भारत में जन्मे सुंदर पिचाई को सर्च इंजन गूगल का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बनाया गया है.
सोमवार को गूगल ने अपनी रिस्ट्रक्चरिंग योजना पेश की जिसके तहत अब गूगल की सभी लोकप्रिय गतिवधियां नई कंपनी अल्फाबेट के तहत संचालित होंगी और गूगल के संस्थापक लैरी पेज इसके चीफ़ एग्जीक्यूटिव होंगे.
वहीं अब तक गूगल में वाइस प्रेसीडेंट की ज़िम्मेदारी संभाल रहे पिचाई को रिस्ट्रक्चरिंग के तहत गूगल का सीईओ बनाया गया है.
चेन्नई में जन्मे पिचाई के पिता एक इलेक्ट्रिक इंजीनियर रहे हैं और उन्हें बचपन से ही गैजेट्स का शौक है.
वैसे वो अपनी स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके हैं.
प्रभावी मैनेजर
पिचाई को बेहद मृदुभाषी होने के साथ साथ एक प्रभावी मैनेजर भी माना जाता है.
गूगल के ब्राउज़र क्रोम और इससे जुड़े कई अन्य प्रॉडक्ट्स को तैयार करने में उनकी अहम भूमिका रही है.
माना जाता है कि अब दुनिया के एक तिहाई पीसी इसी ऑपरेटिंग सिस्टम को इस्तेमाल करते हैं.
क्रोम से पहले पिचाई ने टूलबार, गूगल गीयर्स और गूगल पैक जैसी गूगल के प्रॉडक्ट्स पर काम किया.
पिचाई को 2013 में गूगल के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉइड की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जो अब मोबाइल दुनिया के सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम्स में से एक है.
कई लोग उन्हें लैरी पेज के संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखते हैं, हालांकि अभी तक पेज ने रिटायर होने का कोई संकेत नहीं दिया है.
आईआईटी से पढ़ने वाले पिचाई ने 2004 में गूगल ज्वाइन किया था.
रिपोर्टों के मुताबिक 2010 में ट्विटर ने उन्हें अपनी तरफ खींचने की कोशिश की थी लेकिन गूगल ने उन्हें 'तगड़ा' बोनस देकर रोक लिया.
ऐसी भी ख़बरें आईं कि माइक्रोसॉफ्ट के सर्वोच्च पद के लिए जिन चंद नामों पर विचार किया गया उनमें पिचाई भी शामिल थे. बाद में, भारत में ही जन्मे सत्या नडेला को इस पद पर नियुक्त किया गया.
ग़ज़ब की याददाश्त
बताते हैं कि पिचाई में संख्याओं को याद रखने की ग़ज़ब की क्षमता है. उनके घर में 1984 में पहली बार डायल करने वाला फोन लगा.
और किसी भी नंबर को वो एक बार डायल करते और वो उनके दिमाग में दर्ज हो जाता.
पिचाई ने स्कूल में सिल्वर मेडल पाया और आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने स्टेनफोर्ड स्कॉलरशिप जीती.
ये बात अलग है कि सैन फ्रांसिस्को जाने के लिए विमान के टिकट की कीमत उनके पिता के एक साल के वेतन से ज़्यादा थी.
पिचाई दो बच्चों के पिता हैं और उन्होंने अपने बचपन की दोस्त अंजलि को ही अपना जीवन साथी बनाया.
-द्वारा -
विजय कुमार मल्होत्रा
पूर्व निदेशक (राजभाषा),
रेल मंत्रालय,भारत सरकार
पूर्व निदेशक (राजभाषा),
रेल मंत्रालय,भारत सरकार
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