भारतीय संविधान के अनुसार हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा 21 और भारतीय भाषाओं में सरकारी कामकाज किया जा सकता है। भारत में लगभग सभी क्षेत्रीय भाषाओं में आज अखबार छपता है । भारत के शिर्ष 10 अखबारों में से 9 अखबार भारतीय भाषाओं के हैं । किंतु फिर भी आज भारतीय भाषाओं के भविष्य को लेकर विद्वान चिंतित हैं। इसलिए बार बार इस विषय पर चर्चाएँ की जाती हैं । ऐसी ही एक चर्चा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय , भोपाल द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में हुई। यह संगोष्ठी 10 दिसंबर 16, शाम 4 बजे से शुरु होकर लगभग 2घंटे तक स्पीकर हाल , कान्सटीट्यूशन क्लब में हुई ।इसका विषय भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता :चुनौतियां एवं समाधान था । इसमें श्री सुधीर चौधरी ( प्रधान संपादक , जी न्यूज )मुख्य अतिथि बनकर आए । इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री विजय क्रांति (सलाहकार संपादक , डी. डी. न्यूज़ ) रहे
,वहीं प्रो. बी.के. कुठियाला ( माननीय कुलपति , मा. च. रा.प. सं. वि.वि.) ने इसकी अध्यक्षता की ।
माननीय अतुल कोठारी (प्रख्यात शिक्षा नितिकार ,दिल्ली) ने भी प्रस्तुत श्रोताओं को संबोधित किया ।
उपर्युक्त सभी अतिथियों ने मिलकर माँ सरस्वती की स्तुति के साथ दिया जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।अतिथियों को पुस्तक भेंट कर उन का स्वागत किया गया।उसके बाद सभी ने चर्चा में भाग लिया और बारी बारी आकर अपने विचार प्रस्तुत किए। श्री विजय कोठारी जी ने भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता में आने वाली विभिन्न चुनौतियां का जिक्र किया। उन्होंने अपने पत्रकारिता के समय में विभिन्न की- बोर्ड( keyboard) को सीखने में आई दिक्कतों को साझा किया और कहा कि आज भी इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में सभी विषयों पर सामग्री मिलना मुश्किल है । साथ ही उन्होंने बताया कि आज हम अपनी मातृभाषा को लेकर एक हीन भावना रखते हैं ।उन्होंने आत्मविश्वास जगाने और गर्व से अपनी भाषा बोलने को कहा ।इसके बाद सुधीर जी ने शोध परिणामों का हवाला देते हुए बताया कि हिंदी उन 10भाषाओं में से एक हैं जो आने वाले समय में सबसे तेजी बढ़ेंगी।उन्होंने हिंदी बोलने में हीन महसूस करने वालों के लिए एक brand ambassador , एक उदाहरण की जरूरत की बात कही, जिसका वो अनुकरण कर सके।उन्होंने बताया कि आज सभी कंपनियां भारतीय बाजार में आने के लिए हिंदी का इस्तेमाल करती हैं। हमें भी अब हिंदी का प्रचार करने की जरूरत है। इससे लोग अपने काम की जगहों ,कार्यलयों पर बिना हिचके हिंदी या अपनी भाषा में बात कर सके ।उनके बाद अतुल कोठारी जी ने विदेश मंत्रालय द्वारा हिंदी में अपने कार्य करने की बात बताई और कुछ नियम बनाने की बात कही जिससे हिंदी में किन शब्दों को लेना है वह तय किया जा सके ।फिर कुठियाल जी ने अपनी विचार प्रस्तुत किए।उन्होंने भारत में अंग्रेज़ी के अलावा भी और विदेशी भाषाओं को सीखने की बात कही और अपनी सीमाओं को खोलने की बात कही। वे हिंदी के साथ साथ सभी भाषाओं को साथ में ले चलने की बात कही।