Tuesday, 21 July 2015
सुब्रतो कप खिलाड़ियों को देता है अन्तर्राष्ट्रिय मंच
सुब्रतो कप भारत में खेले जाने वाला फुटवॉल का एकमात्र ऐसा टूर्नामेंट है जो देश के प्रतिभावान खिलाड़ियों को स्कूल स्तर पर अपनी खेल प्रतिभा देखने का के लिए न केवल मौका देता है बल्कि अन्तर्राष्ट्रिय मंच भी देता है।
सुब्रतो कप फुटवॉल टूर्नामेंट के विभिन्न आयामों पर चीफ कॉर्डिनेटर स्क्वड्रन लीडर एस भट्टाचार्य से गजेन्द्र वीएस चौहान से उनकी बातचीत:
इस बार टूर्नामेन्ट में राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर कितनी टीमें भाग ले रही है?
इस बार सुब्रतो कप टूर्नामेन्ट में राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर 104 टीमें भाग ले रही हैं जिसमें 32 हजार स्कूल के 6 लाख 40 हजार छात्र प्रतिभागी होगें। जिनमें लगभग 2 हज़ार बच्चे सुब्रतो कप के फाइनल फेज़ में खेलने के लिए दिल्ली में आएंगे। इस बार का सुब्रतो कप इस मायने में भी अहम् होगा कि हम 2017 के अंडर -17 विश्व कप की तैयारी के रूप में देख रहे हैं। हम कोशिश कर रहें हैं कि इस टूर्नामेंट में उत्र्कष्ट खेल दिखाने वाले खिलाड़ी भारत की फुटवॉल टीम में जगह बना सके और देश के लिए खेल सकें,इसके लिए हमने आल इण्डिया फुटवॉल फेडरेशन से बात की है कि वह इस टूर्नामेन्ट में आये और प्रतिभावान खिलाड़ियों की प्रतिभा को आंके ताकि भारतीय फुटवॉल टीम के संभावित खिलाड़ियों में स्थान पा सकें। हर बार कि तरह से इस बार भी विदेशों से भी टीमें टूर्नामेंट में भाग ले रही हैं, पिछली बार 25 टीमें आई थी, इस बार इस से ज्यादा टीमें आने की उम्मीद है। इस बार टूर्नामेंट में हमने क्लब टीमों को भी आमंत्रित किया है। जो अंडर -17 कैटेगरी में क्लब टीमों के साथ ही खेलेंगी। इस में 5-5 टीमें को मध्य मैच होगा, जिसमें से केवल 2 टीमें ही क्वार्टर फाइनल में जायेगी। हम इस बार कोशिश कर रहे हैं कि टूर्नामेंट में खेलने वाले खिलाड़ियों की प्रतिभा को आंक ने के लिए हमने इग्लिश प्रीमियर,लीवर पूल, बुका जूनियर आदि जैसे अन्तर्राष्ट्रिय क्लब और मोहन बागन,सालगोआकर व बंगलौर एफसी जैसे घरेलू क्लबो को भी आमंत्रित किया है जहां वह टूर्नामेन्ट में खेल रहे प्रतिभावान खिलाड़ी का आंकलन करे और अपने क्लब के लिए चुन सके जिस से एक बड़ा मंच इन खिलाड़ियों के लिए उपलब्ध हो सके जहां वह अपनी प्रतिभा को और निखार सके।
इस बार चयन के लिए क्या प्रक्रिया होगी?
