Thursday, 25 March 2010
live meeting of microsoft
१ - Meeting के लिए पहले registration या कुछ और करने की आवश्यकता नहीं है २ - समय पर (२६ मार्च ११:०० बजे) कृपया इस लिंक पर क्लिक कर दें : meet:sip:abhishek@microsoft.com;gruu;opaque=app:conf:focus:id:008c6419fb4a4f9ba650260f8f46fc2d%3Fconf-key=9995३ - आप मीटिंग में जुड़ जायेंगे।४ - आप मीटिंग का वार्तालाप अपने कम्प्युटर के स्पीकर के माध्यम से सुन सकेंगे । अगर आप कुछ बोलना चाहते हैं तो एक mic का प्रबंध रखें ।५ - LiveMeeting का एक प्रोग्राम होता है जो आप चाहें तो मीटिंग के पूर्व ही अपने कम्प्युटर पर download कर सकते हैं । यह सुविधाजनक रहेगा । LiveMeeting यहाँ से download करें : http://r.office.microsoft.com/r/rlidOCSR2?clid=1033&p1=livemeeting
Wednesday, 24 March 2010
हिंदी अनुवादकों के पैनल का गठन _26 मार्च को 11.00 बजे ग्रीन पार्क एक्स, में बैठक का आयोजन
बंधुवर,
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने 2001 की जनगणना के आधार पर माना है कि 551.4 मिलियनलोग भारत में हिंदी बोलते हैं. मैं इन आँकड़ों की प्रामाणिकता के बारेमें चर्चा नहीं करना चाहता, लेकिन इस विडंबना की ओर आप सबका ध्यान आकृष्टकरना चाहता हूँ कि इतने बड़े जनबल के बावजूद हिंदी में तकनीकी विषयों परपढ़ने-लिखने वालों की संख्या बिल्कुल नगण्य है. कदाचित् यही कारण है किहिंदी में गंभीर विषयों पर विशेषकर तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी जैसेविषयों पर नेट पर बहुत कम सामग्री उपलब्ध है. यद्यपि माइक्रोसॉफ़्ट और सीडैक जैसी कंपनियों ने इस दिशा में जबर्दस्त पहल की है, लेकिन उनकी अपनीवेबसाइट भी अब तक हिंदी में विकसित नहीं की जा सकी है.
कुछ दिन पूर्व रेडमंड (माइक्रोसॉफ्ट का अमरीका में स्थित मुख्यालय) मेंएक बैठक के दौरान माइक्रोसॉफ्ट के आकाओं से यह प्रश्न पूछा गया किमाइक्रोसॉफ्ट ने विश्व की अधिकांश भाषाओं में अपनी वेबसाइट बनाई है,लेकिनहिंदी में क्यों नहीं बनाई, जबकि विश्व भर में हिंदी बोलने और समझनेवालों की संख्या चीनी और अंग्रेज़ी के बाद तीसरे स्थान पर है. कुछ लोग तोइसका स्थान दूसरा भी मानते हैं. इस पर उत्तर मिला कि हिंदी में इन विषयोंको पढ़ने वाले लोगों की तादाद न के बराबर है.
इस घटना से व्यथित होकर माइक्रोसॉफ़्ट के ही एक वरिष्ठ अधिकारी अभिषेककांत ने निजी तौर पर इस चुनौती को स्वीकार किया और यह संकल्प किया किअगले तीन महीने में वे हिंदी प्रेमियों के सहयोग से निम्नलिखित वेबसाइटको हिंदी में भी बना देंगे और तब यह देखेंगे कि इसे कितने हिंदी भाषीदेखते हैं. http://support.microsoft.com/?ln=hi-inफिलहाल इस वेबसाइट का मात्र इंटरफ़ेस ही हिंदी में है.
अपने इस अनुष्ठान को सार्थक बनाने के लिए उन्होंने एक छोटी-सी पहल करनेका संकल्प किया है और हिंदी-अनुवाद के महारथी श्री चंद्रमोहन ऱावल कीअध्यक्षता में हिंदी अनुवादकों का एक पैनल गठित किया. यह पैनल तीन महीनेकी अवधि में लगभग 100 से 200 पृष्ठों को हिंदी में अनूदित करेगा. यहकार्य पूरी तरह से स्वैच्छिक और निःशुल्क होगा,लेकिन इस कार्य के संपन्नहोने के बाद प्रत्येक सहभागी को माइक्रोसॉफ़्ट की ओर से एक प्रमाणपत्रदिया जाएगा.