वे भारत की विभिन्न भाषाओं का संगम चाहते हैं।उन्होंने ऐसे दल को बनाने का प्रस्ताव रखा जो हिंदी में नए शब्दों को हिंदी में सम्मिलित करना है या नहीं तय करे।इसके बाद प्रस्तुत लोगों से प्रश्न लिए गए और उनके जवाब दिए गए। इस चर्चा में समाधान चाहे न मिल पाया हो मगर आगे काम करने की दिशा मिली है और अपनी मातृ भाषा में गर्व से बोलने और अपनी बात बिना हीन या पीछड़ा हुआ महसूस किए रखने की प्रेरणा मिलती है।
,वहीं प्रो. बी.के. कुठियाला ( माननीय कुलपति , मा. च. रा.प. सं. वि.वि.) ने इसकी अध्यक्षता की ।
माननीय अतुल कोठारी (प्रख्यात शिक्षा नितिकार ,दिल्ली) ने भी प्रस्तुत श्रोताओं को संबोधित किया ।
उपर्युक्त सभी अतिथियों ने मिलकर माँ सरस्वती की स्तुति के साथ दिया जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।अतिथियों को पुस्तक भेंट कर उन का स्वागत किया गया।उसके बाद सभी ने चर्चा में भाग लिया और बारी बारी आकर अपने विचार प्रस्तुत किए। श्री विजय कोठारी जी ने भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता में आने वाली विभिन्न चुनौतियां का जिक्र किया। उन्होंने अपने पत्रकारिता के समय में विभिन्न की- बोर्ड( keyboard) को सीखने में आई दिक्कतों को साझा किया और कहा कि आज भी इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में सभी विषयों पर सामग्री मिलना मुश्किल है । साथ ही उन्होंने बताया कि आज हम अपनी मातृभाषा को लेकर एक हीन भावना रखते हैं ।उन्होंने आत्मविश्वास जगाने और गर्व से अपनी भाषा बोलने को कहा ।इसके बाद सुधीर जी ने शोध परिणामों का हवाला देते हुए बताया कि हिंदी उन 10भाषाओं में से एक हैं जो आने वाले समय में सबसे तेजी बढ़ेंगी।उन्होंने हिंदी बोलने में हीन महसूस करने वालों के लिए एक brand ambassador , एक उदाहरण की जरूरत की बात कही, जिसका वो अनुकरण कर सके।उन्होंने बताया कि आज सभी कंपनियां भारतीय बाजार में आने के लिए हिंदी का इस्तेमाल करती हैं। हमें भी अब हिंदी का प्रचार करने की जरूरत है। इससे लोग अपने काम की जगहों ,कार्यलयों पर बिना हिचके हिंदी या अपनी भाषा में बात कर सके ।उनके बाद अतुल कोठारी जी ने विदेश मंत्रालय द्वारा हिंदी में अपने कार्य करने की बात बताई और कुछ नियम बनाने की बात कही जिससे हिंदी में किन शब्दों को लेना है वह तय किया जा सके ।फिर कुठियाल जी ने अपनी विचार प्रस्तुत किए।उन्होंने भारत में अंग्रेज़ी के अलावा भी और विदेशी भाषाओं को सीखने की बात कही और अपनी सीमाओं को खोलने की बात कही। वे हिंदी के साथ साथ सभी भाषाओं को साथ में ले चलने की बात कही।वे भारत की विभिन्न भाषाओं का संगम चाहते हैं।उन्होंने ऐसे दल को बनाने का प्रस्ताव रखा जो हिंदी में नए शब्दों को हिंदी में सम्मिलित करना है या नहीं तय करे।इसके बाद प्रस्तुत लोगों से प्रश्न लिए गए और उनके जवाब दिए गए। इस चर्चा में समाधान चाहे न मिल पाया हो मगर आगे काम करने की दिशा मिली है और अपनी मातृ भाषा में गर्व से बोलने और अपनी बात बिना हीन या पीछड़ा हुआ महसूस किए रखने की प्रेरणा मिलती है।
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