चयन प्रक्रिया मेंं कोई बदलाव नहीं किया गया है । चयन का आधार वही है जो सुब्रतो कप में रहता है खिलाड़ी पहले ज़ोनल, सब ड़िविजन, डिस्ट्रिक और अन्त में स्टेट खेल कर आते है जिसमें स्टेट में पहले स्थान पर आई टीम को टूर्नामेंट में खेलना का अवसर दिया जाता है। इस बार हमने टूर्नामेंट के लिए मैडिकल प्रोसीज़र( चिकित्सा प्रक्रिया) को सख्त बनाया है। अगर किसी भी टीम के चार खिलाड़ी मैडिकल अनफिट (चिकित्सीकय आयोग्य) पाये जायेगे तो पूरी टीम को ही टूर्नामेंन्ट से बाहर कर दिया जायेगा।
2017 के अंडर -17 फुटवॉल विश्व के लिए सुब्रतो कप क्या तैयारी कर रहा है।
वैसे तो यह ऑल इण्डिया फुटवॉल फेडरेशन का काम है और इस के लिए इकबाल कप होता है। सुब्रतो कप स्कूल स्तर पर एक बड़ा टूर्नामेंट है जिसमें स्कूल की टीमें जोनल, सब डिविजन,डिस्ट्रिक और अन्त में स्टेट के चार लेवल पर टीमों को हरा कर सुब्रतो कप के लिए क्वालिफाई करती है यहां भी पहले फेज़ में नॉक आउट होता है उसके बाद फाइनल फेज़ होता है जिसमें प्रत्येक टीम अपने-अपने स्तर पर श्रेष्ठ टीम से भिड़ती है। सुब्रतो कप की इस प्रक्रिया से समझा जा सकता है कि टूर्नामेंट में एक सशक्त टीम ही पहुंचती है जिसमें हुनरमंद खिलाड़ी होते है। 2014 सुब्रतो कप फाइनल में भिड़ने वाली ब्राजिल की टीम ने इन्टर कॉन्टिनेन्टल चैम्पियनशिप पहले से ही जीत रखा था जिसे उसने मिलान, बार्सिलोना और लिवरपूल को हरा कर जीता था। वहीं ब्राजिल से भिड़ने वाली देशी टीम केरला ने भी पूरे टूर्नामेंट में अच्छा खेल दिखाते हुऐ फाइनल में आई थी। इस टूर्नामेंट में केरल टीम के खिलाड़ी एम एस सुजित पर विदेशी क्लब की नज़र रही। हम चाहते है कि हमारे बच्चों को भी अन्तर्राष्ट्रिय ख्याति मिले और वह भी विदेशी क्लबों की तरफ से खेलें।
इतना प्रयास करने के बाद भी हमारे खिलाड़ी अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर प्रतिस्पर्धा नही कर पाते क्या कारण देखते है?
यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि जब एक खिलाड़ी ख्याति प्राप्त कर लेता है तो उस पर पैसा लगाने के लिए सरकार, फेडरेशन और प्रायोजक आगे आ जाते हैं। हमरी सरकार और फेडरेशन जमीनी स्तर पर मिली प्रतिभा को संजो कर नही रख पाती है। वैसे यह हमारा अधिकार क्षेत्र नही है पर समस्या यह है कि हमारा खेल मंत्रालय और ऑल इण्डिया फुटवॉल फेडरेशन का ध्यान (ग्रास रूट लेवल) जमीनी स्तर की प्रतिभा को ढूढ़ने और उन प्रतिभा को निखारने की और नहीं है। वहीं सुब्रतो कप का का पूर ध्यान टूर्नामेंट के माध्यम से जमीनी स्तर से प्रतिभाओं को न केवल ढूढ़ना है बल्कि उन्हें और निखारना और राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर पहचान दिलाना है।
आप को क्या लगता है कि देश में शुरू हुए इण्यिन सुपर लीग से फुटवॉल को फायदा होगा?
इण्यिन सुपन लीग (आईसीएल)एक प्राईवेट बॉड़ी है जिसका पहला काम खेल से पैसा बनाना है। फुटवॉल को बढ़ावा देना इनका उद्देश नही हैं। अगर सच में फुटवॉल का भला करना है तो हमें (ग्रास रूट लेवल) जमीनी स्तर की प्रतिभाओं को निखारना होगा। हमें बच्चों के लिए बच्चों को टूर्नामेंट करवाने चाहिए जैसा कि हम जर्मनी या ब्राजिल के देशों में देखते हैं इनका पूर ध्यान इस (ग्रास रूट लेवल) जमीनी स्तर की प्रतिभाओं को निखारना होता है जिसके लिए यह देश निचले स्तर पर टूर्नामेंट करवाते हैं। इण्डियन सुपर लीग का ध्यान तो पैसा बनाने में है जिसके लिए यह लोग बाहर से कार्लोस या रोलान्डीनो जैसे ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों को,दर्शकों की भीड़ जुटाने के लिए बुलाते हैं। जिससे स्टेडियम खचाखच हो और इनको ज्यादा से ज्यादा आर्थिक लाभ मिल सके। इस टूर्नामेंट ने बच्चों के लिए कुछ खास नहीं किया है।
आप को लगता है कि सुब्रतो कप एक ऐसा फॉर्मेट है जो भारत में फुटवॉल का स्वर्ण युग को लौटा पायेगा?