इस संबंध में निम्नलिखित विशेषज्ञ सहयोग प्रदान करेंगेः
1. शब्दावली और वर्तनी की एकरूपता के बारे में विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा),रेल मंत्रालय, भारत सरकार malhotravk@gmail.com मोबाइल 91-9910029919
2. अनुवाद के बारे में श्री चंद्रमोहन रावल, पूर्व सहायक प्रबंधक (हिंदी), रिजर्व बैंक औरभारतीय अनुवादक संघ (ITA India) के उपाध्यक्ष और प्रोज़ डॉट कॉम(ProZ.com) के सदस्य cmrawal@yahoo.com मोबाइल 09818450779
3. तकनीकी मार्गदर्शन के बारे में अभिषेक कांत, Community Program Manager, Microsoft Corp (India)Pvt. Ltd.,गुड़गाँवabhishek.Kant@microsoft.com मोबाइलः 09899115376
इन विषयों पर विचार करने के लिए नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई है. जोहिंदी प्रेमी और विशेषज्ञ इस बैठक में भाग लेना चाहें ,वे कृपया अपनीसहभागिता के बारे में उक्त में से किसी को भी सूचना भेज दें ताकि आवश्यकव्यवस्था का जा सके.
सम्यक् प्रतिष्ठान
के 13 बेसमेंट
ग्रीनपार्क एक्सटेंशन,
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने 2001 की जनगणना के आधार पर माना है कि 551.4 मिलियनलोग भारत में हिंदी बोलते हैं. मैं इन आँकड़ों की प्रामाणिकता के बारेमें चर्चा नहीं करना चाहता, लेकिन इस विडंबना की ओर आप सबका ध्यान आकृष्टकरना चाहता हूँ कि इतने बड़े जनबल के बावजूद हिंदी में तकनीकी विषयों परपढ़ने-लिखने वालों की संख्या बिल्कुल नगण्य है. कदाचित् यही कारण है किहिंदी में गंभीर विषयों पर विशेषकर तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी जैसेविषयों पर नेट पर बहुत कम सामग्री उपलब्ध है. यद्यपि माइक्रोसॉफ़्ट और सीडैक जैसी कंपनियों ने इस दिशा में जबर्दस्त पहल की है, लेकिन उनकी अपनीवेबसाइट भी अब तक हिंदी में विकसित नहीं की जा सकी है.
कुछ दिन पूर्व रेडमंड (माइक्रोसॉफ्ट का अमरीका में स्थित मुख्यालय) मेंएक बैठक के दौरान माइक्रोसॉफ्ट के आकाओं से यह प्रश्न पूछा गया किमाइक्रोसॉफ्ट ने विश्व की अधिकांश भाषाओं में अपनी वेबसाइट बनाई है,लेकिनहिंदी में क्यों नहीं बनाई, जबकि विश्व भर में हिंदी बोलने और समझनेवालों की संख्या चीनी और अंग्रेज़ी के बाद तीसरे स्थान पर है. कुछ लोग तोइसका स्थान दूसरा भी मानते हैं. इस पर उत्तर मिला कि हिंदी में इन विषयोंको पढ़ने वाले लोगों की तादाद न के बराबर है.
इस घटना से व्यथित होकर माइक्रोसॉफ़्ट के ही एक वरिष्ठ अधिकारी अभिषेककांत ने निजी तौर पर इस चुनौती को स्वीकार किया और यह संकल्प किया किअगले तीन महीने में वे हिंदी प्रेमियों के सहयोग से निम्नलिखित वेबसाइटको हिंदी में भी बना देंगे और तब यह देखेंगे कि इसे कितने हिंदी भाषीदेखते हैं. http://support.microsoft.com/?ln=hi-inफिलहाल इस वेबसाइट का मात्र इंटरफ़ेस ही हिंदी में है.
