वेब जर्नलिज्म - आधुनिक मीडिया का आकर्षक क्षेत्र
आज युवाओं के पास कॅरियर के नए विकल्पों की कोई कमी नहीं हैं और कई नए क्षेत्र उनका स्वागत करने को तैयार खडे हैं। इंटरनेट के आगमन के बाद अखबारों के रुतबे और टीवी चैनलों की चकाचौंध के मध्य पत्रकारिता की एक नई विधा, वेब जर्नलिज्म ने जन्म लिया है, जो काफी प्रभावकारी तरीके से आगे बढ रही है। वेब जर्नलिज्म की सबसे बडी खासियत, हर पल मिलने वाली नई जानकारी है, इस कारण से ही इसकी लोकप्रियता दिनोंदिन बढती जा रही है।
फ्यूचर का है कॅरियर
अपने देश में पत्रकारिता का प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों की कोई कमी नहीं है। इनसे प्रशिक्षण लेकर निकलने वाले युवाओं की संख्या भी बहुत अधिक है। इन सभी प्रशिक्षित युवाओं के लिए चुनिंदा समाचार पत्रों या टीवी चैनलों में रोजगार हासिल करना संभव नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि ये खुद को डिजिटल होती दुनिया की जरूरतों के मुताबिक ढालने का प्रयास करें। इधर एक दशक में इंटरनेट का काफी विस्तार हुआ है। छोटे-छोटे कस्बे भी आज इसकी हद में आ चुके हैं। इंटरनेट का उपयोग अब अधिकतर क्षेत्रों में हो रहा है। मीडिया में भी इसकी उपयोगिता बढती जा रही है। लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस क्षेत्र के प्रति लोगों का यह आकर्षण ही वेब जर्नलिज्म की फील्ड और वेब जर्नलिस्ट की मांग में निरंतर इजाफा कर रहा है।
वेब जर्नलिज्म क्या है
इंटरनेट के माध्यम से की गई पत्रकारिता को वेब जर्नलिज्म कहते हैं। इस तरह की पत्रकारिता बहुत हद तक इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता से मेल खाती है, लेकिन इसकी व्यापकता और पुराने अंकों को काफी समय बाद भी देख सकने की सुविधा इसे एक अलग रूप देने का काम कर रही है। वेब जर्नलिज्म में स्पीड जरूरी है और यह इसे अन्य मीडिया माध्यमों से अलग करती है।
कोर्स और शैक्षिक योग्यता
आज मॉस कम्युनिकेशन का प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों की कोई कमी नहीं है। इन संस्थानों से कोर्स करने के बाद तकनीकी योग्यता हासिल कर वेब जर्नलिज्म की फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं। मॉस कम्युनिकेशन में कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। आप चाहें तो डिग्री या फिर डिप्लोमा और या फिर सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं। कोर्सो के हिसाब से शैक्षिक योग्यता भी अलग-अलग निर्धारित है लेकिन अधिकतर संस्थान न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक ही मांगते हैं। यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि अध्ययन के लिए उस संस्थान का चयन करें, जहां आधुनिक तरीके से प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण ही इस क्षेत्र में सफलता का मार्ग तय करता है। कुछ संस्थान ऑन लाइन जर्नलिज्म के कोर्स अलग से भी कराते हैं।
कार्य विभाजन
वेब जर्नलिज्म में कई तरह के कार्य किए जा सकते हैं। काम के आधार पर इस फील्ड को कई भागों में विभाजित किया गया है। जर्नलिस्ट एवं डिजाइनर के लिहाज से यहां अवसर अधिक हैं। े जर्नलिस्ट : एक जर्नलिस्ट डेस्क और फील्ड दोनों क्षेत्रों में काम कर सकता है। डेस्क वर्क में कापी राइटिंग एवं एडिटिंग का काम किया जाता है। वेब साइट में उपलब्ध कराए गए कंटेन्ट को भाषाई रूप से सशक्त करने का काम इन लोगों के ही कंधों पर होता है। यह काम वही कर सकते हैं जो भाषा ज्ञान के साथ-साथ देश-विदेश में हो रही हर हलचल पर नजर रखते हैं। फील्ड वर्क उन लोगों के लिए सही है, जो खबरों के अंदर छिपे सच को सामने लाने की काबिलियत रखते हैं। इस काम में ऐसे व्यक्ति ज्यादा सफल होते हैं जिनके संपर्क सूत्र बहुत अधिक होते हैं।
डिजाइनर : वेबसाइट को आकर्षक रूप देने की जिम्मेदारी इनके पास होती है। वेबसाइट का लुक अच्छा होना जरूरी है, क्योंकि फ्रंट पेज ही आमतौर पर पाठकों को आकर्षित करने का काम करता है। डिजाइनिंग के काम के लिए वे लोग उपयुक्त हैं जिन्हें नए ट्रेंड के अनुसार वेब साइट को डिजाइन करना एवं उसमें कंटेन्ट को प्रस्तुत करना आता है। रचनात्मकता इस क्षेत्र में सफलता की पहली सीढी है।
स्पीड और एक्यूरेसी का खेल
वेब जर्नलिज्म को आज पत्रकारिता की सबसे फास्ट फील्ड कहा जाता है। इसमें क्वालिटी और एक्यूरेसी के साथ स्पीड का भी अहम किरदार होता है। वेब जर्नलिज्म में स्पीड नहीं, तो कुछ भी नहीं है। जो लोग वेब जर्नलिज्म का काम कर रहे हैं उनके मध्य स्पीड को लेकर ही प्रतिद्वंद्विता है। कम से कम समय में बेहतरीन काम करने की काबिलियत जिनमें है, वे इस क्षेत्र में उतना ही आगे बढ जाते हैं।
अच्छा वेतन
वेब जर्नलिज्म का क्षेत्र वेतन के लिहाज से काफी अच्छा माना जाता है। प्रारंभिक चरण में अमूमन 10 हजार रुपए वेतन के रूप में मिलते हैं जो तीन-चार साल का अनुभव और अच्छा काम होने पर कई गुना तक बढ जाता है।
प्रमुख संस्थान
श्री ग ते ब खालसा कॉलेज , दिल्ली विश्वविद्यालय,
दिल्लीइंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
जेआईएमएमसी, नोएडा और कानपुर
जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
well done beta
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