अगर आज हम आंकडों को देखे तो आज फुटवॉल को प्रायोजित करने वालों की संख्या बड़ी है। बीते दिनों में इण्डियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)की जगह इण्डियन सुपर लीग में प्रायोजकों की उम्मीद ज्यादा है। देखिए क्रिकेट में जितने भी प्रयोग होने थे हो चुके, क्रिकेट अपने चरम पर है। इस से ज्यादा नहीं हो सकता आने वाले दिनो में फुटवॉल का भविष्य सुनहरा होगा।
क्या कारण है कि सुब्रतो कप में महिलाओं की एक की श्रेणी है?
सुब्रतो कप में महिलाओं एक ही श्रेणी अंडर-14 है। इसका कारण यह है कि इस श्रेणी में और इस श्रेणी के अलावा अभी तक कोई विशेष प्रदर्शन देखने को नही मिला है, जोकि निराशा भरा है। इसके अलावा पहली समस्या यह है कि टीम भी 10 सा 12 ही आती है,जिनके लिए टूर्नामेंट शुरू करना आसान नहीं है। अभी तक हमें उस प्रकार का उत्र्कष्ट प्रदर्शन नही मिला,जिसके आधार पर हम किसी टूर्नामेंट के विषय में सोचें।
सुब्रतो कप मे खेलने वाले खिलाडियों को अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर खेलना का अवसर मिलता है।
हम लोग क्लबों को प्रतिभा आंकलन के लिए बुलाते हैं। जो प्रतिभावान खिलाडियों का चयन करते हैं। पिछली बार ब्राजिल की टीम ने बंगाल के एक खिलाड़ी को अपने क्लब की ओर से खेलने के लिए चयनित किया था। जबकि बंगाल की टीम मुकाबले में 9 गोल से हार गई थी। इस बार भी हमने ऑल इण्डिया फुटवॉल फेडरेशन के अलावा देशी-विदेशी क्लबों को भी बुलाया है। ताकि वे प्रतिभावान खिलाड़ियों को देखें और संभव हो तो उन्हें अपने क्लब से खेलना का मौका दें।
राजनीतिक कारणों के अलावा फुटवॉल में हमारे पिछडने का क्या कारण देखते हैं।
अगर देश में वाकय ही फुटवॉल को उसकी जगह दिलाना है तो हमें (ग्रास रूट लेवल) जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को तलाशना होगा और उन्हें निखारना होगा साथ ही हर स्तर पर चाहे वो जोनल हो या राज्य स्तर पर बुनियादी सुविधायों को लाना होगा। इसके अलावा हमारी जिम्मेदार फेडरेशनों के देखना चाहिए कि कैसे हर राज्य के आखरी गांव में पहुंचा जा सके ताकि एक भी प्रतिभावान खिलाड़ी न छूटे हो सकता है देश को विश्व विजेता बनाने वाला खिलाड़ी वहीं कहीं छिपा हो। हम सुब्रतो कप के माध्यम से 30 बच्चों को प्रशिक्षण देने के अलावा पढ़ाने-लिखाने और रहने का खर्च हम उठाते हैं। हमारे पास भी खर्च करने के लिए सीमित आर्थिक साधन है फिर भी जितना फंड होता है वो हम इन बच्चों पर खर्च कर देते हैं। हम टूर्नामेंट पैसा बनाने के लिए नहीं करवाते हैं। हमारा लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाओं को राष्ट्रीया और अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर पहुंचाना जहां यह बच्चें अपना और अपने देश का नाम ऊंचा कर सकें।
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