अपने इस अनुष्ठान को सार्थक बनाने के लिए उन्होंने एक छोटी-सी पहल करनेका संकल्प किया है और हिंदी-अनुवाद के महारथी श्री चंद्रमोहन ऱावल कीअध्यक्षता में हिंदी अनुवादकों का एक पैनल गठित किया. यह पैनल तीन महीनेकी अवधि में लगभग 100 से 200 पृष्ठों को हिंदी में अनूदित करेगा. यहकार्य पूरी तरह से स्वैच्छिक और निःशुल्क होगा,लेकिन इस कार्य के संपन्नहोने के बाद प्रत्येक सहभागी को माइक्रोसॉफ़्ट की ओर से एक प्रमाणपत्रदिया जाएगा.
इस संबंध में निम्नलिखित विशेषज्ञ सहयोग प्रदान करेंगेः
1. शब्दावली और वर्तनी की एकरूपता के बारे में विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा),रेल मंत्रालय, भारत सरकार malhotravk@gmail.com मोबाइल 91-9910029919
2. अनुवाद के बारे में श्री चंद्रमोहन रावल, पूर्व सहायक प्रबंधक (हिंदी), रिजर्व बैंक औरभारतीय अनुवादक संघ (ITA India) के उपाध्यक्ष और प्रोज़ डॉट कॉम(ProZ.com) के सदस्य cmrawal@yahoo.com मोबाइल 09818450779
3. तकनीकी मार्गदर्शन के बारे में अभिषेक कांत, Community Program Manager, Microsoft Corp (India)Pvt. Ltd.,गुड़गाँवabhishek.Kant@microsoft.com मोबाइलः 09899115376
इन विषयों पर विचार करने के लिए नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई है. जोहिंदी प्रेमी और विशेषज्ञ इस बैठक में भाग लेना चाहें ,वे कृपया अपनीसहभागिता के बारे में उक्त में से किसी को भी सूचना भेज दें ताकि आवश्यकव्यवस्था का जा सके.
सम्यक् प्रतिष्ठान
के 13 बेसमेंट
ग्रीनपार्क एक्सटेंशन,
Sunday, 21 March 2010
REQUIRE GOOD POLITICIANS
today we all in the race of sucess. most of us after a gud education move to abroad for more higher education or to earn money. we try to earn as much as money and all those luxurious items which we always wish for. we want to become famous, sucessful with do a great job or gud business but not with politics .why?????? no one have answer of this question.
what are we doing with our freedom , education and qualities that we have ,we are not using it for make our nation a better one ........ we are in the race not the winner of the world best nations race because of our bad politics system and some of really bad politicians ,most of politcians are corrupt ,self-proclaimed, uneducated and taking our nation towards poverty and corruption , these politicians are not deserving to be a part of our politics but they do because we have no choice of a better politician.
we have to search some good politicians in our inner side we have to think, support ,care about our country. if every one will take a stand even with our little support then we will able to bring a huge change in our nation. some of very good young politicians now become a part of our new politics like RAHUL GANDHI, JYOTIRADITYA SCINDAI , PRIYA DUUT , OMAR ABDULLAH ,SACHIN PILOT and many more they try to change the face of indian politics and for this they need every comman man support . we have a power to change the world and corrupt politics .
today the youngistan have to show their presense in politics
Friday, 19 March 2010
world of tomorrow
During the ancient times there was nothing for the pleasure of "humans". But now in the 21th century the world has changed a lot. And in future the world will change drastically. We will go to school in our own cars and without bags because we will have laptops as our books and notebooks .No need for taking money from parents for pens. The cars will run automatically and those who don't know how to drive ,the cars will drive itself .Food will be prepared by robots and all mothers will sit and watch tv. Mobile will speak the details of the person who is calling and read out the messages. There will be strict law and order as there will be no policemen but the robots will pick up the people who disobey laws and throw them in jail. India would not suffer scarcity of advantage ,also have disadvantages .People will become fat by sitting idle and there will be many diseases .But still we will enjoy and love it as everybody wants pleasure and enjoyment in life....
