यह है मेरा भारत
जहाँ नदियाँ भी माता कहलाती है ।
धरती है यह विधा की ,
जहा सरस्वती माता आती है ।
सिर्फ इंसानो मे नही, पत्थरो मे भी,
भगवान नजर यहाँ आते है।
पशु-पक्षी और पेड़ भी,
गुणगान यहाँ के गाते है।
भारत की सिमा रेखा पर,
खुन की नदियाँ बहती है।
मुझे उनपर ग्रव है,
यह भारत माता कहती है।
उन शहीदो की कुर्बानी को,
त्याग नही होने देंगे।
जान भले ही चली जाए,
पर भारत माता को नही झुकने देंगे।
जहाँ नदियाँ भी माता कहलाती है ।
धरती है यह विधा की ,
जहा सरस्वती माता आती है ।
सिर्फ इंसानो मे नही, पत्थरो मे भी,
भगवान नजर यहाँ आते है।
पशु-पक्षी और पेड़ भी,
गुणगान यहाँ के गाते है।
भारत की सिमा रेखा पर,
खुन की नदियाँ बहती है।
मुझे उनपर ग्रव है,
यह भारत माता कहती है।
उन शहीदो की कुर्बानी को,
त्याग नही होने देंगे।
जान भले ही चली जाए,
पर भारत माता को नही झुकने देंगे।
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