Monday, 16 January 2017

स्वस्थ शरीर स्वस्थ मष्तिष्क

किसी ने ठीक ही कहा है कि 'स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मष्तिष्क का निवास होता है ।' मानव जीवन एक झरने के समान है । जिस प्रकार झरने का जीवन पानी है उसी प्रकार मानव के जिवन का आधार उसका स्वस्थ रहना है । इसलिए शरीर के सभी अंग  ठीक प्रकार से चलते रहे उसी का नाम स्वस्थ है । स्वस्थ मनुष्य चाहे जितना भी गरीब क्यो ना हो वह सुखी जीवन जी सकता है जबकि अमीर व्यक्ति सभी साधनो के बावजूद यदि अस्वस्थ रहता है तो उसे अपना जीवन नीरस और विरान लगता है । वह जीवन का एक एक पल गिन गिनकर काटता है । इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी मे वह अपने स्वास्थ्य का विषेश रूप से ध्यान रखे ।
आज का व्यक्ति शारीरिक बिमारियो के साथ-साथ मानसिक रूप से इतना ज्यादा तनावग्रस्त है कि उसके पास सुख सुविधाए के होते हुए भी उदासी और अकेलापन से घिरा रहता है । स्वस्थ जीवन को रसमय जीवन बनाना तभी संभव हो पाएगा मनुष्य कुछ महत्वपूर्ण बातो को अपने जीवन का अंग बना लेगा; जैसे - पौष्टिक और संतुलित आहार का सेवन, स्वच्छ वायु मे कुछ समय बिताना, नियमित परिश्रम करना, व्यायाम करना आदि ।
स्वस्थ रहने के लिए उसे हर प्रकार के अति से बचना होगा - जैसे :- अतिरिक्त खाना, अतिरिक्त जागना आदि । अनियमित जीवन शैली को छोड़ना होगा और अपने स्वास्थ्य पर घ्यान देना होगा । धुम्रपान, मदिरापान आदि से दूर रहना होगा । आज विश्व स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी बड़े बड़े अभियान चलाए जिते है क्योंकि यह सच है कि किसी भी राष्ट्र का विकास उसके स्वास्थ्य नागरिको पर ही निर्भर करता है। इसीलिए हमारा यह कर्तव्य है कि हम स्वस्थ रहे और देश की सेवा करते रहे ।

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