Tuesday, 16 March 2010
'माया दलित नहीं दौलत की बेटी '
बा . स . पा (बहुजन समाज पार्टी ) को पच्चीस वर्ष होने की ख़ुशी में बासपा द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे पार्टी की प्रमुख सदस्य मायावती को कथित तौर पर करोड़ों रूपये के नोटों का हार पहनाया गया / यह हार १००० के कई नोटों से बना हुआ था और यदि पार्टी के सदस्यों की माने तो यह हार १५ करोंड का था / मायावती द्वारा अपने और अपनी पार्टी पर किये जाने अनावश्यक व्यय को देख सपा , भाजपा , कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने लोक सभा में भारी हंगामा किया /
भारत जैसे देश में जहाँ आज भी गरीबी ने अपनी चादर फेलाई हुई है और जहाँ कई लोग बिना दो वक़्त की रोटी खाए सोते हैं ऐसे देश में इस तरह रुपयों की माला बनाकर उस गरीबी का मजाक उड़ने के बराबर है / हमारी सरकार को ऐसे नेताओ के इस तरह के बेफिजूल खर्चों पर लगाम कसनी चाहिए ताकि ये पैसा देश की तरक्की के काम आ सके/
THE FIRST WOMAN
The first woman president of congress - Dr. Annie Besant
The first lady to to become "Miss -World" - Miss Reeta Faria
The first Woman president of united nation assembly - Smt. Vijay Lakshmi Pandit
The first Indian woman to become to speaker of state assembly of india - Smt. Shanno Devi
The first Indian (among women ) to swim across the english channel - Miss Aarti Saha
The first prime minister of India - Mrs. Indira Gandhi
The first indian woman M.A. - Smt. chandra mukhi bose
The first woman who succeeded in the I.A.S Examination (in 1951) - Miss Anna George
The first indian woman para -trooper - Mrs. Gita Ghosh
The first indian woman who got the F.R.C.S degree - Dr. Shalini Aggarwal
The first Indian woman ,who worked as accountant general - Kumari Aurita Grower
The first indian woman occupational plane Driver - Kumari Prem mathur
The first woman ambassador of india (ambasador to hungry ) - Miss C.B Mathama
The first ever woman chief minister of an indian state - Mrs. Sucheta Kripani (in U.P)
Monday, 8 March 2010
तड़पता बचपन
आज जिस देश में तरक्की व विकास के नाम पर जो सरकार वाह-वाही लूटने की कोशिश कर रही है। क्या उस तरक्की व विकास के पीछे दबे उन लोगों के बारे में भी पल भर सोचने का समय हमारी इस सरकार के पास है। जो सड़कों पर भूखे-प्यासे भोजन की तलाश में पूरा दिन गुजार देते है। आज में ऐसी ही एक मासूम सी बच्ची से मिला, जिसके न माँ थी और न बाप। जो मेरे सामने थोड़े से भोजन की आस में खड़ी हो गयी। पहले तो मुझे एसा लगा कि जैसे कोई ये परम्परागत भिखारी है लेकिन जब उसने बताया कि वो एक मंदिर पर बूड़ी माँ के पास रहती है और वो ही उसे खाना बना कर खिलाती है, और इस बात का विश्वास दिलाने के लिए वह मुझे अपने साथ ले जान के लिए तैयार भी हो गयी,तो मुझे लगा कि वह वास्तव में एक मजबूर लड़की है । मेरा उद्देश्य किसी की मजबूरी का मजाक उडाना भर नहीं है। इस विषय को ध्यान में रखते हुए में इस देश की सरकार से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि कभी इन मजबूर बच्चों को ध्यान में रखते हुए भी इस देश का बजट पेश किया जाय। क्या आम आदमी के नाम पर बनायी गयी इस सरकार ने एक बार भी सोचा कि जिस अर्थव्यवस्था कि रफ्तार बढाने और घाटा पूरा करने के नाम जो बोझ आम जनता पर डाल देती है उससे उस आम आदमी का कैसे भला होगा। जब कि इस देश के आम आदमी की मेहनत की कमाई स्वित्जरलेंद में १५०० अरब डालर के रूप में पड़ी है, कभी इस तरफ भी इस आम आदमी कि सरकार ने आँख उठा कर देखने की हिम्मत जुताई। नहीं देखेगी क्यों कि उसमें वो खुद अपने आप को नंगा पायेगी। जो राहुल गांधी चुनाव से पहले जिन गरीबों की झोंपड़ी में रात बिताकर तथा खाना खा कर दिन रात अपने आप को उनका मशीहा साबित करने कि कोशिश कर रहे थे, क्या वो आज उनके घरों में दुबारा जाकर देखने कि हिम्मत जुटायेंगे जिससे कि उन्हें पता चल सके कि आज से एक वर्ष पूर्व जिन लोगों के यहाँ उन्होंने जो खाना खाया था वो भी आज उन्हें मिल रहा है कि नहीं। नहीं क्यों कि उन्हें नहीं मालूम एक दिन भूखा केसे सोया जाता है। इसलिए मेरी इस देश की आम आदमी की इस आम सरकार से मेरा विनम्र निवेदन है कि कभी इन बेसहारा बच्चों को ध्यान में रखकर भी देश की तरक्की की सोचो शायद इस देश का कुछ भला हो जाय.
