआई रिकॉर्ड पर मरने वालों पत्रकारों की संख्या सबसे अधिक है|
ताजा मामला सरकार समर्थक मीडिया के पत्रकार का है जिसे बीच शहर में चरमपंथियों ने गोलियों से भून दिया। सीरिया की साना समाचार एजेंसी के अनुसार "सशस्त्र आतंकवादी समूह ने टेलीविज़न पत्रकार बसेल ताव्फिक यूसफ की सीरिया के शहर तदामुन में हत्या कर दी। सीरियन मानव अधिकारों की समन्वयक संस्था का कहना है कि "शाबीहा मिलिशिया का सदस्य होने के कारण पत्रकार को मारा गया"।
उधर, आईपीआई का कहना है कि दुनियाभर में पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं और पिछले एक साल में दुनियाभर में 119 पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया है। सीरिया के अलावा मध्यपूर्व के जिन देशों में पत्रकारों की हत्या की गई उसमें इराक में 3, फिलीस्तीन में 3 और बहरीन में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई।
मैक्सिको, पाकिस्तान और फिल्लिप्पींस भी पत्रकारों के लिए खतरनाक साबित हो रहे है। इस एक साल की अवधि के दौरान मैक्सिको में 7, वेराकुज में 5, तथा पाकिस्तान और फीलीपीन्स में पांच पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया।
महाद्वीपों के लिहाज से पत्रकारों की हत्या के लिहाज से अफ्रीका को दूसरा स्थान दिया गया क्यूंकि वहां 27 पत्रकारों ने अपनी जान गवाई है। इनमें से 16 पत्रकारों ने सोमालिया में, 5 ने नाइजीरिया में, 4 ने इरीट्रिया में, 1 ने तंज़ानिया मे और 1 ने अंगोला में अपनी जान गवाई।
इस एक साल की अवधि के दौरान एशिया क्षेत्र में 26 पत्रकार मारे गए जिनमें से 7 इंडोनेशिया में (इसमे से 5 पत्रकार काम के सिलसिले से एक विमान दुर्घटना मे मारे गए थे), 3 पत्रकार बांगलादेश मे और 2 पत्रकारों ने भारत मे जान गवाई।
लैटिन अमेरिका में 22 पत्रकारों को मारा गया, जिसमें मैक्सिको, ब्राज़ील, होंडुरस और कोलंबिया में 7, 4, 3 और 2 पत्रकारों को मारा गया। इन क्षेत्रों में कुछ समय से देखा जा रहा है की पत्रकारों पर बहुत अत्याचार हो रहे है जिसकी वजह से वहां पर इतनी हत्याएं हो रही है। कार्य के दोरान एक कार दुर्घटना में पेरू के चार पत्रकार मारे गये थे। इक्वेडोर में एक पत्रकार को दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
आईपीआई का आंकलन है कि पत्रकारों की ज्यादातर हत्या के मामलों में यह बात उभरकर सामने आई है कि जानकारी को दबाने के लिए पत्रकारों की हत्या कर दी जाती है. यह एक जघन्य प्रकार का सेंशरशिप है जो पूरी दुनिया में पत्रकारों पर खतरा बनकर मंडरा रहा है। संस्था के उप निदेशक अन्थोनी मिल्स का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों के खिलाफ हमलों को रोकने के कोशिशें बढ़ाये जाने के बाद भी इस साल के आईपीआई रिकॉर्ड पर मरने वालों पत्रकारों की संख्या सबसे अधिक है|
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