Saturday, 6 March 2010
come out and play ...josh.at khalsa
खेलेगा हर कोई जीतेगी दिल्ली - विषय पर खालसा कालेज में संगोष्ठी आयोजित
दिल्ली विश्वविधालय के श्री गुरू तेगबहादुर खालसा कालेज के ‘‘स्पोर्टस इकानामिक्स एण्ड मार्केटिंग’’ और ‘‘वेब पत्रकारिता’’ के विद्यार्थियों द्वारा एक दिवसीय खेल उत्सव ‘‘जोश’’ का आयोजन किया गया। इस उत्सव में अनेक खेल प्रतियोगिताओं के साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेल से संबंधित विषय ‘‘खेलेगा हर कोई, जीतेगी दिल्ली’’ विषय पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं सीएनईबी चैनल के सी.ई.ओ. श्री राहुल देव थे। उन्होंने देश के विकास में खेलों की उपयोगिता पर बात करते हुए कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि जिस कोर्स को खालसा कालेज ने शुरू किया है उसे ज्यादा से ज्यादा कालेजों द्वारा अनुसरण किया जाए। साथ ही यह भी जरूरी है कि जो आधारभूत ढांचा राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तैयार किया जा रहा है उसका बेहतर उपयोग इन खेलों के बाद भी होता रहे तभी देश के विकास में इसकी सार्थक भूमिका होगी। वह अस्थायी विकास का साधन बनकर न रह जाए। अन्य वक्ताओं में ईएसपीएन के सौमित्र बोस ने नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर खालसा कालेज को बधाई देते हुए कहा कि आज खेलों पर आधारित पाठयक्रम की अत्यंत आवश्यकता है। यह बड़ी खुशी की बात है कि खालसा कालेज देश का ऐसा पहला कालेज है जिसने खेल और बाजार के संबंधों को पहचाना। राष्ट्रमंडल के सलाहकार समिति के सदस्य अविनाश सिंह ने खेल और विकास के आपसी संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि खेल के एक आयोजन से किसी भी शहर, देश के आर्थिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आता है। जिस तरह से आइ.पीएल के आगमन से खेलों का आर्थिक परिदृश्य बहुत उपर चला गया है। पैट्रोलियम मंत्रालय के अखिलेश झा ने खेल के वित्तीय पक्ष को उजागर करते हुए कहा कि खेलों में वित्तीय आडिट के साथ सामाजिक आडिट होना भी बहुत जरूरी है, तभी खेल अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। कोर्स डेवलपर एवम स्पोर्टस एंकर अर्जुन जे. चौधरी ने कालेज प्रधानाचार्य डा. जसविंदर सिंह की सार्थक भूमिका को सराहते हुए कहा कि नए विचार को पाजिटिव रुख अपनाना ही आधी सफलता हो जाती है। कोर्स के सफल होने के पीछे प्रशासन की सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है। उन्होंने खेल और मीडिया के आपसी मजबूत संबंधों पर भी प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि खेल के विकास में विज्ञापन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है और खेलों में पैसा तभी आता है। धन्यवाद ज्ञापन पाठयक्रम समन्वयक डा. स्मिता मिश्र ने करते हुए कहा कि आज शिक्षा को परम्परागत विषयों से आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्रतियोगिताओं में जंकयार्ड वार्स,स्पोर्ट्स क्विज, स्पोर्टस पायट्री, बास्केटबाल, क्लिक ए पिक, आर्म रेसलिंग जैसे रोचक इवेंट आयोजित किए जिसमें भारी संख्या में विद्यार्थियों ने ‘‘जोश’’ में बढ़चढ़ कर भाग लिया।
दिल्ली विश्वविधालय के श्री गुरू तेगबहादुर खालसा कालेज के ‘‘स्पोर्टस इकानामिक्स एण्ड मार्केटिंग’’ और ‘‘वेब पत्रकारिता’’ के विद्यार्थियों द्वारा एक दिवसीय खेल उत्सव ‘‘जोश’’ का आयोजन किया गया। इस उत्सव में अनेक खेल प्रतियोगिताओं के साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेल से संबंधित विषय ‘‘खेलेगा हर कोई, जीतेगी दिल्ली’’ विषय पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं सीएनईबी चैनल के सी.ई.ओ. श्री राहुल देव थे। उन्होंने देश के विकास में खेलों की उपयोगिता पर बात करते हुए कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि जिस कोर्स को खालसा कालेज ने शुरू किया है उसे ज्यादा से ज्यादा कालेजों द्वारा अनुसरण किया जाए। साथ ही यह भी जरूरी है कि जो आधारभूत ढांचा राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तैयार किया जा रहा है उसका बेहतर उपयोग इन खेलों के बाद भी होता रहे तभी देश के विकास में इसकी सार्थक भूमिका होगी। वह अस्थायी विकास का साधन बनकर न रह जाए। अन्य वक्ताओं में ईएसपीएन के सौमित्र बोस ने नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर खालसा कालेज को बधाई देते हुए कहा कि आज खेलों पर आधारित पाठयक्रम की अत्यंत आवश्यकता है। यह बड़ी खुशी की बात है कि खालसा कालेज देश का ऐसा पहला कालेज है जिसने खेल और बाजार के संबंधों को पहचाना। राष्ट्रमंडल के सलाहकार समिति के सदस्य अविनाश सिंह ने खेल और विकास के आपसी संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि खेल के एक आयोजन से किसी भी शहर, देश के आर्थिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आता है। जिस तरह से आइ.पीएल के आगमन से खेलों का आर्थिक परिदृश्य बहुत उपर चला गया है। पैट्रोलियम मंत्रालय के अखिलेश झा ने खेल के वित्तीय पक्ष को उजागर करते हुए कहा कि खेलों में वित्तीय आडिट के साथ सामाजिक आडिट होना भी बहुत जरूरी है, तभी खेल अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। कोर्स डेवलपर एवम स्पोर्टस एंकर अर्जुन जे. चौधरी ने कालेज प्रधानाचार्य डा. जसविंदर सिंह की सार्थक भूमिका को सराहते हुए कहा कि नए विचार को पाजिटिव रुख अपनाना ही आधी सफलता हो जाती है। कोर्स के सफल होने के पीछे प्रशासन की सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है। उन्होंने खेल और मीडिया के आपसी मजबूत संबंधों पर भी प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि खेल के विकास में विज्ञापन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है और खेलों में पैसा तभी आता है। धन्यवाद ज्ञापन पाठयक्रम समन्वयक डा. स्मिता मिश्र ने करते हुए कहा कि आज शिक्षा को परम्परागत विषयों से आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्रतियोगिताओं में जंकयार्ड वार्स,स्पोर्ट्स क्विज, स्पोर्टस पायट्री, बास्केटबाल, क्लिक ए पिक, आर्म रेसलिंग जैसे रोचक इवेंट आयोजित किए जिसमें भारी संख्या में विद्यार्थियों ने ‘‘जोश’’ में बढ़चढ़ कर भाग लिया।
Wednesday, 3 March 2010
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